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बिजनेस

सस्ते तेल से भारत को फायदा : मूडीज

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चेन्नई| वैश्विक रेटिंग एजेंसी मूडीज इनवेस्टर्स सर्विस ने बुधवार को कहा कि सस्ते तेल के कारण भारत में महंगाई का दबाव कम हो सकता है और आर्थिक तेजी का फायदा मिल सकता है। ‘वैश्विक आर्थिक परिदृश्य 2015-16 : सस्ता तेल वैश्विक विकास में तेजी लाने में असफल’ रिपोर्ट में मूडीज ने कहा कि भारत और अमेरिका उन देशों में शामिल हैं, जिन्हें सस्ते तेल का फायदा मिलने वाला है।

मूडीज ने कहा, “भारत में हाल के वर्षो में विकास ऊंची महंगाई दर के कारण बाधित हो रहा है, जिसमें सस्ते तेल के कारण गिरावट आएगी। इससे पहले से ही सकारात्मक हो चुके माहौल में और सहयोग मिलेगा।”

मूडीज के मुताबिक तेल के सस्ता होने से सिद्धांतत: वैश्विक विकास में मदद मिलेगी।

रिपोर्ट में कहा गया है, “तेल सस्ता होने का फायदा कुछ देशों को मिलने वाला है। जी20 देशों में अमेरिका और भारत ऐसे प्रमुख देश हैं।”

मूडीज के मुताबिक अमेरिका की विकास दर 2015 और 2016 में क्रमश: 3.2 फीसदी और 2.8 फीसदी रह सकती है, क्योंकि सस्ते ईंधन के कारण होने वाले लाभ का कुछ हिस्सा कंपनियां और उपभोक्ता खर्च करने के लिए प्रोत्साहित हो सकते हैं।

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जेट एयरवेज की संपत्तियों की होगी बिक्री

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के आदेश को रद्द करते हुए दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) के अनुसार निष्क्रिय जेट एयरवेज के परिसमापन का आदेश दिया। एनसीएलएटी ने पहले कॉरपोरेट दिवालियापन समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) के हिस्से के रूप में जालान कालरॉक कंसोर्टियम (जेकेसी) को एयरलाइन के स्वामित्व के हस्तांतरण को बरकरार रखा था। सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश जारी करते हुए कहा कि जेकेसी संकल्प का पालन करने में विफल रहा क्योंकि वह 150 करोड़ रुपये देने में विफल रहा, जो श्रमिकों के बकाया और अन्य आवश्यक लागतों के बीच हवाई अड्डे के बकाया को चुकाने के लिए 350 करोड़ रुपये की पहली राशि थी। नवीनतम निर्णय एयरलाइन के खुद को पुनर्जीवित करने के संघर्ष के अंत का प्रतीक है।

NCLT को लगाई फटकार

पीठ की ओर से फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति पारदीवाला ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ एसबीआई तथा अन्य ऋणदाताओं की याचिका को स्वीकार कर लिया। याचिका में जेकेसी के पक्ष में जेट एयरवेज की समाधान योजना को बरकरार रखने के फैसले का विरोध किया गया है। न्यायालय ने कहा कि विमानन कंपनी का परिसमापन लेनदारों, श्रमिकों और अन्य हितधारकों के हित में है। परिसमापन की प्रक्रिया में कंपनी की संपत्तियों को बेचकर प्राप्त धन से ऋणों का भुगतान किया जाता है। पीठ ने एनसीएलएटी को, उसके फैसले के लिए फटकार भी लगाई।

शीर्ष अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी विशेष शक्तियों का इस्तेमाल किया, जो उसे अपने समक्ष लंबित किसी भी मामले या मामले में पूर्ण न्याय सुनिश्चित करने के लिए आदेश तथा डिक्री जारी करने का अधिकार देता है। एनसीएलएटी ने बंद हो चुकी विमानन कंपनी की समाधान योजना को 12 मार्च को बरकरार रखा था और इसके स्वामित्व को जेकेसी को हस्तांतरित करने की मंजूरी दी थी। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) और जेसी फ्लावर्स एसेट रिकंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ अदालत का रुख किया था।

 

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