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प्रादेशिक

शिवसेना ने उगली आग, मुफ्ती को कहा- गीदड़ की औलाद

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मुंबई। शिवसेना ने जम्मू कश्मीर में भाजपा-पीडीपी सरकार के मुखिया मुफ्ती मोहम्मद सईद के खिलाफ आग उगली है। शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में ‘गीदड़ की औलाद’ शीर्षक से छपे संपादकीय में भाजपा को भी नसीहत दी गई है। संपादकीय में मुफ्ती के पाकिस्तान प्रेम पर जमकर निशाना साधते हुए कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद का पाकिस्तान और अफजल गुरु के संदर्भ में दिया गया बयान देशद्रोह और सर्वोच्च न्यायालय की अवमानना के समान है।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने महीने की शुरुआत में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के सहयोग से जम्मू एवं कश्मीर में सरकार बनाई है। शिवसेना ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में लिए गए शपथ के तुरंत बाद सईद ने जम्मू एवं कश्मीर में शांतिपूर्ण चुनाव का श्रेय पाकिस्तान और पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों को दिया। एक दिन बाद सईद और उनकी पार्टी पीडीपी ने अफजल गुरु के अवशेष की मांग की थी। अफजल को संसद भवन पर हमला मामले में संलिप्त रहने का दोषी पाया गया था और उसे 2013 में फांसी दे दी गई थी। सामना में लिखा गया है, ‘सईद के शपथ ग्रहण समारोह में पीएम मौजूद थे। शपथ के बाद सईद ने उसी जगह जहर उगला। सईद का कहना है कि कश्मीर में में चुनाव शांतिपूर्वक पाकिस्तान और पाकिस्तानपरस्त आतंकी संगठनों की मेहरबानी से संपन्न हो सके। यह बयान देकर सईद ने साबित कर दिया कि वह खुद गीदड़ की औलाद हैं।’

शिवसेना ने कहा कि सफल चुनाव का श्रेय निर्वाचन आयोग, आतंकवादी खतरे के बीच मतदान केंद्रों पर कतारों में खड़े रहने वाली जनता और 24 घंटे तैनात भारतीय सैनिकों को दी जानी चाहिए। शिव सेना ने अपने मुखपत्र सामना के संपादकीय में शनिवार को कहा, “हालांकि, पाकिस्तान और आतंकवादियों को श्रेय देकर सईद ने निर्वाचन आयोग, जनता और सेना का अपमान किया है और अफजल के पार्थिव अवशेष की मांग कर राजद्रोह की सारी सीमाएं लांघ दी है।” सामना ने आगाह किया है, “अंतत: अफजल एक अपराधी था और उसे सहानुभूति देना सर्वोच्च न्यायालय की अवमानना करने के समान और भारतीय कानून के साथ खिलवाड़ करना है। अगर सईद का यह आचरण जारी रहा, तो देश को भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।” शिवसेना ने यह भी कहा है कि भाजपा को जम्मू एवं कश्मीर में पीडीपी के साथ गठबंधन सरकार चलाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा।

उत्तर प्रदेश

योगी सरकार टीबी रोगियों के करीबियों की हर तीन माह में कराएगी जांच

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लखनऊ |  योगी सरकार ने टीबी रोगियों के संपर्क में रहने वाले व्यक्तियों एवं पूर्व टीबी रोगियों की स्क्रीनिंग कराने का निर्णय लिया है। यह स्क्रीनिंग हर तीन महीने पर होगी। वहीं साल के खत्म होने में 42 दिन शेष हैं, ऐसे में वर्ष के अंत तक हर जिलों को प्रिजेंम्टिव टीबी परीक्षण दर के कम से कम तीन हजार के लक्ष्य को हासिल करने के निर्देश दिये हैं। इसको लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य ने सभी जिला क्षय रोग अधिकारियों (डीटीओ) को पत्र जारी किया है।

लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को किया जा रहा और अधिक सुदृढ़

प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। ऐसे मेें टीबी रोगियों की युद्धस्तर पर स्क्रीनिंग की जा रही है। इसी क्रम में सभी डीटीओ डेटा की नियमित माॅनीटरिंग और कमजोर क्षेत्रों पर ध्यान देने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) का लक्ष्य टीबी मामलों, उससे होने वाली मौतों में कमी लाना और टीबी रोगियों के लिए परिणामों में सुधार करना है। ऐसे में इस दिशा में प्रदेश भर में काफी तेजी से काम हो रहा है। इसी का परिणाम है कि इस साल अब तक प्रदेश में टीबी रोगियों का सर्वाधिक नोटिफिकेशन हुआ है। तय समय पर इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को और अधिक सुदृढ़ किया गया है।

कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग से टीबी मरीजों की तेजी से होगी पहचान

राज्य क्षय रोग अधिकारी डाॅ. शैलेन्द्र भटनागर ने बताया कि टीबी के संभावित लक्षण वाले रोगियों की कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग को बढ़ाते हुए फेफड़ों की टीबी (पल्मोनरी टीबी) से संक्रमित सभी लोगों के परिवार के सदस्यों और कार्यस्थल पर लोगों की बलगम की जांच को बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग जितनी ज्यादा होगी, उतने ही अधिक संख्या में टीबी मरीजों की पहचान हो पाएगी और उनका इलाज शुरू हो पाएगा। इसी क्रम में उच्च जोखिम वाले लोगों जैसे 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों, डायबिटीज रोगियों, धूम्रपान एवं नशा करने वाले व्यक्तियों, 18 से कम बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) वाले व्यक्तियों, एचआईवी ग्रसित व्यक्तियों और वर्तमान में टीबी का इलाज करा रहे रोगियों के सम्पर्क में आए व्यक्तियों की हर तीन माह में टीबी की स्क्रीनिंग करने के निर्देश दिये गये हैं।

हर माह जिलों का भ्रमण कर स्थिति का जायजा लेने के निर्देश

टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए नैट मशीनों का वितरण सभी ब्लाॅकों पर टीबी की जांच को ध्यान रखने में रखते हुए करने के निर्देश दिये गये हैं। साथ ही उन टीबी इकाइयों की पहचान करने जो आशा के अनुरूप काम नहीं कर रहे हैं उनमें सुधार करने के लिए जरूरी कदम उठाने का आदेश दिया गया है। क्षेत्रीय टीबी कार्यक्रम प्रबन्धन इकाई (आरटीपीएमयू) द्वारा हर माह में जनपदों का भ्रमण करते हुए वहां की स्थिति का जायजा लेने के भी निर्देश दिए हैं।

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