Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

मुख्य समाचार

सवाल ईवीएम का नहीं लोकतंत्र की पवित्रता का है

Published

on

Loading

सवाल विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र की पवित्रता का है, उससे भी बड़ा, विश्वसनीयता और आरोप-प्रत्यारोप का है। सवाल यह भी नहीं कि नौ मई को दिल्ली विधानसभा के विशेष सत्र में जो हुआ वो अपराध की श्रेणी में आता है या किसी साजिश का हिस्सा? सवाल बस इतना है कि क्या हर तरीके से सुरक्षित कही और माने जाने वाली ईवीएम में छेडख़ानी संभव है?

यही बात आम आदमी पार्टी सहित कई राजनैतिक दल, काफी पहले से कह रहे थे। यह भी नहीं भूलना चाहिए कि 2009 में भाजपा ने भी इसे मुद्दा बनाया था। कुल मिलाकर सभी पार्टियों के निशाने पर कभी न कभी ईवीएम ही रही हैं। लेकिन आज दिल्ली विधानसभा के विशेष सत्र में, आम आदमी पार्टी के विधायक सौरव भारद्वाज के दिए लाइव डेमो के बाद तहलका मचना था, मचा भी आगे और मचेगा।

सवाल फिर वही कि ईवीएम कितनी सुरक्षित, उससे बड़ा सवाल यह कि तकनीक के इस खेल में कौन बड़ा, तकनीक का ईजाद करने वाला या उसका तोड़ निकालने वाला, जिसे आम तौर पर हैकर कहते हैं। कुछ भी हो, यह तो लोगों के सामने प्रश्न बनकर खड़ा ही हो गया है कि केवल कोड के सहारे चलने वाले सॉफ्टवेयर को हैक कर या डिकोड कर मनमाफिक कोडिंग करके, मनचाहे नतीजे लिए जा सकते हैं।

हालांकि शाम होते-होते ईवीएम मशीन के समर्थन में, उसकी विश्वसनीयता और किसी भी प्रकार की छेडख़ानी किए जाने की बात पर चुनाव आयोग के कुछ पूर्व अधिकारी काफी तल्ख भाषा में आम आदमी पार्टी के इस डेमो पर बोलते नजर आए। लेकिन जिस संजीदगी और विश्वास के साथ सौरव ने आज डेमो दिया, उससे आम लोगों को यह तो समझ आता है कि तकनीक से छेडख़ानी असंभव नहीं। शायद यही समझाने की कोशिश सौरव ने भी की।

सौरव का आत्मविश्वास कहें या अति उत्साह गुजरात चुनाव के पहले मशीनें मिल जाएं तो वो भी कारनामा दिखाने की बात कह उन्होंने ईवीएम के भविष्य पर, गंभीर सवाल जरूर खड़े कर दिए हैं। विधानसभा में भिंड, राजस्थान के उदाहरण दिए गए।

हाल ही में उत्तराखंड उच्च न्यायालय द्वारा विकासनगर की सभी मशीनों सहित राज्य के छह और विधानसभा क्षेत्रों की मशीनों को 48 घंटे में सील करने का आदेश और परिपालन में 2446 मशीनों का सील होने को भी इसी से जोड़ा जा रहा है। लेकिन यह भी सच है कि 2010 में जीवीएल नरसिम्हा राव जो भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता तथा चुनाव मामलों के विशेषज्ञ हैं की एक किताब सामने आई थी, जिसका नाम ‘डेमोक्रेसी एट रिस्क, कैन वी ट्रस्ट ऑर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन?’ है।

इसमें भी कई गंभीर प्रश्न उठाए गए थे। इसी तरह 2009 में चुनाव परिणामों के बाद, भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने भी आरोप लगाया था कि 90 सीटों पर ईवीएम फ्रॉड के जरिए ही कांग्रेस जीत सकी थी जो असंभव था।

ईवीएम पर आम आदमी पार्टी के अलावा मायावती, लालू यादव, ममता बनर्जी और खुद भाजपा-कांग्रेस के लोग भी आरोप लगा चुके हैं। ऐसे में आज का डेमो लोकतंत्र की अग्नि परीक्षा जैसे ही कहा जाएगा।

हालांकि बीते 19 अप्रैल को ही, चुनाव आयोग ने साफ कर कर दिया था कि 2019 के आम चुनाव वीवीपीएटटी मशानों से होंगे, जिसमें मतदाता अपने वोट का प्रिंट भी देख सकेंगे जो कि एक बॉक्स में जमा होगा। इसके लिए केंद्र ने तीन हजार करोड़ रुपये देने की बात कही है। इसमें मतदान की विश्वसनीयता मशीनी गणना और मतपर्ची दोनों से हो सकेगी। लेकिन दिल्ली विधानसभा के विशेष सत्र को लेकर अभी हंगामा होना बाकी है।

ईवीएम को लेकर नया खेल तो अभी शुरू हुआ है, लेकिन सवाल भारतीय लोकतंत्र की विश्वसनीय मतदान प्रणाली पर जरूर उठ गया है, जिससे कुहासा हटाना बेहद जरूरी है।

प्रादेशिक

IPS अधिकारी संजय वर्मा बने महाराष्ट्र के नए डीजीपी, रश्मि शुक्ला के ट्रांसफर के बाद मिली जिम्मेदारी

Published

on

By

Loading

महाराष्ट्र। महाराष्ट्र के नए डीजीपी का कार्यभार IPS संजय वर्मा को सौंपा गया है। आईपीएस संजय वर्मा को केंद्रीय चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र के नए पुलिस महानिदेशक के रूप में नियुक्त किया है। कुछ ही दिनों में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव है। उससे पहले चुनाव आयोग ने राज्य कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले की शिकायत मिलने के बाद डीजीपी रश्मि शुक्ला के तबादले का आदेश दिया था।

कौन हैं IPS संजय वर्मा?

IPS संजय वर्मा 1990 बैच के पुलिस अधिकारी हैं। वह महाराष्ट्र में वर्तमान में कानून और तकनीकी के डीजी के रूप में कार्यरत रहे। वह अप्रैल 2028 में सेवानिवृत्त पुलिस सेवा से रिटायर होंगे। दरअसल, डीजीपी रश्मि शुक्ला को लेकर सियासी दलों के बीच पिछले कुछ समय से माहौल गर्म था। कांग्रेस के बाद उद्धव गुट की शिवसेना ने भी चुनाव आयोग को पत्र लिखकर उन्हें हटाने की मांग की थी।

कांग्रेस ने रश्मि शुक्ला की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए चुनाव आयोग से उन्हें महानिदेशक पद से हटाने की मांग की थी। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने उन पर आरोप लगाया था कि वह बीजेपी के आदेश पर सरकार के लिए काम कर रही हैं।

Continue Reading

Trending