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सरदार सरोवर : मेधा का उपवास खत्म कराने को शिवराज ने भय्यूजी को मध्यस्थ बनाया

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इंदौर/धार, 5 अगस्त (आईएएनएस)| सरदार सरोवर बांध से डूब में आने वाले लोगों के हक के लिए दस दिन से उपवास पर बैठी नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेत्री मेधा पाटकर की बिगड़ती हालत, बढ़ते राजनीतिक समर्थन ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सरकार को डरा दिया है।

सरकार बीते दिनों से उस मध्यस्थ की तलाश में लगी है, जो मेधा को मना सके। इसके लिए सरकार को सामाजिक संत उदय सिंह देशमुख उर्फ भय्यूजी महाराज नजर आए और मुख्यमंत्री चौहान ने स्वयं उनसे अनुरोध किया है कि वह शनिवार को धार के चिखल्दा जाकर मेधा से उपवास तोड़ने का आग्रह करें।

सूत्रों की मानें तो भय्यूजी महाराज दो बजे के बाद चिखल्दा पहुंच सकते हैं, वह मेधा की पूर्ण पुनर्वास और पूर्ण पुनर्वास तक विस्थापन को रोकने की दो मांगों को पूरा कराने का भरोसा दिला सकते हैं। वह मुख्यमंत्री चौहान से मेधा की बात भी करा सकते है। संभावना है कि सरकार दोनों मांगों को मान लेगी और मेधा का उपवास देर शाम तक खत्म हो सकता है।

भय्यूजी के इंदौर कार्यालय ने इस बात की पुष्टि की है कि वह चिखल्दा जा रहे हैं और मेधा से संपर्क कर उनसे उपवास खत्म करने का आग्रह करेंगे।

ज्ञात हो कि सरदार सरोवर बांध की उंचाई 138 मीटर किए जाने से मध्य प्रदेश की नर्मदा घाटी के 192 गांव और इनमें बसने वाले 40 हजार परिवार प्रभावित होने वाले हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने 31 जुलाई तक पूर्ण पुनर्वास के बाद ही विस्थापन और बांध की उंचाई बढ़ाने का निर्देश दिया था। वहीं, जिस जगह नई बस्तियां बसाने की तैयारी चल रही है, वहां के हाल बहुत खराब हैं। वहां रहना तो दूर बस्तियों तक आसानी से पहुंचना भी मुश्किल है।

पूर्ण पुनर्वास की मांग को लेकर मेधा पाटकर ने अपने 11 साथियों के साथ धार जिले के चिखल्दा में अनिश्चितकालीन उपवास को 27 जुलाई से शुरू किया था। पहले सरकार की ओर से मेधा पर आरोप लगाए गए, बाद में सरकार को लगा कि इससे गलत संदेश जाएगा, तो मुख्यमंत्री चौहान ने स्वयं शुक्रवार को एक के बाद एक ट्वीट कर मेधा से उपवास खत्म करने का आग्रह किया। क्योंकि शुक्रवार को चिकित्सकीय परीक्षण में मेधा की हालत को गंभीर बताया गया था।

इतना ही नहीं मेधा को उपवास के दौरान कांग्रेस, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, आम आदमी पार्टी, स्वराज भारत पार्टी के अलावा विभिन्न सामाजिक संगठनों का साथ मिलने लगा। जनता दल यूनाइटेड के शरद यादव ने भी शुक्रवार को मेधा को पत्र लिखकर उपवास खत्म करने की अपील की और साथ ही भरोसा दिलाया कि उनके साथ देश और दुनिया का बड़ा वर्ग है।

वहीं कांग्रेस के सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने लोकसभा में मामला उठाया। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी मेधा का समर्थन किया।

सरकार के चिंतित होने की वजह यह है कि मेधा व 11 अन्य लोगों के उपवास को दस दिन हो गए हैं और उनकी हालत लगातार बिगड़ रही है। अगर यह उपवास जारी रहा और किसी का स्वास्थ्य अधिक बिगड़ गया तो सरकार के लिए जवाब देना कठिन हो जाएगा। लिहाजा मुख्यमंत्री चौहान ने मध्यस्थता के लिए इंदौर में निवासरत सामाजिक संत भय्यूजी महाराज को चुना है।

ज्ञात हो कि भय्यूजी महाराज दिल्ली में अन्ना हजारे का अनशन खत्म कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके है। इतना ही नहीं गुजरात में नरेंद्र मोदी का उपवास भी उन्होंने ही रस पिलाकर तुड़वाया था। इतना ही नहीं आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से भय्यूजी की नजदीकी किसी से छुपी नहीं है। उनका कांग्रेस, भाजपा, शिवसेना, एनसीपी, मनसे के नेताओं से भी सीधा संवाद है।

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महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की हार पर बोलीं कंगना रनौत, उनका वही हश्र हुआ जो ‘दैत्य’ का हुआ था

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मुंबई। महाराष्ट्र में बीजेपी के नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन को मिली प्रचंड जीत ने विपक्षी गठबंधन महा विकास अघाड़ी में शामिल पार्टियों को चारों खाने चित कर दिया है। महाराष्ट्र में पार्टी की प्रचंड जीत पर बीजेपी की सांसद कंगना रनौत काफी खुश हैं। वहीं, उद्धव ठाकरे की हार पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कंगना ने कहा कि महिलाओं का अपमान करने की वजह से उनका ये हश्र हुआ है। मुझे उनकी हार का अनुमान पहले से ही था।

कंगना रनौत ने कहा, “मुझे उद्धव ठाकरे की हार का अनुमान पहले ही था। जो लोग महिलाओं का अपमान करते हैं, वे राक्षस हैं और उनका भी वही हश्र हुआ जो ‘दैत्य’ का हुआ था। वे हार गए, उन्होंने महिलाओं का अपमान किया। मेरा घर तोड़ दिया और मेरे खिलाफ अपशब्दों का भी इस्तेमाल किया, इसलिए यह स्पष्ट है कि वे सही और गलत की समझ खो चुके हैं।

बता दें कि कंगना रनौत और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की महा विकास आघाडी (एमवीए) सरकार के बीच 2020 में तब कड़वाहट भरी झड़प हुई थी, जब तत्कालीन अविभाजित शिवसेना के नेतृत्व वाली बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) ने उनके बांद्रा स्थित बंगले में कथित अवैध निर्माण को ध्वस्त कर दिया था। अपने बंगले में तोड़फोड़ की कार्रवाई से पहले रनौत ने यह भी कहा था कि उन्हें “मूवी माफिया” से ज्यादा मुंबई पुलिस से डर लगता है और उन्होंने महाराष्ट्र की राजधानी की तुलना पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से की थी।

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