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सचिवालय से 36 घंटे बाद बाहर निकलीं ममता बनर्जी, संसद में हंगामा
कोलकाता/नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी 36 घंटे बाद आखिरकार राज्य सचिवालय से बाहर निकलीं। राज्य सरकार को कथित तौर पर अंधेरे में रखकर राज्य में सेना की तैनाती के खिलाफ वह गुरुवार से ही सचिवालय में थीं। सचिवालय से बाहर निकलने से पहले उन्होंने संवाददाता सम्मेलन में धमकाते हुए कहा कि अगर सेना को नहीं हटाया गया, तो वह कानूनी विकल्प पर विचार करेंगी। वहीं इस मुद्दे पर शुक्रवार को संसद के दोनों सदनों में हंगामा हुआ, जिसके कारण दोनों सदनों की कार्यवाही में व्यवधान उत्पन्न हुआ। केंद्र सरकार तथा सेना ने आरोपों को बकवास करार देते हुए इसे नियमित सैन्य अभ्यास बताया।
ममता ने कहा, हमने इस तरह की उद्दंडता (केंद्र द्वारा) नहीं देखी। यदि सेना को वापस नहीं बुलाया गया, तो हम कानूनी विकल्पों पर विचार करेंगे। ममता ने कहा कि उनका सेना के लिए गहरा सम्मान है, लेकिन उस तरीके को लेकर दुखी हैं, जिसमें उनका इस्तेमाल राजनीतिक प्रतिशोध की भावना के लिए किया जा रहा है।
यह मुद्दा शुक्रवार को संसद के दोनों सदनों में भी उठा। राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने मुद्दा उठाते हुए कहा कि राज्य सरकार को इस बारे में पहले से सूचना नहीं दी गई थी। आजाद ने कहा, पश्चिम बंगाल में 19 स्थानों पर टोल प्लाजा पर सेना की तैनाती की गई। इस बारे में मुख्य सचिव, राज्य पुलिस के महानिदेशक (डीजीपी) को कोई सूचना नहीं दी गई। हम इसे समझ नहीं पा रहे हैं। आजाद ने इस संबंध में सरकार से स्पष्टीकरण मांगा और मोदी से भी बयान की मांग की।
तृणमूल कांग्रेस के सदस्य सुखेंदु शेखर रॉय और बसपा प्रमुख मायावती ने भी आजाद का समर्थन किया। रॉय ने कहा कि यह लोगों के भीतर भय बैठाने का केंद्र सरकार का प्रयास है। मायावती ने इसे देश के संघीय ढांचे पर हमला करार दिया। लोकसभा में तृणमूल नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने विपक्षी सदस्यों का नेतृत्व किया और अध्यक्ष की आसंदी के निकट एकत्रित होकर केंद्र सरकार के खिलाफ नारे लगाए।
रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने लोकसभा में कहा कि सेना एक नियमित अभ्यास कर रही थी और राज्य सरकार तथा पुलिस को इसके बारे में पहले ही बता दिया गया था। पर्रिकर ने कहा, यह सेना का नियमित अभ्यास था, जो बीते 15-20 सालों से होता रहा है। यह अभ्यास पिछले साल भी 19-21 नवंबर के बीच आयोजित किया गया था। उन्होंने कहा, इस साल भी पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर के राज्यों में ये सैन्य अभ्यास आयोजित किए जा रहे हैं। यह उत्तर प्रदेश और झारखंड में भी किया गया।
पर्रिकर ने कहा, पहले फैसला किया गया था कि सैन्य अभ्यास 28-30 नवंबर के बीच होगा। लेकिन राज्य की पुलिस ने 28 नवंबर को बंद की वजह से इसकी तारीख बढ़ाने का अनुरोध किया। इसलिए सैन्य अभ्यास के लिए एक दिसंबर से तीन दिसंबर की तिथि निर्धारित की गई। उन्होंने तृणमूल कांग्रेस की नेता और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर मामले के राजनीतिकरण का आरोप लगाया।
वहीं कोलकाता में पूर्वी कमान ने मुद्दे पर स्थानीय पुलिस तथा सेना के बीच बातचीत से संबंधित दस्तावेजों को पेश किया। जनरल ऑफिसर कमांडिंग मेजर जनरल सुनील यादव ने कहा, हम सारे आरोपों को मानहानि के साथ खारिज करते हैं। सेना ने ममता बनर्जी के उन आरोपों को बेबुनियाद करार दिया, जिसमें उन्होंने कहा है कि सैन्यकर्मी वाहनों से पैसे वसूल रहे थे। उन्होंने कहा कि सेना विभिन्न राज्यों में महत्वपूर्ण प्रवेश बिंदुओं पर लोड कैरियर की उपलब्धता को लेकर सालाना तौर पर आंकड़ों को एकत्रित कर रही है।
बनर्जी ने गुरुवार को कहा कि वह तब तक सचिवालय से नहीं निकलेंगी, जबतक सेना को बाहर नहीं निकाला जाता। उन्होंने केंद्र सरकार पर पड़ोसी हावड़ा जिले में सचिवालय नाबन्ना से लगभग 500 मीटर की दूरी पर राजमार्ग के टोल प्लाजा पर सेना की तैनाती का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा, मैं लोकतंत्र को बचाने, लोकतांत्रिक रूप से चुनी अपनी सरकार को बचाने के लिए अभियान जारी रखूंगी। आधी रात के तत्काल बाद पूर्वी कमान ने कहा कि नाबन्ना के निकट टोल प्लाजा से सेना को हटने के लिए कहा गया है, क्योंकि वह आंकड़े पहले ही इक_ा कर चुकी थी। रात दो बजे ममता बनर्जी ने अपनी बात को दोहराते हुए कहा कि वह रात नाबन्ना में ही गुजारेंगी। उन्होंने तर्क दिया कि सेना वापस आ सकती है।
यह राजनीतिक ड्रामा गुरुवार शाम तब शुरू हुआ, जब ममता ने आरोप लगाया कि सरकार को बिना सूचना दिए राष्ट्रीय राजमार्ग 2 पर दुनकुनी तथा पालसित टोल प्लाजा पर सेना को तैनात कर दिया गया है। यह जानने की मांग करते हुए कि क्या सैन्य तख्तापलट हुआ है, उन्होंने कहा, इसका मकसद राजनीतिक, प्रतिशोधात्मक, असंवैधानिक, गैरकानूनी तथा अलोकतांत्रिक है।
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पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला, 38 लोगों की मौत
पख्तूनख्वा। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला हुआ है। इस हमले में 38 लोगों की मौत हो गई है। यह हमला खैबर पख्तूनख्वा के डाउन कुर्रम इलाके में एक पैसेंजर वैन पर हुआ है। हमले में एक पुलिस अधिकारी और महिलाओं समेत दर्जनों लोग घायल भी हुए हैं। जानकारी के मुताबिक उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में आतंकियों ने शिया मुस्लिम नागरिकों को ले जा रहे यात्री वाहनों पर गोलीबारी की है। यह क्षेत्र में हाल के वर्षों में इस तरह का सबसे घातक हमला है। मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है।
AFP की रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले में 38 लोगों की मौत हुई है. पैसेंजर वैन जैसे ही लोअर कुर्रम के ओचुट काली और मंदुरी के पास से गुजरी, वहां पहले से घात लगाकर बैठे आतंकियों ने वैन पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. पैसेंजर वैन पाराचिनार से पेशावर जा रही थी। पाकिस्तान की समाचार एजेंसी डॉन के मुताबिक तहसील मुख्यालय अस्पताल अलीजई के अधिकारी डॉ. ग़यूर हुसैन ने हमले की पुष्टि की है.
शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच तनाव
अफगानिस्तान की सीमा से लगे कबायली इलाके में भूमि विवाद को लेकर शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच दशकों से तनाव बना हुआ है। किसी भी समूह ने घटना की जिम्मेदारी नहीं ली है। जानकारी के मुताबिक “यात्री वाहनों के दो काफिले थे, एक पेशावर से पाराचिनार और दूसरा पाराचिनार से पेशावर यात्रियों को ले जा रहा था, तभी हथियारबंद लोगों ने उन पर गोलीबारी की।” चौधरी ने बताया कि उनके रिश्तेदार काफिले में पेशावर से यात्रा कर रहे थे।
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