प्रादेशिक
विलुप्तप्राय गरुड़ों की संख्या बिहार में बढ़ी
पटना। दुनिया से लुप्त होने के कगार पर पहुंच चुके पक्षी गरुड़ (ग्रेटर एड्ज्यूटेंट) के लिए बिहार का वातावरण अनुकूल माना जा रहा है। यही कारण है कि बिहार में गरुड़ों की संख्या में लगातार वृद्धि देखी जा रही है। पहले गरुड़ भागलपुर के कुछ क्षेत्रों में दिखाई देते थे, मगर अब यह खगड़िया जिले में भी दिखने लगे हैं।
वैज्ञानिकों के मुताबिक, पूर्व में गरुड़ कंबोडिया और असम की ब्रह्मपुत्र घाटी और उसके आसपास ही अपना बसेरा जमाते थे और यहीं प्रजनन करते थे। वैज्ञानिकों को उस समय हैरानी हुई थी, जब वर्ष 2006 में भागलपुर के पास गंगा दियारा क्षेत्र में गरुड़ के घोंसले पाए गए। इसके बाद वैज्ञानिकों के लिए यह स्थान शोध का विषय बन गया। इंडियन बर्ड कंजरवेशन नेटवर्क के बिहार इकाई के कोऑर्डिनेटर अरविंद मिश्रा ने आईएएनएस को बताया, “ऐसे प्रमाण मिलते हैं कि पिछले दो दशक से इस क्षेत्र में गरुड़ प्रजनन के लिए आते हैं। ये अलग बात है कि इस पर हमलोगों की नजर 2006 में गई।”
वह कहते हैं कि वर्ष 2006-7 में सुल्तानगंज प्रखंड के गंगा दियारा क्षेत्र के नया टोला मोतीचक गांव में तथा नवगछिया प्रखंड के कोसी दियारा क्षेत्र के कदवा और खैरपुर पंचायत के विभिन्न गांवों में गरुड़ के 16 घोंसले पाए गए थे और 78 गरुड़ों का अनुमान लगाया गया था। इसके बाद पक्षी वैज्ञानिकों और पक्षी प्रेमियों की नजर इस इलाके में पड़ी और स्थानीय लोगों को इस विलुप्तप्राय पक्षी को संरक्षित करने के लिए जागरूक किया गया। इसके बाद आज इस इलाके में गरुड़ों की संख्या करीब 450 से 500 तक पहुंच गई है।
गरुड़ों ने उत्तर बिहार के कोसी और गंगा के दियारा क्षेत्र में अपने वंशवृद्धि के लिए स्थान खोज लिया है। बिहार राज्य पर्यावरण एवं वन विभाग के मुताबिक, इस समय दुनियाभर में केवल 1200 से 1300 गरुड़ ही बचे होंगे, जिनमें से 100 से 150 गरुड़ कंबोडिया में तथा अन्य भारत में हैं। देश में गरुड़ों की सबसे अधिक संख्या असम में है। बिहार के प्रधान मुख्य वन संरक्षक बी़ ए़ खान कहते हैं, “गरुड़ों की संख्या मे वृद्धि बिहार के लिए गौरव की बात है। राज्य में गरुड़ों के प्रजनन कार्यक्रम को और तेज किया जा रहा है। इस दौरान राज्य के भागलपुर में गरुड़ों के इलाज के लिए एक अस्पताल भी बनवाया गया है। घायल गरुड़ों के इलाज के लिए यहां पूरी सुविधा है।”
उन्होंने बताया कि कि पूर्व में गरुड़ों का घोंसला भागलपुर के क्षेत्रों में दिखाई देता था, लेकिन अब खगड़िया जिले के बेल्दौर प्रखंड के रामनगर में इनका घोंसला दिखा है। मिश्रा मानते हैं कि यह इलाका गरुड़ के प्रजनन के लिए उपयुक्त वातावरण देता है और प्रजनन के लिए सुरक्षित माना जा रहा है। वह कहते हैं कि स्थानीय समुदाय के संरक्षण के संकल्प, सही वातावरण और भेाजन की सुलभता इनके यहां बसने का मुख्य कारण है। वैसे, वह यह भी मानते हैं कि गरुड़ों के संरक्षण में स्थानीय लोगों का सहयोग और सुरक्षा प्रदान करना इनकी संख्या में वृद्धि का एक सबसे बड़ा कारण है।
माना जाता है कि गरुड़ मुख्य रूप से दक्षिण एशिया में ही मिलते हैं। इनके भोजन में मछली, मेढ़क, सांप, चूहे और यदा-कदा मृत पशु शामिल हैं। आमतौर पर एक वयस्क गरुड़ की ऊंचाई चार फीट होती है तथा वजन करीब 11 किलेग्राम होता है।
IANS News
वसुधैव कुटुंबकम’ भारत का शाश्वत संदेश : योगी आदित्यनाथ
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के आदर्श वाक्य के महत्व पर जोर देते हुए इसे भारत की वैश्विक मानवता के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक बताया है। उन्होंने इसे भारत का शाश्वत संदेश बताते हुए कहा कि हमने हमेशा से शांति, सौहार्द और सह-अस्तित्व को प्राथमिकता दी है। सीएम योगी ने यह बात शुक्रवार को एलडीए कॉलोनी, कानपुर रोड स्थित सिटी मॉन्टेसरी स्कूल (सीएमएस) के वर्ल्ड यूनिटी कन्वेंशन सेंटर में विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के 25वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करने के दौरान अपने संबोधन में कही। कार्यक्रम में 56 देशों के 178 मुख्य न्यायाधीश और डेलिगेट्स ने भाग लिया।
‘अनुच्छेद 51 की भावनाओं को विश्व शांति और सुरक्षा के लिए प्रेरक’
अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 51 की भावनाओं को विश्व शांति और सुरक्षा के लिए प्रेरक बताया। उन्होंने कहा कि यह अनुच्छेद सम्मानजनक अंतरराष्ट्रीय संबंधों को विकसित करने और संघर्षों को शांतिपूर्ण ढंग से हल करने के लिए नैतिक मार्ग का अनुसरण करने के लिए हम सभी को प्रेरित करता है। उन्होंने समारोह को प्रेरणादायक बताते हुए कहा कि 26 नवंबर 2024 को संविधान अंगीकरण के 75 वर्ष पूरे होंगे। यह संविधान के अंगीकृत होने के अमृत महोत्सव वर्ष की शुरुआत के दौरान आयोजित हो रहा है।
‘युद्ध समस्याओं का समाधान नहीं है’
योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा संयुक्त राष्ट्र के ‘समिट ऑफ दि फ्यूचर’ में दिये गये संबोधन की चर्चा करते हुए कहा कि युद्ध समस्याओं का समाधान नहीं है। युद्ध ने दुनिया के ढाई अरब बच्चों के भविष्य को खतरे में डाला है। उन्होंने दुनिया के नेताओं से आग्रह किया कि वे एकजुट होकर आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वच्छ, सुरक्षित और भयमुक्त समाज का निर्माण करें। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सम्मेलन को वैश्विक संवाद और सहयोग का मंच बताते हुए विश्वास व्यक्त किया कि अनुच्छेद 51 की भावना के अनुरूप यह आयोजन विश्व कल्याण के मार्ग को प्रशस्त करेगा। उन्होंने दुनिया भर के न्यायाधीशों से इस दिशा में सक्रिय योगदान देने का भी आह्वान किया।
‘भारत विश्व शांति और सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध’
मुख्यमंत्री ने संविधान के अनुच्छेद 51 की चर्चा करते हुए कहा कि यह वैश्विक शांति और सौहार्द की दिशा में भारत की सोच को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि यह अनुच्छेद संघर्षों के शांतिपूर्ण समाधान और सभी देशों के बीच सम्मानजनक संबंधों को बढ़ावा देने का संदेश देता है। मुख्यमंत्री ने भारत की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की सक्रिय भागीदारी से यह स्पष्ट होता है कि भारत विश्व शांति और सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध है।
सीएमएस के संस्थापक को दी श्रद्धांजलि
सीएमएस के संस्थापक डॉ. जगदीश गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी दूरदृष्टि और प्रयासों से यह सम्मेलन एक महत्वपूर्ण मंच बना है। उन्होंने डॉ. भारती गांधी और गीता गांधी को इस कार्यक्रम को अनवरत जारी रखने के लिए धन्यवाद दिया।
इस अवसर पर हंगरी की पूर्व राष्ट्रपति, हैती रिपब्लिक के पूर्व प्रधानमंत्री सहित दुनिया के 56 देशों से आए हुए न्यायमूर्तिगण, सीएमएस की संस्थापक निदेशक डॉ भारती गांधी, प्रबंधक गीता गांधी किंगडन समेत स्कूली बच्चे और अभिभावकगण मौजूद रहे।
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