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प्रादेशिक

शिवराज की सफलता का एक और साल

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सिंहावलोकन : 2014
भोपाल| सियासत के मैदान में कम ही लोग ऐसे होते हैं, जिनकी झोली में साल दर साल सफलताएं आती जाती हैं। ऐसे लोगों में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का नाम भी शुमार है। बीते साल राजनीति के मैदान में उन्होंने न केवल अपने अंक बढ़ाए हैं, बल्कि विरोधियों को हर मुहाने पर मात दी है।

पिछले साल 2013 में चौहान की अगुवाई में भाजपा ने विधानसभा चुनाव में लगातार तीसरी बार विजय पताका फहराई थी तो इस वर्ष 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने राज्य की 29 में से 27 सीटों पर जीत दर्ज कर पार्टी को केंद्र में सत्ता हासिल कराने में अपनी भूमिका निभाई।

एक तरफ जहां भाजपा ने लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के सिर्फ दो दिग्गजों कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया को ही जीतने का अवसर दिया, वहीं नगरीय निकाय चुनाव में रही सही कसर पूरी कर दी। राज्य के दस नगर निगमों के महापौर पद पर भाजपा ने जीत दर्ज की तो अधिकांश नगर पालिकाएं और नगर पंचायतें अपनी झोली में डाल ली। अभी पांच नगर निगमों के चुनाव होना शेष है।

भाजपा के लिए बीते 11 वर्षो में एक भी चुनाव ऐसा नहीं आया है, जब उसे किसी बड़ी हार का सामना करना पड़ा हो। वहीं उसने विरोधी दल कांग्रेस को ठिकाने लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। एक वर्ष के भीतर ही कांग्रेस के तीन विधायकों ने पार्टी का दामन छोड़ने का मन बनाया, उनमें से एक तो संजय पाठक भाजपा के टिकट पर विधायक का चुनाव तक जीत चुके हैं।

भाजपा की रणनीति ने कांग्रेस को हर मौके पर चित करने में सफलता पाई है। लोकसभा चुनाव की ही बात करें तो कांग्रेस के होशंगाबाद से सांसद रहे राव उदय प्रताप सिंह ने ऐन चुनाव से पहले पार्टी को झटका दिया और भाजपा का दामन थाम लिया। इतना ही नहीं, भिंड लोकसभा क्षेत्र से उम्मीदवार घोषित किए जाने के बाद डा. भागीरथ प्रसाद ने भाजपा के उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की।

ऐसा नहीं है कि कांग्रेस ने शिवराज सरकार को घेरने की कोशिश नहीं की, मगर कांग्रेस को उसमें ज्यादा सफलता नहीं मिली। विधानसभा में कांग्रेस कभी एकजुट नजर नहीं आई। इसका लाभ भाजपा और शिवराज को मिला। इतना ही नहीं, कांग्रेस ने जब भी शिवराज के खिलाफ माहौल बनाने की कोशिश की तब उसे अपनों ने ही दगा दे दिया।

वर्ष 2005 में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर राजनीति के क्षितिज पर अचानक अभ्युदय होने वाले शिवराज ने पिछले आठ वर्ष की तरह 2014 में भी अपनी सफलता व उपलब्धियों का क्रम जारी रखा। घोटालों का साया भी हालांकि उनके आसपास मंडराता रहा और नए-नए धनकुबेरों का खुलासा होता रहा।

IANS News

महाकुंभ मेला क्षेत्र के सभी सेक्टरों में नियुक्त किए गए सेक्टर मजिस्ट्रेट

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प्रयागराज। महाकुंभ 2025 को लेकर प्रयागराज में तेजी से निर्माण कार्य चल रहा है। सीएम योगी के दिव्य भव्य महाकुंभ की योजना के मुताबिक महाकुंभ नगरी ने संगम तट पर आकार लेना शुरू कर दिया है। महाकुंभ में आने वाले करोड़ों श्रद्धालुओं, कल्पवासियों और साधु-संन्यासियों के रहने और स्नान के लिए घाटों, अस्थाई सड़कों व टेंट सिटी का निर्माण शुरू हो गया है। प्रयागराज मेला प्रधिकरण ने योजना के मुताबिक पूरे मेला क्षेत्र को 25 सेक्टरों में बांटा हैं। सेक्टर और कार्य के मुताबिक सेक्टर मजिस्ट्रेटों की नियुक्ति कर दी गई है। सभी सेक्टर मजिस्ट्रेट अपने – अपने सेक्टर में भूमि अधिग्रहण से लेकर प्रशासन व्यवस्था के लिए जिम्मेदार रहेंगे। महाकुंभ के दौरान सेक्टर मजिस्ट्रेट आम जनता और प्रशासन के बीच कड़ी का कार्य करेंगे।

विभागीय समन्वय का करेंगे कार्य

महाकुंभ 2025 में लगभग 45 करोड़ श्रद्धालुओं के आने और लगभग 1 लाख से अधिक लोगों के कल्पवास करने की संभावना है। इसके साथ ही हजारों की संख्या में साधु-संन्यासियों और मेला प्रशासन के लोग महाकुंभ के दौरान मेला क्षेत्र में रहेंगे। इन सबके रहने के लिए टेंट सिटी व स्नान के लिए घाटों और मार्गों का निर्माण कार्य युद्धस्तर पर चल रहा है। पूर्व योजना के मुताबिक प्रयागराज मेला प्राधिकरण ने पूरे महाकुंभ क्षेत्र को 25 सेक्टरों में बांटा है। 4000 हेक्टेयर और 25 सेक्टरों में बंटा महाकुंभ मेला क्षेत्र इससे पहले के किसी भी महाकुंभ मेले से सबसे बड़ा क्षेत्र है। मेला प्राधिकरण ने प्रत्येक सेक्टर में भूमि अधिग्रहण से लेकर प्रशासन व्यवस्था और विभागीय समन्वय के लिए उप जिलाधिकारियों को सेक्टर मजिस्ट्रेट के तौर पर नियुक्ति किया है। ये सेक्टर मजिस्ट्रेट पूरे महाकुंभ के दौरान अपने-अपने सेक्टर, कार्य विभाग और विभागीय समन्वयन का कार्य करेंगे।

अधिकांश ने ग्रहण किया कार्यभार

प्रयागराज मेला प्राधिकरण ने सेक्टर वाईज सेक्टर मजिस्ट्रेट की लिस्ट जारी कर दी है। इस सबंध में एसडीएम मेला अभिनव पाठक ने बताया कि अधिकांश सेक्टर मजिस्ट्रेटों ने कार्यभार ग्रहण कर लिया है। शेष अपनी विभागीय जिम्मेदारियों से मुक्त होकर जल्द ही मेला क्षेत्र में अपना कार्यभार ग्रहण कर लेंगे। जो कि महाकुंभ के दौरान अपने-अपने सेक्टर की प्रशासन व्यवस्था व विभागीय समन्वयन का कार्य करेंगे। प्रत्येक सेक्टर में भूमि आवंटन की प्रगति और लोगों की समस्याओं के त्वरित निस्तारण में ये सेक्टर मजिस्ट्रेट मददगार होंगे।

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