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खेल-कूद

सबसे पहले पॉलीथीन के ग्लाइडर से उड़ा था प्रीति को लेकर ‘उड़ने’ वाला शमशेर

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बीर (हिमाचल प्रदेश) | फिल्म अभिनेत्री प्रीति जिंटा को रविवार को कांगड़ा जिले में स्थित बीर, बिलिंग में पैराग्लाइडिंग कराकर सोशल मीडिया में चर्चा में आए शमशेर की कहानी बड़ी रोचक है। इस खेल से असीम प्यार करने वाला शमशेर सबसे पहले पॉलीथीन से बने ग्लाइडर से उड़ा था। नौ साल से ग्लाइडिंग कर रहे शमशेर का कहना है कि उसे ग्लाइडिंग का शौक बचपन से ही था और बीर, बिलिंग आने वाले फ्री-फ्लायर्स (शौकिया पैराग्लाइडरों) को देखकर उसका यह शौक परवान चढ़ता गया। इसके बाद उसने खुद से ग्लाइडर बनाने और उड़ान भरने की ठानी।

शमशेर ने बताया कि मैं पॉलीथीन के ग्लाइडर से पहली बार उड़ा था। प्रेरणा लोगों को देख के मिली। पहले छोटे-छोटे ग्लाइडर बनाता था। पॉलीथीन में पत्थर बांधकर उड़ाता था। देखने के लिए कि उड़ रहा है कि नहीं। इसके बाद ऊन बेचने वाली जिस दुकान पर काम करता था, वहां से पॉलीथीन लेकर और उन्हें आपस में सिलकर ग्लाइडर बनाया और पहली बार लगभग डेढ़ मिनट की उड़ान भरी। पहली लैंडिंग अच्छी थी। उसके बाद पॉलीथीन से बने उसी ग्लाइडर से सात बार और उड़ा।

पॉलीथीन से बने ग्लाइडर से उड़ान की सफलता ने शमशेर के शौक को पंख लगा दिए। अब उसने अपने घरवालों की मंजूरी से इसकी ट्रेनिंग लेने की ठानी और बीर में ही रहने वाले गुरप्रीत सिंह की शरण में पहुंच गया, जो होटल चलाने के साथ-साथ ग्लाइडिंग की ट्रेनिंग भी दिया करते हैं। शमशेर (28) ने कहा पॉलीथीन से उड़ान भरने के बाद मैंने बीर में रहने वाले गुरप्रीत सिंह जी से ट्रेनिंग ली। वह पंजाब के हैं और यहां होटल चलाते हैं तथा ट्रेनिंग भी देते हैं। गुरप्रीत जी ने फ्री में एक महीने की ट्रेनिंग दी। ट्रेनिंग के दौरान ही एक विदेशी ने मुझे ग्लाइडर गिफ्ट किया।

शमशेर ने कहा गुरप्रीत की देखरेख में पी-1, पी-2 की ट्रेनिंग ली। इसमें ग्लाइडर को कैसे सम्भालते हैं यह बताया जाता है। इसके बाद मैंने बीलिंग का रुख किया। मैं बीलिंग जाते ही पहली बार जब उड़ा तो सीधे लैंडिंग साइट पर पहुंचा। लैंडिंग बहुत अच्छी रही। फिर मैं दिन में दो-तीन बार ऊपर (बीलिंग) जाता था और विदेशी पैराग्लाइडरों को देख-देख कर अभ्यास करता रहता था। शमशेर ने कहा कि जब बीर में उसकी ट्रेनिंग पूरी हो गई तब उसने विस्तृत ट्रेनिंग के लिए मनाली का रुख किया और पूर्व कमांडो रोशन लाल की देखरेख में हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ एटवेंचर स्पोर्ट्स में दो साल की ट्रेनिंग ली।

बकौल शमशेर बीर में जब मेरी ट्रेनिंग पूरी हो गई तब मैं मनाली चला गया। रोशन लाल जी की देखरेख में ट्रेनिंग लेने लगा। वह पहले एक कमांडो थे और हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ एटवेंचर स्पोर्ट्स में ट्रेनिंग देते थे। मैंने उनकी देखरेख में दो साल की ट्रेनिंग ली। मनाली में ट्रेनिंग के दौरान मैंने थियोरेटिकल, प्रैक्टिकल शिक्षा ली। मैंने बकायदे कोर्स किया लेकिन रोशन जी के सहयोग से मुझे फीस नहीं देनी पड़ी। मनाली में चार साल बिताने के बाद मैं फिर बीर आ गया। मनाली में दो साल की शिक्षा के बाद मैंने टूरिस्टों को घुमाने वाले ग्लाइडर के तौर पर काम किया। मैं लोगों को लेकर उड़ता था।

अब तक कई खास लोगों और अधिकारियों को आसमान की सैर कराने वाले शमशेर ने कहा कि बीर आने के बाद वह अरविंद जी (भारतीय टीम में शामिल स्थानीय पैराग्लाइडर) के साथ काम करने लगा। बकौल शमशेर, “मैं यहां पेशेवर पैराग्लाइडर के तौर पर काम करता हूं। एक बार फ्लाई के लिए हम 2500 रुपये लेते हैं और अरविंद जी मुझे हर फ्लाइट के लिए 500 रुपये देते हैं। दिन में हम कभी दो-तीन और कभी एक फ्लाइट कर लेते हैं। आम तौर पर यहां अप्रैल-मई में सबसे अधिक टूरिस्ट आते हैं और उस दौरान दिन में हम दो-तीन बार फ्लाई कर लेते हैं।”

शमशेर ने बताया कि धर्मशाला में एक बार वह 3इडियट्स फिल्म के चतुर रामालिंगम (ओम वैद्य) के साथ भी उड़ा था और जहां तक प्रीति के साथ उड़ने की बात है तो यह अनुभव शानदार रहा। शमशेर ने कहा, “प्रीति जी के साथ लैंडिंग भी शानदार रही। सूर्या होटल के मालिक सुरेश कुमार जी के कहने पर मैं प्रीति के साथ उड़ा। मेरा चयन कैसे हुआ, यह मैं नहीं जानता।”

शमशेर के चयन पर बीर स्थित सूर्या होटल के मालिक और बिलिंग पैराग्लाइडिंग संघ के संस्थापक सदस्य सुरेश कुमार ने कहा शमशेर बहु अच्छा पैराग्लाइडर है और इसके प्रति उसकी प्रतिबद्धता शानदार है। मैं उसे बचपन से जानता हूं। चूंकी प्रीति के साथ कौन उड़ेगा, इसका फैसला मुझे ही करना था, तो फिर मैंने शमशेर को चुना क्योंकि उसकी लैंडिंग काफी सटीक होती है और मेरा फैसला सही रहा। वह प्रीति के साथ बहुत अच्छे से उड़ा।

 

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HAPPY BIRTHDAY KING KOHLI : भारतीय क्रिकेट टीम के किंग विराट कोहली आज मना रहे है अपना 36वां जन्मदिन

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नई दिल्ली। भारतीय टीम के स्‍टार बल्‍लेबाज विराट कोहली का आज 36वां जन्मदिन हैं। एक साल से कोहली काफी उतार-चढ़ाव से गुजर रहे हैं। हालिया न्‍यूजीलैंड के खिलाफ सीरीज में इस रन मशीन को एक-एक रन के लिए जूझते हुए देखा गया। कोहली ने अब से ठीक एक साल पहले अपने 35वें जन्मदिन पर रिकॉर्ड की बराबरी करने वाला 49वां वनडे शतक बनाया और उसके कुछ दिन बाद ही 50वां वनडे शतक जड़ महान बल्‍लेबाज सचिन तेंदुलकर के रिकॉर्ड को तोड़ डाला।

कहां से मिली कोहली को असली पहचान?

विराट कोहली का जन्म 5 नवंबर 1988 को दिल्ली में हुआ. वह दिल्ली के उत्तम नगर में पले-बढ़े. बताया जाता है कि सिर्फ 9 साल की उम्र में ही कोहली ने क्रिकेट को अपना लिया था. इसके बाद उन्होंने अपने बचपन के कोच राजकुमार शर्मा से क्रिकेट की बारीकियां सीखीं.

कोहली ने क्रिकेट में धीरे-धीरे कमाल करना शुरू किया. उन्होंने एज ग्रुप क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन करते हुए फर्स्ट क्लास क्रिकेट की तरफ कदम बढ़ाया. 2006 में कोहली ने करियर का पहला फर्स्ट क्लास मैच दिल्ली के लिए खेला. इसी दौरान कोहली के पिता प्रेम कोहली का निधन हुआ. पिता के निधन के बावजूद कोहली कर्नाटक के खिलाफ खेल रहे मैच में बैटिंग करने के लिए गए और उन्होंने 90 रनों की पारी भी खेली. यहां से कोहली को कुछ पहचान मिली.

 

 

 

 

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