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शारदा घोटाला : सीबीआई ने मित्रा की जमानत को चुनौती दी

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कोलकाता। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने मंगलवार को करोड़ों रुपये के शारदा चिटफंड घोटाले के आरोपी पश्चिम बंगाल के परिवहन मंत्री मदन मित्रा की जमानत रद्द करने की मांग को लेकर कोलकाता उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। सीबीआई ने परिवहन मंत्री मित्रा के खिलाफ शारदा घोटाले में धोखाधड़ी, जालसाजी और अमानत में खयानत का मामला दर्ज किया है। मित्रा को शनिवार को एक निचली अदालत ने जमानत दी थी। उन्हें इस मामले में करीब 11 माह पहले गिरफ्तार किया गया था।

मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति हरीश टंडन और न्यायमूर्ति इशान चंद्रा दास की खंडपीठ ने सीबीआई को न्यायालय में याचिका दायर करने और मित्रा के अधिवक्ता को इसकी एक प्रति भेजने की इजाजत दे दी है। सीबीआई की ओर से यह कदम मित्रा को रविवार को शहर के सरकारी अस्पताल एसएसकेएम से छुट्टी दिए जाने के बाद उठाया गया है। मित्रा अपनी अधिकांश हिरासत अवधि के दौरान अस्पताल में भर्ती रहे और निचली अदालत की ओर से जमानत मिलने के 24 घंटों के भीतर ही उन्हें अस्पताल से छुट्टी भी दे दी गई।

जेल प्रशासन के अनुसार, परिवहन मंत्री मित्रा को शारदा घोटाले में उनकी संलिप्तता के चलते 19 दिसंबर को न्यायिक हिरासत में भेजा गया था। हिरासत में भेजे जाने के बाद उन्होंने जेल में 50 से भी कम दिन बिताए। वह ज्यादातर समय अस्पताल में भर्ती रहे।

नेशनल

बेंगलुरु में दस साल से शर्मा बनकर रह रहा था पाकिस्तानी परिवार, घर की दीवारों से खुला राज, गिरफ्तार

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बेंगलुरु। पिछले 10 साल से भारत में फर्जी पहचान के साथ रहने वाले 4 पाकिस्तानियों को 30 सितंबर को गिरफ्तार किया गया है। इनके असली नाम राशिद अली सिद्दीकी (47), आयशा (38), हानिफ मोहम्मद (73) और रुबीना (61) है। ये लोग राजपुरा गाँव में शंकर शर्मा, आशा रानी, राम बाबू शर्मा और रानी शर्मा नाम से रह रहे थे।

‘मेहदी फाउंडेशन इंटरनेशनल जश्न-ए-युनूस’ घर की दीवारों पर लिखा था।

पुलिस ने खुफिया इनपुट्स के आधार पर इन्हें चेन्नई इंटरनेशनल एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया है। ये लोग ढाका से चन्नई एयरपोर्ट पर उतरे थे। जाँच के दौरान आव्रजन अधिकारियों ने इन्हें इनके फर्जी पासपोर्टों के साथ गिरफ्तार किया गया।पूछताछ में पहले इन्होंने बताया कि ये लोग शर्मा परिवार है और बेंगलुरु में 2018 से रह रहे हैं। इनके पास जो पहचान पत्र मिले उनमें भी हिंदू नाम दिखे। हालाँकि जब पुलिस छानबीन के लिए इनके घर गई तो इनके घर की दीवार पर बड़ा-बड़ा ‘मेहदी फाउंडेशन इंटरनेशनल जश्न-ए-युनूस’ लिखा था।

जब सिद्दीकी से सख्ती से पूछताछ हुई तो उसने मान लिया कि वो पाकिस्तानी है और कराची के लियायकतबाद के निवासी है। वहीं उसकी बीवी और उसका परिवार लाहौर का है। उसने बताया कि उसका निकाह आयशा से साल 2011 में ऑनलाइन हुआ था जब वो अपने माता पिता के साथ बांग्लादेश में रहती थी। बाद में राशिद को भी बांग्लादेश आना पड़ा क्योंकि पाकिस्तान मे उसका विरोध होने लगा था।

बांग्लादेश में उसने मेहदी फाउंडेशन में उलेमा का काम शुरू किया। जहाँ संस्था ही उसका सारा खर्चा उठाती थी। बाद में 2014 में भी सिद्दीकी पर हमला हुआ और तब उसे किसी परवेज नाम के शख्स ने भारत में अवैध रूप से एंट्री करा दी।

पुलिस ने दर्ज किया मुकदमा

हकीकत खुलने के बाद पुलिस ने इन चारों की गिरफ्तारी कर ली है। मले को आईपीसी की धारा 420, 468, 471 के तहत और पासपोर्ट एक्ट की सुसंगत धाराओं के तहत दर्ज किया है।

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