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सब जगह एक ही शोर, बाबा साहेब हमारे हैं

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आईपीएल पुराना हुआ, उसी तर्ज पर अब जल्द ही देश में परम श्रद्धेय संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अम्बेडकर की जयंती पर किसी प्रतियोगिता का आयोजन किया जा सकता है। इस प्रतियोगिता में सभी राजनीतिक पार्टियों को अपनी-अपनी टीम उतारने का मौका दिया जाएगा। वैसे बाबा साहेब के नाम पर मैच तो अब भी खेले जा रहे हैं। चौकों-छक्कों की तर्ज पर बाबा साहब के नाम से घोषणाएं करने की होड़ लगी है। कोई पार्टी रैली आयोजित कर रही है तो कोई पुण्यतिथि पर छुट्टी घोषित कर रही है। जिसके बस में जो है वैसा कर रहा है।

देश में बाबा साहब पर दावेदारी को लेकर हालात इतने तेजी से बदलेंगे, कोई सपने में भी सोच सकता था। भगवा दल का थिकटैंक माने जाने वाला राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अंबेडकर को ‘दलित आइकन’ के फ्रेम से बाहर निकालकर ‘हिंदू आइकन’ बनाने की मुहिम में जुटा है। रणनीतियां तैयार की जा रही हैं। इस बार संघ ने अपने मुखपत्र ‘ऑर्गनाइजर’ व ‘पांचजन्य’ में अंबेडकर पर केंद्रित विशेषांक प्रकाशित किया है। जिसमें संघ के महासचिव सुरेश भैयाजी जोशी ने कहा कि देश में अंबेडकर की उपेक्षा की गई। यही नहीं संघ ने अम्बेडकर को अपने संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार के समकक्ष भी बताया है। भाजपा ने भी पटना में बड़ी रैली आयोजित कर दलित प्रेम उपजने का संकेत दे दिया है।

अम्बेडकर पर दावेदारी पेश करने वालों में होड़ देखकर यूपी में सत्तारूढ़ दल के नेता भी भला क्यों पीछे रहते। आखिर सत्ता की ताकत भी कोई चीज होती है। सो तुरंत बाबा साहब की पुण्यतिथि 6 दिसंबर पर अवकाश घोषित कर दिया और आनन-फानन में आदेश भी जारी कर दिया लेकिन ऐसा करते वक्त वह यह भूल गए कि उनकी पार्टी ने ही प्रदेश में सत्तारूढ़ होते ही पूर्व सीएम का आदेश पलटते हुए छुट्टी रद्द कर दी थी। सीएम ने यह भी घोषणा कर दी कि पदोन्नति में आरक्षण के मामले में किसी भी हाल में एससी-एसटी का डिमोशन नहीं होने देंगे और कैबिनेट बैठक में इसका हल निकाल लिया जाएगा।

इन जद्दोजहद में दलितों की सबसे बड़ी मसीहा बनने का दावा करने वाली बहुजन समाज पार्टी भी शामिल हो गई। उसने कांग्रेस, भाजपा और सपा को दलित विरोधी करार संविधान बनने से लेकर अब तक की स्थिति का ब्यौरा पेश करते हुए कहा कि संविधान निर्माता अंबेडकर को कांग्रेस ने ही लोकसभा तक जाने से रोका। बसपा प्रमुख ने अम्बेडकर जयंती पर आयोजित कार्यक्रम को लगभग चुनावी रैली में तब्दील कर दिया और कहा कि अगर छुट्टी विधायक बहाल नहीं करते तो दलित विधायक सपा छोड़ देते।

इस मुहिम में देश की सबसे पुरानी पार्टी जरूर थोड़ी पिछड़ गई। उनके वरिष्ठ नेता की छुट्टी खुद खत्म होने का नाम नहीं ले रही है इसलिए घोषित हुई छुट्टी पर कुछ टिप्पणी कर नहीं सकते थे। केंद्र की सत्ता से बाहर हैं तो अन्य किसी बड़ी घोषणा की भी संभावना नहीं के बराबर थी। ऐसे में अंबेडकर की मूर्ति पर माल्यार्पण कर ही मन को समझा लिया। ये जरूर कहा कि कांग्रेस द्वारा अंबेडकर के लिए सालभर के कार्यक्रम तैयार किए जा रहे हैं और गांव-गांव जाकर इन कार्यक्रमों का आयोजन होगा।

साफ है कि पार्टियों द्वारा बाबा साहेब अंबेडकर के बहाने दलित वोट बैंक को अपने पक्ष में करने की मुहिम पूरे जोरों पर है। बाबा साहेब हमारे हैं, जैसे नारे मुखर हो रहे हैं। खेल इतनी शिद्दत से चल रहा है कि अगर बाबा साहब आज जीवित होते तो शायद वे भी भ्रमित हो जाते कि कौन उनका सबसे बड़ा समर्थक है और कौन विरोधी?

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पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला, 38 लोगों की मौत

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पख्तूनख्वा। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला हुआ है। इस हमले में 38 लोगों की मौत हो गई है। यह हमला खैबर पख्तूनख्वा के डाउन कुर्रम इलाके में एक पैसेंजर वैन पर हुआ है। हमले में एक पुलिस अधिकारी और महिलाओं समेत दर्जनों लोग घायल भी हुए हैं। जानकारी के मुताबिक उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में आतंकियों ने शिया मुस्लिम नागरिकों को ले जा रहे यात्री वाहनों पर गोलीबारी की है। यह क्षेत्र में हाल के वर्षों में इस तरह का सबसे घातक हमला है। मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है।

AFP की रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले में 38 लोगों की मौत हुई है. पैसेंजर वैन जैसे ही लोअर कुर्रम के ओचुट काली और मंदुरी के पास से गुजरी, वहां पहले से घात लगाकर बैठे आतंकियों ने वैन पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. पैसेंजर वैन पाराचिनार से पेशावर जा रही थी। पाकिस्तान की समाचार एजेंसी डॉन के मुताबिक तहसील मुख्यालय अस्पताल अलीजई के अधिकारी डॉ. ग़यूर हुसैन ने हमले की पुष्टि की है.

शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच तनाव 

अफगानिस्तान की सीमा से लगे कबायली इलाके में भूमि विवाद को लेकर शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच दशकों से तनाव बना हुआ है। किसी भी समूह ने घटना की जिम्मेदारी नहीं ली है। जानकारी के मुताबिक “यात्री वाहनों के दो काफिले थे, एक पेशावर से पाराचिनार और दूसरा पाराचिनार से पेशावर यात्रियों को ले जा रहा था, तभी हथियारबंद लोगों ने उन पर गोलीबारी की।” चौधरी ने बताया कि उनके रिश्तेदार काफिले में पेशावर से यात्रा कर रहे थे।

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