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नेशनल

वैज्ञानिकों को मिलकर प्राथमिकता तय करनी होगी : मोदी

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नई दिल्ली| राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने शनिवार को यह भरोसा जाहिर किया कि भारत और मालदीव के बीच सहयोग और पारंपरिक मित्रवत संबंध आगे मजबूत होंगे। प्रणब ने मालदीव के राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन अब्दुल गयूम के नाम संदेश में कहा, “मुझे उम्मीद है कि दोनों देशों के बीच मौजूदा सहयोग तथा पारंपरिक मित्रवत संबंध आने वाले सालों में और मजबूत होंगे।”

राष्ट्रपति ने एक बयान में कहा, “मुझे मालदीव के स्वतंत्रता दिवस तथा आजादी के 50 साल पूरे करने पर वहां की जनता और आपको बधाई तथा शुभकामनाएं देते हुए हार्दिक खुशी का अनुभव हो रहा है।”

उन्होंने कहा, “यह साल भारत तथा मालदीव के बीच कूटनीतिक संबंध को भी 50 साल पूरे हो गए हैं। आपकी अच्छी सेहत तथा बेहतरी के लिए मेरी शुभकामनाएं स्वीकार करें।”

पटना| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां शनिवार को कहा कि कृषि के क्षेत्र में लगे सभी वैज्ञानिकों को मिलकर प्राथमिकता तय करनी होगी। उन्होंने कहा कि आज देश में हरित क्रांति सहित कृषि के चार क्षेत्रों में क्रांति की जरूरत है। पटना में आयोजित भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के 87वें स्थापना दिवस समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि आज वैज्ञानिकों को उनके काम के प्रति जितनी सराहना मिलनी चाहिए, वह नहीं मिल पाती। इस कारण वैज्ञानिकों के उत्साह में कमी आती है।

प्रधानमंत्री ने कृषि प्रधान देश में कृषि के पिछड़ेपन पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि आज भी देश कृषि के क्षेत्र में आत्मनिर्भर नहीं है और कृषि उत्पादों को आयात करना पड़ता है। यह बहुत दुख की बात है।

उन्होंने वैज्ञानिकों से वैश्विक परिवेश को ध्यान में रखते हुए मिलकर प्राथमिकता तय करने की अपील की। प्रधानमंत्री ने माना कि देश में वैज्ञानिकों को जितना मान-सम्मान मिलना चाहिए, उतना उन्हें नहीं मिल पाता और सरकार भी अन्य प्राथमिकताओं के कारण कृषि क्षेत्र के लिए अपेक्षित बजट उपलब्ध नहीं करा पाती।

उन्होंने कृषि के क्षेत्र में चार क्रांतियों की जरूरत बताते हुए कहा कि आज ऊर्जा क्रांति, हरित क्रांति, श्वेत क्रांति और नील क्रांति की जरूरत है। इन सभी क्षेत्रों में विकास होने से ही देश आगे बढ़ेगा।

इससे पहले, मोदी ने 18 विभिन्न श्रेणियों में 82 लोगों को पुरस्कार देकर सम्मानित किया। पुरस्कृत होने वालों में 55 वैज्ञानिक, सात किसान और छह पत्रकार शमिल थे।

उल्लेखनीय है कि आईसीएआर का स्थापना समारोह पहली बार दिल्ली से बाहर हो रहा है।

इस मौके पर राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह सहित कई अधिकारी उपस्थित रहे।

उत्तर प्रदेश

संभल में कैसे भड़की हिंसा, किस आधार पर हो रहा दावा, पढ़े पूरी रिपोर्ट

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संभल। संभल में एक मस्जिद के स्थान पर प्राचीन मंदिर होने और भविष्य में कल्कि अवतार के यहां होने के दावे ने हाल ही में काफी सुर्खियां बटोरी हैं. इस दावे के पीछे कई धार्मिक और ऐतिहासिक तथ्य बताए जा रहे है. उत्तर प्रदेश के संभल में कल्कि अवतार और उनके मंदिर को लेकर कई दावे पहले से ही किए जा रहे हैं. इसे लेकर धार्मिक मान्यताओं और शास्त्रों के आधार पर गहरी चर्चा हो भी रही है. हिंदू धर्म में कल्कि अवतार को भगवान विष्णु का दसवां और अंतिम अवतार माना गया है. ऐसा माना जाता है कि कलियुग के अंत में जब अधर्म और अन्याय अपने चरम पर होगा तब भगवान कल्कि अवतार लेकर पृथ्वी पर धर्म की स्थापना करेंगे.

कैसे भड़की हिंसा?

24 नवंबर को मस्जिद में हो रहे सर्वे का स्थानीय लोगों ने विरोध किया. पुलिस भीड़ को नियंत्रित करने के लिए मौके पर थी. सर्वे पूरा होने के बाद जब सर्वे टीम बाहर निकली तो तनाव बढ़ गया. भीड़ ने पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया, जिसके कारण स्थिति बिगड़ गई और हिंसा भड़क उठी.

दावा क्या है?

हिंदू पक्ष का दावा है कि संभल में स्थित एक मस्जिद के स्थान पर प्राचीन काल में एक मंदिर था. इस मंदिर को बाबर ने तोड़कर मस्जिद बनवाई थी. उनका यह भी दावा है कि भविष्य में कल्कि अवतार इसी स्थान पर होंगे.

किस आधार पर हो रहा है दावा?

दावेदारों का कहना है कि उनके पास प्राचीन नक्शे हैं जिनमें इस स्थान पर मंदिर होने का उल्लेख है. स्थानीय लोगों की मान्यता है कि इस स्थान पर प्राचीन काल से ही पूजा-अर्चना होती थी. कुछ धार्मिक ग्रंथों में इस स्थान के बारे में उल्लेख मिलता है. हिंदू धर्म के अनुसार कल्कि अवतार भविष्य में आएंगे और धर्म की स्थापना करेंगे. दावेदारों का मानना है कि यह स्थान कल्कि अवतार के लिए चुना गया है.

किस आधार पर हो रहा है विरोध?

अभी तक इस दावे के समर्थन में कोई ठोस पुरातात्विक साक्ष्य नहीं मिला है. जो भी ऐतिहासिक रिकॉर्ड्स उपल्बध हैं वो इस बात की पुष्टि करते हैं कि इस स्थान पर एक मस्जिद थी. धार्मिक ग्रंथों की व्याख्या कई तरह से की जा सकती है और इनका उपयोग किसी भी दावे को सिद्ध करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए.

संभल का धार्मिक महत्व

शास्त्रों और पुराणों में यह उल्लेख है कि भगवान विष्णु का कल्कि अवतार उत्तर प्रदेश के संभल नामक स्थान पर होगा. इस आधार पर संभल को कल्कि अवतार का स्थान माना गया है. श्रीमद्भागवत पुराण और अन्य धर्मग्रंथों में कल्कि अवतार का वर्णन विस्तार से मिलता है जिसमें कहा गया है कि कल्कि अवतार संभल ग्राम में विष्णुयश नामक ब्राह्मण के घर जन्म लेंगे.

इसी मान्यता के कारण संभल को कल्कि अवतार से जोड़ा जाता है. संभल में बने कल्कि मंदिर को लेकर यह दावा किया जा रहा है कि यही वह स्थान है जहां भविष्य में भगवान कल्कि का प्रकट होना होगा. मंदिर के पुजारी और भक्तों का कहना है कि यह स्थान धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र है और यहां कल्कि भगवान की उपासना करने से व्यक्ति अधर्म से मुक्ति पा सकता है.

धार्मिक विश्लेषण

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, कल्कि अवतार का समय तब होगा जब अधर्म, पाप और अन्याय चरम पर पहुंच जाएंगे. वर्तमान में दुनिया में मौजूद सामाजिक और नैतिक स्थितियों को देखकर कुछ लोग यह मानते हैं कि कल्कि अवतार का समय निकट है. संभल में कल्कि मंदिर को लेकर जो भी दावे किए जा रहे हैं वो सभी पूरी तरह से आस्था पर आधारित हैं. धार्मिक ग्रंथों में वर्णित समय और वर्तमान समय के बीच अभी काफी अंतर हो सकता है. उत्तर प्रदेश के संभल में कल्कि अवतार और मंदिर का दावा धार्मिक मान्यताओं और शास्त्रों पर आधारित है. हालांकि, यह दावा प्रमाणिकता के बजाय विश्वास पर आधारित है. यह भक्तों की आस्था है जो इस स्थान को विशेष बनाती है.

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