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शिक्षा माफियाओं के गहरे जाल में फंसा ‘स्किल इंडिया’

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देश में शिक्षा माफियाओं की जड़ें दिन-प्रतिदिन गहरी होती नजर आ रही हैं। हर दूसरे दिन हो रहे नए-नए खुलासों ने भी इन पर मुहर लगा दी है। पहले दिल्ली सरकार में कानून मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर की एलएलबी की डिग्री फर्जी साबित हुई। फिर यह भी आरोप लगा कि तोमर की स्नातक की डिग्री भी फर्जी है और उसे यूपी के फैजाबाद स्थित साकेत महाविद्यालय से जारी किया गया था। इस डिग्री को अवध विश्वविद्यालय ने पहले ही फर्जी करार दे दिया था। इस सब के बावजूद न तो अवध विवि ने और न ही महाविद्यालय प्रशासन ने ऐसे गिरोहों की तलाश कराना मुनासिब समझा, जो फर्जी डिग्री बनाने के कारोबार में लिप्त हैं। जबकि इस बात के साफ संकेत हैं कि अवध विवि में फर्जीवाड़ा करने वाले कई लोग सक्रिय हैं।

ये बवाल अभी ठंडा भी नहीं पड़ पाया था कि लखनऊ विश्वविद्यालय में जाली मार्क्सशीट के खेल पर पड़ा पर्दा उठ गया। और तो और विश्वविद्यालय की जाली मार्क्सशीट बाजार में भी बिकती मिलीं। बीए और बीपीएड की 94 जाली मार्क्सशीट व डिग्रियां जांच में पकड़ी गईं। इसे लेकर विश्वविद्यालय के कई बाबू संदेह के घेरे में हैं। फिलहाल विश्वविद्यालय ने जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी गठित कर दी है। इन फर्जी डिग्रियों का धंधा कर रहे शिक्षा माफियाओं के हौसले कितने बुलंद हैं कि इसका अंदाजा इसी से लग जाता है कि जिस कॉलेज में संबंधित कोर्स नहीं भी होता है, वे बेखटके उसकी भी फर्जी मार्क्सशीट या डिग्री बना देते हैं। लखनऊ विश्वविद्यालय जालसाजों के लिए आसान टारगेट इसलिए भी है क्योंकि इन मार्क्सशीट व डिग्री पर बार कोड नहीं होता। जिससे जांच होने पर इन्हें पकड़ पाना इतना आसान नहीं होता। ये मार्क्सशीट साधारण कागज पर ही बनी होती है। जिस पर सिर्फ यूनिवर्सिटी का मोनोग्राम होता है। इससे मार्क्सशीट बनाना आसान होता है। इन कमियों को जानने वाले शिक्षा माफिया या धंधेबाज बेहद कम रकम पर ही जाली प्रमाणपत्र तैयार करवा देते हैं। मार्क्सशीट या डिग्री की जांच के लिए भी व्यवस्था बेहद लचर है। इनकी मैनुअल चेकिंग की व्यवस्था है। बीते सालों में शिक्षा माफियाओं ने इसमें भी सेंधमारी की है। अगर यूनिवर्सिटी इस पर कोई बार कोड डाले तो इसे और आसानी से पकड़ा जा सकता है।

कुछ दिनों पहले लखनऊ में सीबीआई ने कैट 2012 के नतीजों में हेरफेर के आरोप में दो आरोपियों को भी गिरफ्तार किया। इस गोरखधंधे का मास्टरमाइंड पहले ही सीबीआई की गिरफ्त में था। जिन दोनों आरोपियों को गिरफ्तार किया गया, वे दोनों गाजियाबाद की एक कसंल्टेंसी फर्म से जुड़े हुए हैं। आईआईएम की वेबसाइट का काम देख रही कंपनी का कर्मचारी ही मास्टरमाइंड था और उसी के माध्यम से दोनों आरोपियों ने कैट के नतीजों में हेरफेर करवाया था।

पिछले महीने बिहार में धड़ल्ले से जारी नकल की ढेरों तस्वीरें सामने आई थीं। उन तस्वीरों में पुलिसकर्मी भी नकल कराते नजर आ रहे थे। तब यह तक कहा गया कि बिहार नकल करने और कराने वालों का अड्डा है।

कुल मिलाकर सभी घटनाएं ये साफ इशारा कर रही हैं कि माध्यमिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक भ्रष्टाचार का घुन बहुत गहरा है। शिक्षा माफिया हर क्षेत्र में सक्रिय हैं। नामी-गिरामी परीक्षाएं जैसे यूपीएससी और कैट भी इनसे अछूते नहीं हैं। आईएएस प्रशिक्षण संस्थान तक में इनकी गहरी पहुंच है। इन हालात में इनको नेस्तनाबूद किए बिना स्किल इंडिया की उम्मीद करना बेमानी है।

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पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला, 38 लोगों की मौत

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पख्तूनख्वा। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला हुआ है। इस हमले में 38 लोगों की मौत हो गई है। यह हमला खैबर पख्तूनख्वा के डाउन कुर्रम इलाके में एक पैसेंजर वैन पर हुआ है। हमले में एक पुलिस अधिकारी और महिलाओं समेत दर्जनों लोग घायल भी हुए हैं। जानकारी के मुताबिक उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में आतंकियों ने शिया मुस्लिम नागरिकों को ले जा रहे यात्री वाहनों पर गोलीबारी की है। यह क्षेत्र में हाल के वर्षों में इस तरह का सबसे घातक हमला है। मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है।

AFP की रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले में 38 लोगों की मौत हुई है. पैसेंजर वैन जैसे ही लोअर कुर्रम के ओचुट काली और मंदुरी के पास से गुजरी, वहां पहले से घात लगाकर बैठे आतंकियों ने वैन पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. पैसेंजर वैन पाराचिनार से पेशावर जा रही थी। पाकिस्तान की समाचार एजेंसी डॉन के मुताबिक तहसील मुख्यालय अस्पताल अलीजई के अधिकारी डॉ. ग़यूर हुसैन ने हमले की पुष्टि की है.

शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच तनाव 

अफगानिस्तान की सीमा से लगे कबायली इलाके में भूमि विवाद को लेकर शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच दशकों से तनाव बना हुआ है। किसी भी समूह ने घटना की जिम्मेदारी नहीं ली है। जानकारी के मुताबिक “यात्री वाहनों के दो काफिले थे, एक पेशावर से पाराचिनार और दूसरा पाराचिनार से पेशावर यात्रियों को ले जा रहा था, तभी हथियारबंद लोगों ने उन पर गोलीबारी की।” चौधरी ने बताया कि उनके रिश्तेदार काफिले में पेशावर से यात्रा कर रहे थे।

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