Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

मुख्य समाचार

सपनों को छल रहा यूपीपीएससी

Published

on

UPPSC-paper-out

Loading

उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग यानी यूपीपीएससी परीक्षा विवादों का केंद्र बिंदु बन गई है। रविवार को इसकी प्रारंभिक परीक्षा का सामान्य अध्ययन प्रथम का पेपर आउट होना इसकी बानगी भर है। परीक्षा शुरू होने के पहले ही वॉट्सएप के जरिए पेपर लीक हो गया। पेपर पांच-पांच लाख रुपए में बिकने की चर्चाएं जोर-शोर से तैरती रहीं। मुख्य सचिव और डीजीपी ने भी पर्चा लीक होने की पुष्टि कर दी लेकिन लोक सेवा आयोग की हठधर्मिता की हद हो गई। उसने तुरंत लीक हुए पर्चे की परीक्षा निरस्त नहीं की बल्कि इसके लिए अगले दिन तक इंतजार किया गया।

यह कोई पहला मामला नहीं है। इससे पहले सीपीएमटी, बीएड, टीईटी, रेलवे, बीएसएफ समेत कई प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर लीक हो चुके हैं। ये इस बात की ओर साफ इशारा करते हैं कि सूबे में परीक्षाओं की गोपनीयता में सेंध लगाकर प्रश्नपत्र आउट करने वाले बड़े रैकेट सक्रिय हैं। लेकिन यह भी स्पष्ट है कि आयोग के अफसरों और कर्मचारियों की मिलीभगत के बिना ऐसा होना नामुमिकन है। दरअसल प्रश्नपत्र बनने से लेकर सेंटर तक पहुंचाने तक की प्रक्रिया कई चरणों की निगरानी में होती है। इसमें विशेष गोपनीयता बरती जाती है। साथ ही चुनिंदा लोग इसकी व्यवस्था से जुड़े होते हैं। प्रश्न पत्र बनवाना, उसकी प्रिंटिंग और परीक्षा केंद्रों पर पहुंचाने के कार्य कड़ी निगरानी में किए जाते हैं। कई बार परीक्षा के जुड़े कई काम दूसरे राज्यों में भी कराए जाते हैं। इसके बावजूद पेपर आउट कराने वाले गैंग किसी न किसी स्तर पर गोपनीयता में सेंध लगाकर अपने मंसूबों में कामयाब हो जाते हैं। जांच में कुछ लोग पकड़ में आते हैं लेकिन गोरखधंधे पर रोक नहीं लग पाती।

मध्य प्रदेश में व्यवसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) द्वारा कराई जाने वाली परीक्षा में घोटाले के मामले में भी यूपी के एक दर्जन से ज्यादा मेडिकल छात्र जेल जा चुके हैं। इस घोटाले में यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री और मध्य प्रदेश के राज्यपाल राम नरेश यादव के बेटे शैलेश यादव का नाम भी सामने आया था। कुछ दिन पहले ही शैलेश की लखनऊ में संदेहास्पद परिस्थितियों में मौत भी हो गई। ये सब इस ओर इशारा करता है कि घोटाले के तार कितने गहरे तक जुड़े हैं। उनको राजनीतिक संरक्षण भी मिला हुआ है। शिक्षा माफियाओं ने हर तरफ अपना जाल फैला रखा है। बेदीराम जैसे कई गिरोह यूपी में प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रश्न पत्र लीक कराने में सक्रिय हैं। यह गिरोह मध्य प्रदेश और राजस्थान में भी अपनी जड़े जमाए हुए हैं।

किसी भी स्तर पर चूक हो जाने पर लाखों परीक्षार्थी छले जाते हैं। उनकी सालों की मेहनत पर पानी फिर जाता है। बेरोजगारी का दंश झेल रहे युवाओं के लिए यह किसी कुठाराघात से कम नहीं है। प्रशासनिक अफसर बनने का सपना उनकी आंखों में ही दम तोड़ देता है। पेपर आउट हो जाने के बाद परीक्षार्थियों ने कई जिलों में जमकर प्रदर्शन किया। उनका आरोप था कि इन हालात के लिए आयोग के अध्यक्ष डॉ. अनिल यादव जिम्मेदार हैं। यह सही भी है कि डॉ. अनिल यादव के अध्यक्ष बनने के बाद विवादों की संख्या में काफी तेजी से इजाफा हुआ। विवाद की शुरुआत उनके जॉइन करने के महज महीने भर बाद मई-2013 से हुई। आयोग की भर्तियों में त्रिस्तरीय आरक्षण व्यवस्था लागू होने के विरोध में जो आंदोलन शुरू हुआ था, वह अभी तक थमा नहीं है। तकरीबन हर परीक्षा में शिकायत आती रही है कि आयोग प्रश्नों के गलत को उत्तर सही मान लेता है और इसी वजह से हर बार एक नया विवाद पैदा होता रहा। ऐसे मामलों में परीक्षा स्थगित और रद्द किए जाने की मांग लगातार उठती रही है।

यूपीपीएससी जैसी 77 साल पुरानी प्रतिष्ठित संस्था का प्रश्न पत्र परीक्षा से पहले लीक होना साफ इशारा करता है कि प्रदेश में प्रतियोगी परीक्षाएं कराना आसान नहीं है। परीक्षा कार्यक्रम वैसे भी पटरी से उतरा हुआ है। यूपी पीसीएस 2013 का फाइनल रिजल्ट इस वर्ष 26 मार्च को घोषित किया गया जबकि इसकी प्रारंभिक परीक्षा मई-2013 में और उसके बाद मुख्य परीक्षा का आयोजन अप्रैल-2014 में हुआ। मुख्य परीक्षा के सफल अभ्यर्थियों का इंटरव्यू इस साल फरवरी व मार्च किया गया। इसी तरह पीसीएस-2014 की प्रारंभिक परीक्षा मई-2014 और मुख्य परीक्षा अगस्त 2014 में हुई लेकिन मुख्य परीक्षा का परिणाम अभी तक घोषित नहीं हुआ। ऐसे में अब पर्चा लीक होने से अभ्यर्थियों की मुसीबतों का कोई अंत नजर नहीं आ रहा है।

प्रादेशिक

IPS अधिकारी संजय वर्मा बने महाराष्ट्र के नए डीजीपी, रश्मि शुक्ला के ट्रांसफर के बाद मिली जिम्मेदारी

Published

on

Loading

महाराष्ट्र। महाराष्ट्र के नए डीजीपी का कार्यभार IPS संजय वर्मा को सौंपा गया है। आईपीएस संजय वर्मा को केंद्रीय चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र के नए पुलिस महानिदेशक के रूप में नियुक्त किया है। कुछ ही दिनों में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव है। उससे पहले चुनाव आयोग ने राज्य कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले की शिकायत मिलने के बाद डीजीपी रश्मि शुक्ला के तबादले का आदेश दिया था।

कौन हैं IPS संजय वर्मा?

IPS संजय वर्मा 1990 बैच के पुलिस अधिकारी हैं। वह महाराष्ट्र में वर्तमान में कानून और तकनीकी के डीजी के रूप में कार्यरत रहे। वह अप्रैल 2028 में सेवानिवृत्त पुलिस सेवा से रिटायर होंगे। दरअसल, डीजीपी रश्मि शुक्ला को लेकर सियासी दलों के बीच पिछले कुछ समय से माहौल गर्म था। कांग्रेस के बाद उद्धव गुट की शिवसेना ने भी चुनाव आयोग को पत्र लिखकर उन्हें हटाने की मांग की थी।

कांग्रेस ने रश्मि शुक्ला की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए चुनाव आयोग से उन्हें महानिदेशक पद से हटाने की मांग की थी। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने उन पर आरोप लगाया था कि वह बीजेपी के आदेश पर सरकार के लिए काम कर रही हैं।

Continue Reading

Trending