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विवेकानंद के ही मंत्र को साधा है मोदी ने

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– उपलब्धियों का खजाना है भाजपा के नेतृत्व में केंद्र सरकार के एक वर्ष का लेखा जोखा

पीएम नरेंद्र मोदी के नेृतृत्व में केंद्र सरकार का एक वर्ष पूरा हो रहा हैं। मोदी जी के इस कार्यकाल के बारे में अनेक विश्लेषण और कई तरह की बातें देश से लेकर विदेशों तक में हो रही है। उनमें कुछ विश्लेषक उनमें स्वप्न दृष्टा और सबके विकास को समर्पित ऊर्जा, आत्मविश्वास और उत्साह से परिपूर्ण तेज गति की नेतृत्व क्षमता को देखते हैं तो कुछ लोग उनमें नित नई बात करने वाले निरकुंश उद्योगपतियों के हित में काम करने वाले असफल नेता को देखते हैं। लोकतंत्र है सब स्वतंत्र हैं, सबकी अपनी अभिव्यक्ति, अपना विश्लषण और विचार हैं। परंतु एक बात सार्वभौमिक सत्य है कि जैसे सूर्य उगते ही अंधेरा छंटता है और धीर-धीरे धरा प्रकाश से आच्छादित हो जाती है, ठीक उसी तरह भारत का नेतृत्व करने वाले प्रधानमंत्री के कार्य से यदि देश की जनता सुखी, सम्पन्न और समृद्ध होती है तो प्रसन्नता बिखरेगी ही, सुखी जीवन महकेगा ही, उसे रोका नहीं जा सकता। समाज में जो भी घटता है, सबके समक्ष उसकी तस्वीर उभर कर आती है पर धैर्य और निष्पक्ष दृष्टि आवश्यक है।

नरेंद्र मोदी जी का जीवन स्वामी विवेकानंद जी से सर्वाधिक प्रभावित लगता हैं। स्वामी विवेकानंद जी से 1897 में शिकागो विश्वधर्म सम्मेलन से भारत वापस आने पर उनके एक शिष्य ने पूछा था कि भारत का कब उदय होगा तो स्वामी विवेकानंद जी ने उन्हें पूर्व दिशा की ओर इंगित करते हुए कहा था, देखो सूर्योदय हो रहा है। भारत का उदय हो चुका है। उस समय मात्र दो प्रतिशत युवा ही विश्वविद्यालय शिक्षा ग्रहण कर रहे थे। आज तो देश की आधी आबादी युवा और लगभग शिक्षित है। उसी की मेधा, ज्ञान, उत्साह और कुछ कर गुजरने के आत्मविश्वास पर नरेंद्र मोदी पूरी दुनिया में भारत और भारतीयता का परचम फहरा रहे हैं। आज देश को यह समझना होगा कि मोदी जी बार-बार कहते हैं कि उनके साथ 125 करोड़ लोगों की शक्ति है तो वह स्वामी विवेकानन्द की वाणी को आत्मसात् करके चलते हैं। जिन्होंने सहनशीलता, सर्वधर्म समभाव, शिक्षा, रोजगार, समाज में नारी के सम्मान व सशक्तीकरण को आवश्यक बताते हुए कहा था कि अपने पैरों पर आत्मविश्वास व लोहे के समान मांसपेशियों और स्नायुतंत्र के साथ खड़े होने की आवश्यकता है। प्रतीत होता है कि मोदी जी ने उसी मंत्र को साधा है। आज वह बिना रुके, बिना थके, पूरे आत्मविश्वास व दमखम के साथ विश्व पटल पर खड़े हैं।

केंद्र में मोदी सरकार के गठन के बाद यह आम अवधारणा बनी थी कि इस सरकार की विदेश नीति सबसे कमजोर होगी लेकिन इसके ठीक उल्टा आज न सिर्फ विश्व के सभी देशों से संबंध प्रगाढ़ हो रहे हैं बल्कि वैश्विक सम्मेलनों में भारत की उपस्थिति को मजबूती के साथ अहसास किया जा रहा है। आज भारत दुनिया के अग्रणी विकसित देशों के साथ अगली पंक्ति में ससम्मान खड़ा है।

प्रधानमंत्री के रूप में मोदी सरकार के एक वर्ष की उपलब्धियों की फेहरिस्त काफी लम्बी है। सरकार विकास के पथ पर तेजी से कदम बढ़ा रही है मोदी सरकार की कार्यशैली को लेकर अनेक आलोचनाएं हो रही हैं लेकिन जिस तरह नेताजी सुभाष चंद्र बोस यह कहा करते थे कि ‘‘जिस प्रकार आकाश को देखने की आंकाक्षा करने वाला, पर्वतों और कुंओं को ध्यान नहीं देता उसी तरह सम्पूर्ण हृदय से सब कुछ परे हटाकर जो वांछित कार्य पूरा करना चाहता है, उसे कोई बाधा नहीं आती‘‘ और जिस तरह फूल में सुगंध होती हैं उसी तरह जीवन में अन्वेषणकारी प्रश्नों का होना आवश्यक है। लगता हैं मोदी जी नेता जी सुभाष चंद्र बोस के विचारों को आत्मसात कर देश में अपनी तरह से विकास और सुशासन का एक पारदर्शी ढांचा गढ़ने के लिए दिन रात परिश्रम कर रहे हैं। मोदी सरकार के कुछ कार्यों से ही सरकार के एक वर्ष का लेखाजोखा स्पष्ट हो जाएगा।

मोदी जी ने जहां अविरल व निर्मल गंगा, स्वच्छ भारत, डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया, फस्ट डेवेलप इंडिया, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, सुकन्या समृद्धि, जनधन योजना, सबका साथ सबका विकास, न खाऊंगा न खाने दूंगा, विद्यार्थियों, शिक्षकों, किसानों आदि से अपने मन की बात, रेल, सड़क, औद्योगिक कारीडोर, जल यातायात आदि की बातें कही। जो अपने आप में पूरे देश के बहुआयामी विकास का ब्लूप्रिंट है। आखिर इसमें गलत क्या हैं? किस बात की इतनी आलोचना है? प्रधानमंत्री जब स्वच्छ भारत की बात करते हैं तो उसमें स्वस्थ्य भारत निहित है। सबके साथ सबके विकास में आर्थिक विषमता दूर करने का प्रयास, सर्वधर्म समभाव, सबको समान अवसर और न्याय स्वतः निहित है। मोदी जी जब बेटी पढ़ाओ-बेटी बचाओ की बात करते हैं तो उसमें स्वामी विवेकानंद के नारी सशक्तीकरण और सम्मान की भावना निहित है। जब वह मेक इन इंडिया की बात करते हैं तो भारत में औद्योगिक उत्पादन व बेरोजगारी का निदान तथा देश की समृद्धि स्वतः निहित है। इसी तरह स्किल व स्पीड की बात जब पीएम करते हैं तो देश की युवा शक्ति, कुशल व सक्षम मैन पावर के रूप में दुनिया में छा जाए, यह चाहना और गुणवत्ता व कुशलता के आधार पर विश्व व्यापार में व्यापाक भागीदारी स्वतः निहित है। डिजिटल इंडिया मोदी जी का स्वप्न है और मोदी जी गांव गरीब को लाचार व निरीह नहीं बल्कि ज्ञान विज्ञान के प्रकाश से युक्त देखना चाहते हैं। इसलिए वह देश की ढाई लाख ग्राम सभाओं को ब्राडबैंड से जोडने जा रहे हैं ताकि गांव में रहने वाले व्यक्ति ई-शिक्षा, ई-कामर्स, ई-स्वास्थ्य से सीधे जुड़ सके। नदियां भारत के 125 करोड़ लोगों की जीवन रेखा है। नदियां मां है हमें अन्न, जल, फल, सब्जी, अन्यान्य वनस्पति, औषधि ईंधन देकर हमारा पोषण करती हैं। अविरल गंगा, निर्मल गंगा इसलिए आवश्यक है।

मोदी जी इस देश को भ्रष्टाचार मुक्त बनाकर सुशासन का एक मॉडल देना चाहते हैं। आजादी के बाद से भ्रष्टाचार ग्रहण की तरह देश की उन्नति को आच्छादित किए रहा, उसे समाप्त कर देश को उन्नति के शिखर पर ले जाना उद्देश्य है। सरकार के एक वर्ष के कार्यकाल में महंगाई पर रोक लगी जो इस देश के अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री नहीं कर सके थे। औद्योगिक विकास दर में 12 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी दर्ज हुई तो देश की सकल आय में 7.5 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी दर्ज हुई। विदेशी निवेश 40 प्रतिशत बढ़ा और विदेशी मुद्राकोष में रिकार्ड वृद्धि हुई। देश के बुनियादी ढांचे राष्ट्रीय राजमार्ग-जल परिवहन रेल आदि के विकास ने तेज गति पकड़ी। यूपीए सरकार के अनिर्णय की शिकार अनेक परियोजनाओं पर कार्य प्रारम्भ हुआ। ऊर्जा के क्षेत्र में एक लाख मेगावाट की ऊर्जा परियोजनाएं अनुबंधित की गईं। बीएसएनएल, एमटीएनएल को पुनर्जीवन तथा बरौनी व गोरखपुर खाद कारखाने को पुनः प्रारम्भ करने का निर्णय लिया गया। ये सब मोदी सरकार की उत्कृष्ट उपलब्धियां हैं और इस देश के गांव, गरीब के विकास को स्थायी गति देने वाली हैं।

जो महापुरुष इस देश में आए वह राम, कृष्ण, बुद्ध, जिन्हें हम भगवान मानते हैं या कबीर, तुलसी, नानक, मीरा जैसे संत रहे हों, समाज ने उन पर भी आसानी से मुहर नहीं लगाई। गांधी, सुभाष, जयप्रकाश नारायण जैसे महापुरुषों को भी सोने की तरह तपना पड़ा। आजादी के बाद देश के कई प्रधानमंत्री हुए लेकिन जिन पर इस देश की जनता ने अपनी मुहर लगाई उनमें पंडित नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी और अटल जी हैं। जिन्होंने अत्यन्त विषम परिस्थितियों में भी अपनी नेतृत्व क्षमता को प्रमाणित किया। ठीक इसी तरह मोदी जी ने भी विषम परिस्थितियों में भी अपने को प्रमाणित किया है। उनका सतत् प्रयास इस देश में सुशासन साकार करने का है। इसे विकसित राष्ट्रों की अग्रणी पंक्ति में खड़ा करने का है। यह काम अकेले प्रधानमंत्री जी या सरकार का नहीं है बल्कि हम सबका है। देश की 125 करोड़ जनता का है। सबको उच्च स्वर में जय भारत का उद्घोष करना है। तभी नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भारत विश्व गुरु के पद पर प्रतिष्ठित होगा।

(लेखक हरिश्चन्द्र श्रीवास्तव प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता हैं)

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पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला, 38 लोगों की मौत

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पख्तूनख्वा। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला हुआ है। इस हमले में 38 लोगों की मौत हो गई है। यह हमला खैबर पख्तूनख्वा के डाउन कुर्रम इलाके में एक पैसेंजर वैन पर हुआ है। हमले में एक पुलिस अधिकारी और महिलाओं समेत दर्जनों लोग घायल भी हुए हैं। जानकारी के मुताबिक उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में आतंकियों ने शिया मुस्लिम नागरिकों को ले जा रहे यात्री वाहनों पर गोलीबारी की है। यह क्षेत्र में हाल के वर्षों में इस तरह का सबसे घातक हमला है। मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है।

AFP की रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले में 38 लोगों की मौत हुई है. पैसेंजर वैन जैसे ही लोअर कुर्रम के ओचुट काली और मंदुरी के पास से गुजरी, वहां पहले से घात लगाकर बैठे आतंकियों ने वैन पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. पैसेंजर वैन पाराचिनार से पेशावर जा रही थी। पाकिस्तान की समाचार एजेंसी डॉन के मुताबिक तहसील मुख्यालय अस्पताल अलीजई के अधिकारी डॉ. ग़यूर हुसैन ने हमले की पुष्टि की है.

शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच तनाव 

अफगानिस्तान की सीमा से लगे कबायली इलाके में भूमि विवाद को लेकर शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच दशकों से तनाव बना हुआ है। किसी भी समूह ने घटना की जिम्मेदारी नहीं ली है। जानकारी के मुताबिक “यात्री वाहनों के दो काफिले थे, एक पेशावर से पाराचिनार और दूसरा पाराचिनार से पेशावर यात्रियों को ले जा रहा था, तभी हथियारबंद लोगों ने उन पर गोलीबारी की।” चौधरी ने बताया कि उनके रिश्तेदार काफिले में पेशावर से यात्रा कर रहे थे।

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