प्रादेशिक
विश्व के मुख्य न्यायाधीशों का 15वां अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन
प्रभावशाली अन्तर्राष्ट्रीय कानून से ही विकास व शांति संभव
चार देशों के पूर्व राष्ट्रपतियों सहित विश्व के 60 देशों के न्यायविदों की अपील
लखनऊ। सिटी मॉन्टेसरी स्कूल द्वारा उप्र की राजधानी लखनऊ में 12 से 16 दिसम्बर तक आयोजित विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के 15वें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लेने हेतु चार देशों के पूर्व राष्ट्रपतियों व विश्व के लगभग 60 देशों के मुख्य न्यायाधीश व न्यायविद पधारे। दुनिया भर से पधारे इन अतिविशिष्ट अतिथियों ने बच्चों के सुन्दर एवं सुरक्षित भविष्य के लिए प्रभावशाली अन्तर्राष्ट्रीय कानून एवं प्रभावशाली वैश्विक व्यवस्था के माध्यम से विश्व को एकताबद्ध करने की जोरदार मांग की।
विश्व के कोने-कोने से पधारे इन कानूनविदों ने दुनिया भर के 2.4 अरब बच्चों के साथ ही आगे आने वाली पीढि़यों को सुन्दर एवं सुरक्षित भविष्य देने के लिए विश्व के सभी राष्ट्राध्यक्षों, प्रमुखों एवं शासनाध्यक्षों से अति शीघ्र सारे विश्व को एकताबद्ध करने हेतु आवश्यक कदम उठाने की अपील की।
इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के स्वागत समिति के अध्यक्ष एवं भारतीय उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति ए.पी. मिश्रा ने कहा कि आज चाहे विश्व भर के देशों में बढ़ता हुआ आतंकवाद हो बीमारी अथवा भुखमरी हो, इन सभी में सबसे ज्यादा छोटे बच्चे एवं महिलायें ही प्रभावित हो रहे हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि लखनऊ की सरजमीं पर आयोजित होने वाला यह ऐतिहासिक अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन अपने उद्देश्य में अत्यन्त सफल होगा और मानव जाति एक बार फिर ‘महाविनाश’ से ‘महाविकास’ की अग्रसर हो सकेगी।
डॉ. जगदीश गांधी ने कहा कि आज की समस्याओं की जटिलता को पहचानते हुए हमें शीघ्र ही विश्व एकता का मार्ग अपनाना चाहिए व ‘विश्व संसद’ का गठन करना चाहिए। उन्होंने विश्व के कोने-कोने से पधारे न्यायविदों से अपील की कि वे पूरे जोर-शोर से इस सम्मेलन में हिस्सा लें और मानवता की भलाई व बच्चों के सुन्दर भविष्य के लिए अपना हर संभव योगदान प्रदान करें।
डॉ. जगदीश गांधी ने कहा कि आज विश्व में गरीबी, भुखमरी, अशिक्षा, पर्यावरण असंतुलन आदि ऐसी विकट समस्याएं व्याप्त हैं जिनका समाधान किसी एक राष्ट्र के बस की बात नहीं है तथा जिनके लिए विश्व संसद ही एकमात्र समाधान है।
डॉ. गांधी ने कहा कि प्रभावशाली अन्तर्राष्ट्रीय कानून व्यवस्था आज के युग की सर्वाधिक मांग है। आज विश्व में कानून तो है लेकिन कई देश इसका सम्मान नहीं करते और अपनी मनमानी करते हैं। इसलिए देशों मे मतभेद होते हैं और युद्ध जन्म लेते हैं जिनमें कई मासूम जानें चली जाती हैं।
जस्टिस कलि अशोक सिंह, गयाना के चीफ जस्टिस ने कहा कि विनाश की ओर बढ़ते विश्व को ‘प्रभावशाली अन्तर्राष्ट्रीय कानून व्यवस्था’ द्वारा ही नियन्त्रित किया जा सकता है, युद्धों के द्वारा नहीं।
जस्टिस ए. पी. मिश्रा, पूर्व जज सुप्रीम कोर्ट ने कहा मुझे विश्वास है कि बच्चों की पुकार अनसुनी नहीं जाएगी और वह दिन अब दूर नहीं है जब एक विश्व संसद और विश्व सरकार की नींव रख दी जायेगी, जिसके अन्तर्गत सभी देशों को समान अधिकार होंगे और समान रूप से प्रतिनिधित्व होगा व यह सम्पूर्ण मानवजाति के उद्धार के लिए कार्य करेगा।
रोमानिया के भूतपूर्व राष्ट्रपति श्री एमिल कांन्सेन्टीनेई ने कहा कि ये सम्मेलन हमें एक सुनहरा अवसर प्रदान करता है जिसके द्वारा न्यायविद्, कानूनविद् व शिक्षाविद् मिलकर मानव अधिकारों के सम्मान व विश्व के बच्चों के लिए एक बेहतर भविष्य की स्थापना कर सकते हैं।
डॉ. ओमर शरीकउन्होने आगे कहा ने कहा कि सिटी मॉन्टेसरी स्कूल ने बच्चों के अधिकारों को लेकर जो आवाज पूरे विश्व में बुलन्द की है, उसकी जितनी भी प्रशंसा की जाए, कम है। उन्होंने कहा कि विश्व अराजकता, आतंकवाद व अन्य अपराधों की रोकथाम हेतु मजबूत अन्तर्राष्ट्रीय कानून व्यवस्था बेहद जरूरी है।
ने कहा कि अब संसार भर के बच्चों के भविष्य को लेकर उठाये प्रश्नों को टाला नहीं जा सकता बल्कि इसे पूरा करने के लिए ठोस कानून व्यवस्था बनानी चाहिए जो सभी देशों पर समान रूप से लागू की जा सके। यदि हम अभी नहीं चेते तो फिर बहुत देर हो जायेगी और समस्त मानव जीवन का अस्तित्व खतरे में पड़ जायेगा।
इलाहाबाद हाई कोर्टके पूर्व जज ए. के. श्रीवास्तव ने कहा कि विश्व के 2.4 अरब बच्चों के साथ ही आगे आने वाली पीढि़यों को एक सुन्दर एवं सुरक्षित भविष्य चाहिए। बच्चे स्वस्थ वातावरण में सांस लेना चाहते हैं। उन्हें विरासत में बमों का जखीरा नहीं चाहिए। इसलिए आज हम लोगों को मिलकर ऐसी कानून व्यवस्था बनानी चाहिए जिससे विश्व में एकता व शान्ति स्थापित हो सके और जिसके द्वारा विश्व के प्रत्येक बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दिया जा सके।
सी.एम.एस. के वर्ल्डत यूनिटी एण्ड पीस एजुकेशन डिपार्टमेन्ट के हेड अनिरुद्ध सिंह ने बताया कि गिनीज बुक ऑफ वर्ल्डऔ रिकार्ड होल्डर सिटी मॉन्टेसरी स्कूल अपनी स्थापना के समय से ही पिछले 55 वर्षों से पूरे विश्व के बच्चों के सुरक्षित भविष्य, उनके मौलिक अधिकारों एवं विश्व एकता व विश्व शान्ति हेतु सतत् प्रयत्नशील रहा है।
इसी का प्रतिफल है कि विद्यालय को वर्ष 2002 में अतिप्रतिष्ठित यूनेस्को शान्ति शिक्षा पुरस्कार से नवाजा गया है तथापि विश्व के अनेक अन्य पुरस्कारों से भी नवाजा गया है। श्री सिंह ने बताया कि सिटी मोन्टेसरी स्कूल पिछले चैदह वर्षो से लगातार ‘भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51 पर ‘विश्व के मुख्य न्यायाधीशों का अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन’ आयोजित करत आ रहा है।
सी.एम.एस. के जन-सम्पर्क अधिकारी ऋषि खन्ना ने बताया कि इस अन्तर्राष्ट्रीय ऐतिहासिक सम्मेलन में प्रतिभाग करने जिन 60 देशों के मुख्य न्यायाधीश, न्यायाधीश व कानूनविद् पधार रहे हैं, उनमें अफगानिस्तान, अल्बानिया, अर्जेन्टीना, बेनिन, भूटान, बोलिविया, ब्राजील, बुर्कीना फ़ासो, कम्बोडिया, कैमरून, चिली, कोस्टारिका, क्रोएशिया, कांगो, इक्वाडोर, इजिप्ट, इथयोपिया, फ्रांस, गाम्बिया, गिनी, गिनी बिसो, गुयाना, इटली, जमैका, कज़ाकिस्तान, किरगिज गणतंत्र, लेबनान, लेसोथो, मेडागास्कर, मलावी, माली, मारीशस, मैक्सिको, मंगोलिया, नौरू, नेपाल, निकारागुआ, पोलैण्ड, पेरू, फिलीपीन्स, मेसीडोनिया, रोमानिया, रूस, रवान्डा, सेशल्स, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, श्रीलंका, सूडान, सूरीनाम, तंजानिया, चाड, थाईलैण्ड, टर्की, युगाण्डा, यूक्रेन, अमेरिका, ज़ांज़ीबार, जिम्बाबे एवं भारत प्रमुख हैं।
उत्तर प्रदेश
जन महत्व की परियोजनाओं में समयबद्धता-गुणवत्ता से समझौता नहीं, गड़बड़ी मिली तो जेई से लेकर चीफ इंजीनियर तक सब की जवाबदेही तय होगी: मुख्यमंत्री
● मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने सोमवार को लोक निर्माण विभाग की विभिन्न परियोजनाओं की अद्यतन स्थिति की समीक्षा की और निर्माणकार्यों की समयबद्धता और गुणवत्ता सुनिश्चित करते हुए विभिन्न आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। *बैठक में मुख्यमंत्री जी द्वारा दिए गए प्रमुख दिशा-निर्देश:- *
● सड़क निर्माण की परियोजना तैयार करते समय स्थानीय आवश्यकताओं को ध्यान में रखें। प्रत्येक परियोजना के लिए समयबद्धता और गुणवत्ता अनिवार्य शर्त है, इससे समझौता नहीं किया जा सकता। गड़बड़ी पर जेई से लेकर चीफ इंजीनियर तक सबकी जवाबदेही तय होगी। एग्रीमेंट के नियमों का उल्लंघन होगा तो कांट्रेक्टर/फर्म को ब्लैकलिस्ट होगा और कठोर कार्रवाई भी होगी। पेटी कॉन्ट्रेक्टर/सबलेट की व्यवस्था स्वीकार नहीं की जानी चाहिए।
● DPR को अंतिम रूप देने के साथ ही कार्य प्रारंभ करने और समाप्त होने की तिथि सुनिश्चित कर ली जानी चाहिए और फिर इसका कड़ाई से अनुपालन किया जाए। बजट की कोई कमी नहीं होने दी जाएगी। पूर्ण हो चुके कार्यों की थर्ड पार्टी ऑडिट भी कराई जाए।
● सड़क और सेतु हो अथवा आमजन से जुड़ी अन्य निर्माण परियोजनाएं, स्वीकृति देने से पहले उसकी लोक महत्ता का आंकलन जरूर किया जाए। विकास में संतुलन सबसे आवश्यक है। पहले आवश्यकता की परख करें, प्राथमिकता तय करें, फिर मेरिट के आधार पर किसी सड़क अथवा सेतु निर्माण की स्वीकृति दें। विकास कार्यों का लाभ सभी 75 जनपदों को मिले।
● दीन दयाल उपाध्याय तहसील/ब्लाक मुख्यालय योजना अंतर्गत प्रदेश के समस्त तहसील/ब्लॉक मुख्यालय को जिला मुख्यालय से न्यूनतम दो लेन मार्गों से जोड़े जाने का कार्य तेजी से पूरा किया जाए। एक भी तहसील-एक भी ब्लॉक इससे अछूता न रहे।
● प्रदेश के अंतरराज्यीय तथा अंतरराष्ट्रीय सीमा पर भव्य ‘मैत्री द्वार’ बनाने का कार्य तेजी के साथ पूरा कराएं। जहां भूमि की अनुपलब्धता हो, तत्काल स्थानीय प्रशासन से संपर्क करें। द्वार सीमा पर ही बनाए जाएं। यह आकर्षक हों, यहां प्रकाश व्यवस्था भी अच्छी हो। अब तक 96 मार्गों पर प्रवेश द्वार पूर्ण/निर्माणाधीन हैं। अवशेष मार्गों पर प्रवेश द्वार निर्माण की कार्यवाही यथाशीघ्र पूरी कर ली जाए।
● गन्ना विकास एवं चीनी उद्योग विभाग की सड़कों का निर्माण अब लोक निर्माण विभाग द्वारा ही किया जा रहा है। यह किसानों-व्यापारियों के हित से जुड़ा प्रकरण है, इसे प्राथमिकता दें। यहां गड्ढे नहीं होने चाहिए।अभी लगभग 6000 किमी सड़कों का पुनर्निर्माण/चौड़ीकरण/सुदृढ़ीकरण किया जाना है। इन्हें एफडीआर तकनीक से बनाया जाना चाहिए। इसके लिए बजट की कमी नहीं होने दी जाएगी।
● धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण मार्गों पर अच्छी सड़कें हों, पर्यटकों/श्रद्धालुओं को आवागमन में सुविधा हो, सड़कों के निर्माण/चौड़ीकरण किये जा रहे हैं। इसमें प्रत्येक जिले के सिख, बौद्ध, जैन, वाल्मीकि, रविदासी, कबीरपंथी सहित सभी पंथों/ संप्रदायों के धार्मिक/ऐतिहासिक/पौराणिक महत्व के स्थलों को जोड़ा जाए। मार्ग का चयन मानक के अनुरूप ही हो। जनप्रतिनिधियों से प्राप्त प्रस्ताव के आधार पर धर्मार्थ कार्य विभाग और संबंधित जिलाधिकारी के सहयोग से इसे समय से पूरा कराएं।
● सड़क निर्माण/चौड़ीकरण/सुदृढ़ीकरण के कार्यों में पर्यावरण संरक्षण की भावना का पूरा ध्यान रखा जाए। कहीं भी अनावश्यक वृक्ष नहीं कटने चाहिए। सड़क निर्माण की कार्ययोजना में मार्ग के बीच आने वाले वृक्षों के संरक्षण को अनिवार्य रूप से सम्मिलित करें।
● देवरिया-बरहज मार्ग का सुदृढ़ीकरण किया जाना आवश्यक है। इस संबंध में आवश्यक प्रस्ताव तैयार कर प्रस्तुत करें।
● औद्योगिक विकास विभाग, एमएसएमई एवं जैव ऊर्जा विभाग द्वारा डिफेंस कॉरिडोर, औद्योगिक लॉजिस्टिक्स पार्क, औद्योगिक क्षेत्र और प्लेज पार्क योजना जैसी बड़े महत्व की योजनाओं पर कार्य किया जा रहा है। इन औद्योगिक क्षेत्रों तक आने-जाने के लिए चयनित मार्गों को यथासंभव फोर लेन मार्ग से जोड़ा जाना चाहिए।
● ऐसे राज्य मार्ग जो वर्तमान में दो-लेन एवं दो-लेन से कम चौड़े हैं उन्हें लोक महत्ता के अनुरूप न्यूनतम दो-लेन विद पेव्ड शोल्डर की चौड़ाई में निर्माण किया जाना चाहिए।
● सभी विधानसभाओं के प्रमुख जिला मार्गों को न्यूनतम दो-लेन (7 मीटर) एवं अन्य जिला मार्गों को न्यूनतम डेढ़-लेन (5.50 मीटर) चौडाई में निर्माण कराया जाए। जनप्रतिनिधियों से प्रस्ताव लें, प्राथमिकता तय करें और कार्य प्रारंभ कराएं।
● क्षतिग्रस्त सेतु, जनता द्वारा निर्मित अस्थाई पुल, संकरे पुल, बाढ़ के कारण प्रायः क्षतिग्रस्त होने वाले मार्गों पर पुल तथा सार्वजनिक, धार्मिक एवं पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण मार्गों पर सेतु निर्माण को प्राथमिकता में रखें। हर विधानसभा में जरूरत के अनुसार 03 लघु सेतुओं के निर्माण की कार्ययोजना तैयार करें।
● जहां भी दीर्घ सेतु क्षतिग्रस्त हैं, उन्हें तत्काल ठीक कराया जाए। सभी जिलों से प्रस्ताव लें, जहां दीर्घ सेतु की आवश्यकता हो, कार्ययोजना में सम्मिलित करें। शहरी क्षेत्रों में क्षतिग्रस्त/संकरे सेतुओं के स्थान पर नये सेतुओं का निर्माण कराया जाना आवश्यक है। इसका लाभ सभी जिलों को मिलना चाहिए।
● रेल ओवरब्रिज/रेल अंडरब्रिज से जुड़े प्रस्तावों को तत्काल भारत सरकार को भेजें। राज्य सरकार द्वारा इसमें हर जरूरी सहयोग किया जाए।
● शहरों की घनी आबादी को जाम से मुक्ति दिलाने हेतु बाईपास रिंगरोड/फ्लाईओवर निर्माण कराया जाना चाहिए। निर्माण कार्य का प्रस्ताव शहर/कस्बे की आबादी एवं प्राथमिकता के आधार पर तैयार किया जाए।
● वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर ऐसी बसावट/ग्राम जिसकी आबादी 250 से अधिक हो तथा मार्ग की लम्बाई 1.00 किमी या उससे अधिक हो, उन्हें एकल कनेक्टिीविटी प्रदान किये जाने हेतु संपर्क मार्ग का निर्माण कराया जाए। इसी प्रकार, दो ग्रामों/बसावों को जिनकी आबादी 250 से अधिक है, को इंटर-कनेक्टिविटी प्रदान किये जाने हेतु सम्पर्क मार्ग का निर्माण भी हो। इसके लिए सर्वे कराएं, आवश्यकता को परखें, फिर निर्णय लें।
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