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सऊदी अरब ‘मेक इन इंडिया’ में हिस्सेदारी का इच्छुक : सऊदी राजदूत

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नई दिल्ली| भारत में सऊदी अरब के राजदूत ने कहा है कि उनका देश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी ‘मेक इन इंडिया’ योजना का हिस्सेदार बनने को इच्छुक है और अपने कारोबारियों को इस योजना के तहत भारत में मौकों की तलाश करने के लिए कहा है।

राजदूत सऊद बिन मोहम्मद एल-साती ने आईएएनएस को दिए साक्षात्कार में कहा, “मेरा मानना है कि मेक इन इंडिया पहल बहुत उम्दा विचार है और हम अपने कारोबारियों को भारत आने और निवेश करने को उत्साहित कर रहे हैं। दूतावास दोनों देशों के बीच निवेश को बढ़ावा देने के लिए हर प्रकार की सहायता करेगा, ताकि यह सुचारू और कुशलता पूर्वक हो।”

उन्होंने कहा कि सऊदी अरब अपने कारोबारियों को भारत में मौकों की तलाश और भारत सरकार द्वारा घोषित की गई परियोजनाओं में हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित कर रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि सऊदी अरब का निजी क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में निवेश कर रहा है।

उन्होंने कहा, “सैद्धांतिक रूप में हम कारोबारियों तथा निवेशकों को भारत आने और निवेश के लिए उत्साहित करते हैं। इस पर हमने पहले से ही कुछ समझौते कर रखे हैं तथा इसे और सहज एवं सुचारू बनाने के लिए वार्ता एवं प्रयास जारी हैं। हम भारतीय निवेशकों को भी सऊदी अरब आने और निवेश के लिए उत्साहित करेंगे। सऊदी अरब में भारतीय कंपनियों की मौजूदगी सकारात्मक है। सैकड़ों भारतीय कंपनियां सऊदी अरब की अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों मौजूद हैं और हम इसे और बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे हैं और बढ़ा भी रहे हैं।”

आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, सऊदी अरब भारत का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक साझीदार है। साल 2013-14 के बीच दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 48.62 अरब डॉलर का था, जो अप्रैल-नवंबर 2014 के दौरान 49.90 अरब डॉलर तक पहुंच गया था। भारत में सऊदी अरब से कच्चे तेल का आयात द्विपक्षीय व्यापार का एक बड़ा हिस्सा है।

सऊदी अरब में 28 लाख भारतीय प्रवासी कार्यरत हैं। वे सऊदी अरब की अर्थव्यवस्था के हर क्षेत्र से जुड़े हैं। भारतीय प्रवासी वहां वैज्ञानिक व शोध से लेकर निर्माण मजदूर तक के कामों से जुड़े हुए हैं। भारत-सऊदी अरब द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने में वे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

कुछ साल पहले समस्या उत्पन्न करने वाले नितकत या समीकरण योजना के बारे में राजदूत ने कहा कि उस मुद्दे का समाधान हो चुका है।

उन्होंने कहा, “मीडिया ने नितकत के बारे में काफी भ्रम फैलाया, खासकर भारत में। यह किसी खास देश से संबंधित नहीं है। उन्होंने कहा कि जब से इस नीति का क्रियान्वयन हुआ है, रोजगार में सऊदियों की संख्या में इजाफा हुआ है।”

राजदूत ने कहा, “नितकत को सुधारात्मक उपायों के साथ भ्रमित किया गया, जिसका मकसद वहां रह रहे अवैध लोगों को निकालना था। यह पूरी तरह अलग मुद्दा है।”

नेशनल

ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप को मनमानी करने पर 103 रुपये के बदले देना पड़ेगा 35,453 रुपये, जानें क्या है पूरा मामला

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हैदराबाद। ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप स्विगी को ग्राहक के साथ मनमानी करना भारी पड़ गया। कंपनी की इस मनमानी पर एक कोर्ट ने स्विगी पर तगड़ा जुर्माना ठोक दिया। हैदराबाद के निवासी एम्माडी सुरेश बाबू की शिकायत पर उपभोक्ता आयोग ने बड़ा फैसला सुनाया है। बाबू ने आरोप लगाया था कि स्विगी ने उनके स्विगी वन मेंबरशिप के लाभों का उल्लंघन किया और डिलीवरी Food Delivery की दूरी को जानबूझकर बढ़ाकर उनसे अतिरिक्त शुल्क वसूला

क्या है पूरा मामला ?

सुरेश बाबू ने 1 नवंबर, 2023 को स्विगी से खाना ऑर्डर किया था। सुरेश के लोकेशन और रेस्टॉरेंट की दूरी 9.7 किमी थी, जिसे स्विगी ने बढ़ाकर 14 किमी कर दिया था। दूरी में बढ़ोतरी की वजह से सुरेश को स्विगी का मेंबरशिप होने के बावजूद 103 रुपये का डिलीवरी चार्ज देना पड़ा। सुरेश ने आयोग में शिकायत दर्ज कराते हुए कहा कि स्विगी वन मेंबरशिप के तहत कंपनी 10 किमी तक की रेंज में फ्री डिलीवरी करने का वादा किया था।कोर्ट ने बाबू द्वारा दिए गए गूगल मैप के स्क्रीनशॉट्स और बाकी सबूतों की समीक्षा की और पाया कि दूरी में काफी बढ़ोतरी की गई है।

कोर्ट ने स्विगी को अनुचित व्यापार व्यवहार का दोषी पाया और कंपनी को आदेश दिया कि वे सुरेश बाबू को 9 प्रतिशत ब्याज के साथ 350.48 रुपये के खाने का रिफंड, डिलीवरी के 103 रुपये, मानसिक परेशानी और असुविधा के लिए 5000 रुपये, मुकदमे की लागत के लिए 5000 रुपए समेत कुल 35,453 रुपये का भुगतान करे।

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