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संभलकर! बहरा भी बना सकता है स्मार्टफोन

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टोरंटो। तेज आवाज, शोरगुल हमारे कानों के लिए हानिकारक होती है, यह तो आपको पता ही होगा लेकिन शोधकर्ताओं ने चेताया है कि अगर आप अपने स्मार्टफोन से भी तेज आवाज में संगीत भी सुनते हैं तो आपकी श्रवणक्षमता प्रभावित हो सकती है और आप बहरेपन का शिकार हो सकते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने एक ताजा रिपोर्ट में बताया कि दुनिया में लगभ्गा एक अरब लोगों को स्थायी बहरेपन का खतरा है।

डब्ल्यूएचओ में मूक बधिरता एवं बहरेपन की तकनीकी अधिकारी शैली चड्ढा ने बताया कि बहुत से लोग स्मार्टफोन पर बहुत तेज आवाज मे संगीत सुनते हैं, जो कि श्रवणक्षमता के लिए खतरा है। सीबीसी डॉट सीए के मुताबिक कनाडियन हियरिंग सोसाइटी में मुख्य ऑडियोलॉजिस्ट रेक्स बैंक्स ने बताया कि कान के पर्दे पर आवाज डालने वाली किसी भी चीज का करीबी से पर्यवेक्षण करने की जरूरत है।
तेज शोर के कारण कान के आंतरिक भाग की बरौनी (सिलिया) क्षतिग्रस्त होती हैं, ये सिलिया, यानी छोटे-छोटे बाल ध्वनि की किरणों को इलेक्ट्रॉनिक संकेतों में बदलती हैं, जो दिमाग तक जाती हैं। क्षतिग्रस्त सिलिया कभी दोबारा वृद्धि नहीं करतीं। बैंक्स ने बताया, “एक बार क्षतिग्रस्त हो जाने के बाद वे अचल हो जाती हैं।” लोग अधिकतर सड़कों और पैदल पार पथों (सबवे) में भी संगीत सुनते हैं, जहां पृष्ठभूमि का शोरगुल और अधिक होता है, जिससे समस्या और जटिल हो जाती है।

बैंक्स ने बताया कि स्मार्टफोन और एमपी3 प्लेयरों के साथ आने वाले अधिकतर इयरफोन परिवेश के शोर को अवरूद्ध करने में अच्छा काम नहीं करते। इसलिए शोरगुल भरे माहौल में उपयोगकर्ता शहर के शोरगुल से निजात पाने के लिए स्माटफोन या एमपी3 पर चल रहे संगीत की आवाज बहुत तेज कर देते हैं। बोलने की सामान्य अवाज लगभग 60 डेसिबल होती है। 85 डेसिबल से अधिक आवाज लगभग आठ घंटे बाद और 100 डेसिबल से ऊपरी स्तर की आवाज 15 मिनट में ही श्रवण क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। इस समस्या से निजात पाने के लिए शोर-अवरोधित करने वाले इयरफोन इस समस्या का एक समाधान हो सकते हैं, जो शोरगुल का अवरोध करते हैं, जिससे संगीत प्रेमियों को धीमी और सुरक्षित आवाज में संगीत का आनंद ले सकते हैं।

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फेमस न्यूक्लियर फिजिस्ट होमी जहांगीर भाभा का आज जन्मदिन, जानें कुछ उनके बारे में

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नई दिल्ली। इंडियन न्यूक्लियर प्रोग्राम के जनक और फेमस न्यूक्लियर फिजिस्ट होमी जहांगीर भाभा का आज जन्मदिन है। जे. भाभा, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) के फाउंडिंग डायरेक्टर और फिजिक्स के प्रोफेसर भी थे। होमी जहांगीर भाभा का जन्म 30 अक्टूबर 1909 में एक अमीर पारसी परिवार में हुआ था। होमी जहांगीर भाभा के पिता का नाम जहांगीर होर्मुस्जी भाभा और माता का नाम मेहरबाई भाभा था, इनके पिता एक जाने-माने वकील थे जबकि माँ एक गृहिणी थीं।

होमी भाभा ने 16 साल की आयु में ही सीनियर कैम्ब्रिज परीक्षा पास कर ली थी। फिर वे गोनविले और कैयस कॉलेज में मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने के लिए कैम्ब्रिज गए। इसके बाद उन्होंने कैम्ब्रिज में कैवेंडिश लैब में रिसर्च करना शुरू किया और उनका पहला रिसर्च पेपर 1933 में प्रकाशित हुआ। दो साल बाद, उन्होंने अपनी पीएचडी हासिल की और 1939 तक कैम्ब्रिज में रहे।होमी भाभा ने छात्र के रूप में कोपेनहेगन में नोबेल पुरस्कार विजेता नील्स बोहर के साथ काम किया और क्वांटम सिद्धांत के विकास में प्रमुख भूमिका निभाई।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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