मुख्य समाचार
सिजोफ्रेनिया के 25 फीसदी मरीज लगा रहे मौत को गले
नई दिल्ली, 28 मई (आईएएनएस)| मानसिक बीमारियों के सबसे गंभीर विकार सिजोफ्रेनिया का इलाज नहीं होने पर करीब 25 प्रतिशत मरीजों के खुदकुशी कर लेने का खतरा होता है। भारत में विभिन्न डिग्री के सिजोफ्रेनिया से लगभग 40 लाख लोग पीड़ित हैं। मनोचिकित्सकों ने इस बात की जानकारी दी। मनोचिकित्सों ने बताया कि सिजोफ्रेनिया के इलाज से वंचित करीब 90 प्रतिशत रोगी भारत जैसे विकासशील देशों में हैं। करीब एक अरब की आबादी वाले हमारे देश भारत में विभिन्न डिग्री के सिजोफ्रेनिया से लगभग 40 लाख लोग पीड़ित हैं, जिसके कारण कुल मिलाकर ढाई करोड़ लोग प्रभावित हो रहे हैं। यह बीमारी प्रति एक हजार वयस्कों में से करीब 10 लोगों और ज्यादातर 16-45 आयु वर्ग के लोगों को प्रभावित करती है।
नई दिल्ली के इंस्टीट्यूट ऑफ ‘ बिहेवियर एंड एप्लाइड साइंसेज संस्थान (इहबास) के निदेशक डॉ. निमेश जी. देसाई ने कहा, सिजोफ्रेनिया एक गंभीर मानसिक बीमारी है लेकिन अनुसंधानों की मदद से इसके उपचार में काफी प्रगति हो रही है। उन्होंने सिजोफ्रेनिया जैसी मानसिक बीमारियों के बारे में जागरूकता पैदा करने और वैज्ञानिक जानकारी प्रदान करने की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि डॉक्टरों और देखभाल करने वालों को रोग के कानूनी पहलुओं से भी अवगत कराया जाना चाहिए।
डॉ. देसाई ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य संबंधी नये अधिनियम (मानसिक हेल्थकेयर अधिनियम, 2017) को संभवत अगले महीने से लागू किया जाना है और इसके कारण सिजोफ्रेनिया जैसी मानसिक बीमारियों से संबंधित कानूनी ढांचे और जटिल बन जाएंगे। ऐसी परिस्थितियों में मरीजों के मानवाधिकारों को भी ध्यान में रखना जरूरी हो जाता है।
वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. अवनी तिवारी ने कहा कि आत्महत्या के जोखिम का आकलन करने में सुरक्षा संबंधी कारक भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और इनका सावधानीपूर्वक मूल्यांकन किया जाना चाहिए। किसी व्यक्ति में एक बार इनके लक्षण ध्यान में आने पर, इसकी पहचान के लिए व्यक्ति को मनोचिकित्सक को अवश्य दिखाना चाहिए। इस बीमारी का इलाज जितना जल्दी होगा उपचार की प्रतिक्रिया भी बेहतर होगी।
उन्होंने कहा, सिजोफ्रेनिया का इलाज संभव है, इसलिए इसके इलाज में देर नहीं करनी चाहिए। इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को उसके सामाजिक जीवन में वापस लाने के लिए मनोचिकित्सकों और मनोवैज्ञानिकों की टीम परिवार के सदस्यों के साथ मिलकर कड़ी मेहनत करती है।
नई दिल्ली स्थित कॉस्मोस इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड बिहेवियरल साइंसेज (सीआईएमबीएस) में कंसल्टेंट मनोचिकित्सक डॉ. राजेश कुमार के अनुसार, सिजोफ्रेनिया क्यों होता है और क्या इसके लिए पर्यावरणीय और आनुवांशिक कारण भी जिम्मेदार हैं, इस बारे में अभी तक कोई जानकारी नहीं हो पाई है। लेकिन, जितनी जल्दी संभव हो, इसका उचित इलाज कराना बहुत महत्वपूर्ण है। यह एक आम मिथक है कि सिजोफ्रेनिया का इलाज नहीं किया जा सकता, जबकि वास्तविकता यह है कि यह ठीक हो सकता है।
मानस गंगा सेंटर (नोएडा) के निदेशक डॉ. मनु तिवारी ने कहा कि जब हमने सिजोफ्रेनिया के रोगियों के परिवारों का रोगियों के देखभाल करने वालों का रोगियों के प्रति ष्टिकोण के बारे में सर्वेक्षण किया, तो हमने यह पाया कि देखभाल करने वालों में मरीज को लेकर भेदभाव पूर्ण टिप्पणियां करने और शत्रुता की भावना अधिक थी।
डॉ. मनु तिवारी ने कहा, मानसिक बीमारियों और इन बीमारियों से जुड़े लक्षणों के बारे में आम लोगों के बीच जागरूकता पैदा करने से समाज में मरीजों के लिए अधिक स्वीकृति बनाने में मदद मिल सकती है। लोगों को यह समझना चाहिए कि मानसिक बीमारियों वाले मरीजों के प्रति नकारात्मक टिप्पणी या अस्वीकृति उन्हें नकारात्मक रूप से प्रभावित करती है और इसलिए इससे बचा जाना चाहिए।
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पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला, 38 लोगों की मौत
पख्तूनख्वा। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला हुआ है। इस हमले में 38 लोगों की मौत हो गई है। यह हमला खैबर पख्तूनख्वा के डाउन कुर्रम इलाके में एक पैसेंजर वैन पर हुआ है। हमले में एक पुलिस अधिकारी और महिलाओं समेत दर्जनों लोग घायल भी हुए हैं। जानकारी के मुताबिक उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में आतंकियों ने शिया मुस्लिम नागरिकों को ले जा रहे यात्री वाहनों पर गोलीबारी की है। यह क्षेत्र में हाल के वर्षों में इस तरह का सबसे घातक हमला है। मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है।
AFP की रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले में 38 लोगों की मौत हुई है. पैसेंजर वैन जैसे ही लोअर कुर्रम के ओचुट काली और मंदुरी के पास से गुजरी, वहां पहले से घात लगाकर बैठे आतंकियों ने वैन पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. पैसेंजर वैन पाराचिनार से पेशावर जा रही थी। पाकिस्तान की समाचार एजेंसी डॉन के मुताबिक तहसील मुख्यालय अस्पताल अलीजई के अधिकारी डॉ. ग़यूर हुसैन ने हमले की पुष्टि की है.
शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच तनाव
अफगानिस्तान की सीमा से लगे कबायली इलाके में भूमि विवाद को लेकर शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच दशकों से तनाव बना हुआ है। किसी भी समूह ने घटना की जिम्मेदारी नहीं ली है। जानकारी के मुताबिक “यात्री वाहनों के दो काफिले थे, एक पेशावर से पाराचिनार और दूसरा पाराचिनार से पेशावर यात्रियों को ले जा रहा था, तभी हथियारबंद लोगों ने उन पर गोलीबारी की।” चौधरी ने बताया कि उनके रिश्तेदार काफिले में पेशावर से यात्रा कर रहे थे।
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