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विश्व का पहला बॉट-टू-बॉट कम्युनिकेशन प्लेटफार्म शुरू

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मुंबई। अमेरिका आधारित बॉट प्लेटफार्म गपशप ने सोमवार को इंटरबॉट की शुरुआत की। बॉट से बॉट संचार प्लेटफार्म कारोबार करने, सहयोग, प्रतिस्पर्धा, जुडक़र कार्य करने और एक-दूसरे से बातचीत कर मामले को सुलझाने में सक्षम होता है। दुनिया के कथित तौर पर पहले इंटरबॉट संचार विभिन्न प्रकार के बॉट में सक्षम होता है, जैसे खरीदारी बॉट व्यापारी बॉट से बातचीत कर सबसे अच्छे दाम पाने में मदद करता है।

यात्रा बॉट से उड़ानों और होटल बॉट की सुविधाओं का संयोजन कर पैकेज बुक कर सकता है। एक टैक्सी बॉट से कैफे बॉट को आने पर समय से कॉफी तैयार रखने के लिए कहा जा सकता है, जिससे उपभोक्ता के समय की बचत होगी।

गेमिंग बॉट से डीलर बॉट के साथ रणनीति गेम खेल सकते हैं। व्यक्तिगत सहायक बॉट से बैठकों का समय निर्धारित कर सकते हैं। बॉट समूहों और पदनुक्रम का निर्माण कर सकते हैं, जिससे उपक्रम के भीतर निर्णय लेने में सुधार आ सकता है।

गपशप के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने एक बयान में कहा, “इंटरबॉट ने अनगिनत संभावनाओं को खोला है, जो अधिक बुद्धिमान बॉट्स और प्रणाली का नेतृत्व करते हैं। जैसे ही मानव सभ्यता अलग-अलग व्यक्तियों के सामूहिक शक्ति का उपयोग करती है, इंटरबॉट अलग-अलग बॉट क्षमताओं को बढ़ाने में सक्षम बनाता है। इंटरबॉट बॉट के लिए एक छोटे कदम का और बॉटकाइंड के लिए एक विशाल कदम का प्रतिनिधित्व करता है।”

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साइंस

फेमस न्यूक्लियर फिजिस्ट होमी जहांगीर भाभा का आज जन्मदिन, जानें कुछ उनके बारे में

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नई दिल्ली। इंडियन न्यूक्लियर प्रोग्राम के जनक और फेमस न्यूक्लियर फिजिस्ट होमी जहांगीर भाभा का आज जन्मदिन है। जे. भाभा, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) के फाउंडिंग डायरेक्टर और फिजिक्स के प्रोफेसर भी थे। होमी जहांगीर भाभा का जन्म 30 अक्टूबर 1909 में एक अमीर पारसी परिवार में हुआ था। होमी जहांगीर भाभा के पिता का नाम जहांगीर होर्मुस्जी भाभा और माता का नाम मेहरबाई भाभा था, इनके पिता एक जाने-माने वकील थे जबकि माँ एक गृहिणी थीं।

होमी भाभा ने 16 साल की आयु में ही सीनियर कैम्ब्रिज परीक्षा पास कर ली थी। फिर वे गोनविले और कैयस कॉलेज में मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने के लिए कैम्ब्रिज गए। इसके बाद उन्होंने कैम्ब्रिज में कैवेंडिश लैब में रिसर्च करना शुरू किया और उनका पहला रिसर्च पेपर 1933 में प्रकाशित हुआ। दो साल बाद, उन्होंने अपनी पीएचडी हासिल की और 1939 तक कैम्ब्रिज में रहे।होमी भाभा ने छात्र के रूप में कोपेनहेगन में नोबेल पुरस्कार विजेता नील्स बोहर के साथ काम किया और क्वांटम सिद्धांत के विकास में प्रमुख भूमिका निभाई।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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