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सड़क सुरक्षा के लिए जुर्माना वृद्धि अधूरा उपाय : विशेषज्ञ

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नई दिल्ली| यातायात सुरक्षा से संबंधित एक प्रस्तावित विधेयक में खतरनाक तरीके से वाहन चलाने के मामले में जुर्माना राशि 40 फीसदी से अधिक बढ़ाने का प्रावधान है, जिसके तहत यदि इस तरह वाहन चलाने से किसी बच्चे की मौत हो जाती है, तो चालक को 50 हजार रुपये (805 डॉलर) जुर्माना देना होगा साथ ही जेल की सजा भी काटनी होगी।

भाजपा नेता और पुलिस सेवा की पूर्व वरिष्ठ अधिकारी किरण बेदी हालांकि इसे एक मजाक समझती हैं। अन्य विशेषज्ञों की तरह वह भी मानती हैं कि यह पूर्ण समाधान नहीं है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को स्वच्छ भारत की तर्ज पर सड़क सुरक्षा पर भी राष्ट्रीय अभियान चलाना चाहिए।

बेदी 1970 के दशक में दिल्ली पुलिस की यातायात प्रमुख थीं और तब उन्होंने सख्ती से यातायात नियमों को लागू किया था।

बेदी ने आईएएनएस से कहा, “मौत के लिए 50 हजार रुपये जुर्माना एक मजाक है। क्या भारत में जीवन इतना सस्ता हो गया है?” उन्होंने कहा, “हमें बचाव की जरूरत है न कि जुर्माना वसूली की। कानून की सख्ती और उसे निष्पक्ष तरीके से लागू किया जाना और उसके साथ-साथ यातायात प्रबंध के लिए अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करने से ही सड़क सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है।”

विशेषज्ञों के मुताबिक, जुर्माने के साथ नियमों को सख्ती से लागू करना, यातायात पुलिस प्रशिक्षण, नशे में वाहन चलाने को अपराध घोषित करना और कानून बनाने वालों की मजबूत इच्छा शक्ति सड़क सुरक्षा के लिए जरूरी है।

उन्होंने कहा कि कानून बनाने वाले सड़क सुरक्षा के आदर्श बन सकते हैं।

सड़क दुर्घटना के कारण देश में रोज औसतन 375 मौतें होती हैं।

सड़क सुरक्षा के लिए काम करने वाले कार्यकर्ता और ‘कैंपेन अगेंस्ट ड्रंकेन ड्राइविंग’ के संस्थापक प्रिंस सिंघल ने आईएएनएस से कहा, “सड़क सुरक्षा को राष्ट्रीय मुद्दा बनाना होगा। यह जिम्मेदारी प्रधानमंत्री को उसी तरह से लेनी होगी, जिस तरह से वह स्वच्छ भारत और गंगा सफाई अभियान चला रहे हैं।”

सिंघल ने कहा कि सांसदों, विधायकों और मुखिया-सरपंच को सड़क सुरक्षा का आदर्श बनना चाहिए। उन्होंने कहा, “सांसद कोष जैसे सरकारी धन का इस्तेमाल सड़क सुरक्षा सुनिश्चित करने वाले कायक्रमों में भी किया जाना चाहिए।”

सड़क सुरक्षा बेहतर करने के लिए नरेंद्र मोदी की सरकार ने मोटर वाहन अधिनियम 1988 में निर्धारित जुर्माना राशि को बढ़ाने का प्रस्ताव रखा है।

एक आधिकारिक बयान के मुताबिक, इस दिशा में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय विभिन्न हित धारकों से विमर्श कर रहा है।

मंत्रालय की वेबसाइट पर मौजूद सड़क यातायात और सुरक्षा विधेयक के मसौदे के मुताबिक, नशे की हालत में दुर्घटना के प्रथम मामले में चालक को 10 हजार रुपये जुर्माना देना पड़ सकता है। इसके साथ ही छह महीने के लिए उसका लाइसेंस निलंबित किया जा सकता है।

दूसरी दुर्घटना पर मसौदे में 20 हजार रुपये जुर्माना, छह महीने जेल की सजा और एक साल के लिए लाइसेंस निलंबन का प्रावधान है।

भारत में जहां रेड लाइट पार करने पर 1,500 रुपये जुर्माने का प्रावधान है, वहीं कनाडा के कुछ शहरों में यह राशि 14,300 रुपये और पेरिस में 9,125 रुपये है।

इंस्टीट्यूट ऑफ रोड ट्रैफिक एजुकेशन (आईआरटीई) के अध्यक्ष रोहित बलूजा के मुताबिक, जुर्माने के साथ ही यातायात पुलिस को पेशेवर प्रशिक्षण देने और वैज्ञानिक सड़क इंजीनियरिंग भी जरूरी है, क्योंकि 30 फीसदी से अधिक दुर्घटनाएं सड़क की खामियों के कारण होती हैं।

बलूजा ने आईएएनएस से कहा, “जुर्माना बढ़ाया जाना चाहिए। लेकिन सड़क की ज्यामिती और यातायात इंजीनियरिंग भी जरूरी है।”

उन्होंने साथ ही कहा कि यातायात पुलिस का पेशेवर तरीके से प्रशिक्षित होना भी जरूरी है।

इंटरनेशनल रोड फेडरेशन के अध्यक्ष के.के. कपिल ने कहा कि कानून का पूर्ण पालन सड़क सुरक्षा के लिए जरूरी है और इसके साथ ही विकसित देशों के शहरों की तरह अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी भी अपनाई जानी चाहिए।

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IPS अधिकारी संजय वर्मा बने महाराष्ट्र के नए डीजीपी, रश्मि शुक्ला के ट्रांसफर के बाद मिली जिम्मेदारी

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महाराष्ट्र। महाराष्ट्र के नए डीजीपी का कार्यभार IPS संजय वर्मा को सौंपा गया है। आईपीएस संजय वर्मा को केंद्रीय चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र के नए पुलिस महानिदेशक के रूप में नियुक्त किया है। कुछ ही दिनों में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव है। उससे पहले चुनाव आयोग ने राज्य कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले की शिकायत मिलने के बाद डीजीपी रश्मि शुक्ला के तबादले का आदेश दिया था।

कौन हैं IPS संजय वर्मा?

IPS संजय वर्मा 1990 बैच के पुलिस अधिकारी हैं। वह महाराष्ट्र में वर्तमान में कानून और तकनीकी के डीजी के रूप में कार्यरत रहे। वह अप्रैल 2028 में सेवानिवृत्त पुलिस सेवा से रिटायर होंगे। दरअसल, डीजीपी रश्मि शुक्ला को लेकर सियासी दलों के बीच पिछले कुछ समय से माहौल गर्म था। कांग्रेस के बाद उद्धव गुट की शिवसेना ने भी चुनाव आयोग को पत्र लिखकर उन्हें हटाने की मांग की थी।

कांग्रेस ने रश्मि शुक्ला की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए चुनाव आयोग से उन्हें महानिदेशक पद से हटाने की मांग की थी। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने उन पर आरोप लगाया था कि वह बीजेपी के आदेश पर सरकार के लिए काम कर रही हैं।

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