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नेशनल

सुलगता दार्जिलिंग : बेमियादी बंदी के बीच व्‍यापक हिंसा का दौर जारी

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जीजेएम, गोरखा जनमुक्ति मोर्चा, अनिश्चितकालीन बंद, दार्जिलिंग

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दार्जिलिंग। गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) की ओर से बुलाए गए अनिश्चितकालीन बंद शनिवार को छठवें दिन भी जारी है। इसके चलते उत्तरी पश्चिम बंगाल के पहाड़ी क्षेत्रों में तनाव की स्थिति बनी है। राज्य की सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और जीजेएम के बीच चल रहे घमासान के कारण दार्जिलिंग की वादियों में माहौल अशांत है।

जीजेएम, गोरखा जनमुक्ति मोर्चा, अनिश्चितकालीन बंद, दार्जिलिंग

जीजेएम की महिला शाखा ने पार्टी के सहायक महासचिव बिनय तमांग के आवास पर हुई छापेमारी के खिलाफ नारेबाजी करते हुए दार्जिलिंग के उत्तर में स्थित सिंगमड़ी में रैली निकाली। इसके बाद  व्यापक हिंसा शुरू हो गई। सैकड़ों महिला कार्यकर्ताओं ने अलग गोरखालैंड की मांग करते हुए हाथों में तिरंगा थामे ‘गोरखालैंड गोरखालैड’ के नारे लगाए।

महिला कार्यकर्ताओं ने ‘पुलिस वापस जाओ’ के नारे लगाते हुए पुलिस बैरिकेडिंग को धक्का दिया। इसके बाद पुलिस ने स्थिति को नियंत्रण में करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े। बिनय तमांग ने कहा कि पुलिस और तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने शुक्रवार रात करीब तीन बजे उनके घर में भी उसी तरह छापेमारी और तोड़फोड़ की, जिस तरह दो दिन पहले उन्होंने पार्टी प्रमुख बिमल गुरंग के घर पर की थी।

तमांग ने साथ ही दावा किया कि पुलिस ने जीजेएम के विधायक अमर राय के बेटे को भी गिरफ्तार कर लिया है। अमर राय का कहना है कि उनके बेटे का राजनीति से कोई लेनादेना नहीं है।

तमांग ने एक बयान में कहा, “हम स्तब्ध हैं कि पिछली रात एक स्थानीय पत्रकार विक्रम राय को गिरफ्तार कर लिया गया। राय कोलकाता के कई मीडिया संस्थानों से जुड़े हैं। वह एक टेलीविजन चैनल के लिए स्ट्रिंगर के रूप में भी काम कर चुके हैं। अगर दार्जिलिंग में स्थानीय पत्रकार तक सुरक्षित नहीं हैं तो फिर कौन सुरक्षित हो सकता है।”

उन्होंने कहा, “दार्जिलिंग में एक तरह से आपातकाल लागू कर दिया गया है।” वहीं, तृणमूल कांग्रेस कार्यकर्ता देवराज गुरंग ने कहा कि जीजेएम समर्थकों ने लेबोंग कार्ट रोड स्थित उनके आवास पर पथराव किया और पेट्रोल बम फेंके।

 जीजेएम समर्थकों ने कथित तौर पर पंखाबाड़ी में एक स्थानीय तृणमूल कार्यकर्ता के आवास पर हमला किया और बिजोनबाड़ी में पीडब्ल्यूडी के कार्यालय में आग लगा दी।

दार्जिलिंग में जारी हिंसा का पर्यटन पर भी बुरा असर पड़ा है। एक रेल अधिकारी के मुताबिक, यात्रियों और कर्मचारियों की सुरक्षा के मद्देनजर दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे (डीएचआर) की टॉय ट्रेन सेवा भी स्थगित कर दी गई है।

जीजेएम ने सरकारी स्कूलों में बांग्ला भाषा को अनिवार्य किए जाने के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के फैसले के विरोध में दार्जिलिंग एवं कलिम्पोंग जिलों में अनिश्चितकालीन बंद की घोषणा की है। हालांकि, मुख्यमंत्री ने भरोसा दिया है कि नया नियम पहाड़ी जिलों में नहीं लागू किया जाएगा। इसके बाद भी हड़ताल आयोजित की गई है।

 

उत्तर प्रदेश

संभल में कैसे भड़की हिंसा, किस आधार पर हो रहा दावा, पढ़े पूरी रिपोर्ट

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संभल। संभल में एक मस्जिद के स्थान पर प्राचीन मंदिर होने और भविष्य में कल्कि अवतार के यहां होने के दावे ने हाल ही में काफी सुर्खियां बटोरी हैं. इस दावे के पीछे कई धार्मिक और ऐतिहासिक तथ्य बताए जा रहे है. उत्तर प्रदेश के संभल में कल्कि अवतार और उनके मंदिर को लेकर कई दावे पहले से ही किए जा रहे हैं. इसे लेकर धार्मिक मान्यताओं और शास्त्रों के आधार पर गहरी चर्चा हो भी रही है. हिंदू धर्म में कल्कि अवतार को भगवान विष्णु का दसवां और अंतिम अवतार माना गया है. ऐसा माना जाता है कि कलियुग के अंत में जब अधर्म और अन्याय अपने चरम पर होगा तब भगवान कल्कि अवतार लेकर पृथ्वी पर धर्म की स्थापना करेंगे.

कैसे भड़की हिंसा?

24 नवंबर को मस्जिद में हो रहे सर्वे का स्थानीय लोगों ने विरोध किया. पुलिस भीड़ को नियंत्रित करने के लिए मौके पर थी. सर्वे पूरा होने के बाद जब सर्वे टीम बाहर निकली तो तनाव बढ़ गया. भीड़ ने पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया, जिसके कारण स्थिति बिगड़ गई और हिंसा भड़क उठी.

दावा क्या है?

हिंदू पक्ष का दावा है कि संभल में स्थित एक मस्जिद के स्थान पर प्राचीन काल में एक मंदिर था. इस मंदिर को बाबर ने तोड़कर मस्जिद बनवाई थी. उनका यह भी दावा है कि भविष्य में कल्कि अवतार इसी स्थान पर होंगे.

किस आधार पर हो रहा है दावा?

दावेदारों का कहना है कि उनके पास प्राचीन नक्शे हैं जिनमें इस स्थान पर मंदिर होने का उल्लेख है. स्थानीय लोगों की मान्यता है कि इस स्थान पर प्राचीन काल से ही पूजा-अर्चना होती थी. कुछ धार्मिक ग्रंथों में इस स्थान के बारे में उल्लेख मिलता है. हिंदू धर्म के अनुसार कल्कि अवतार भविष्य में आएंगे और धर्म की स्थापना करेंगे. दावेदारों का मानना है कि यह स्थान कल्कि अवतार के लिए चुना गया है.

किस आधार पर हो रहा है विरोध?

अभी तक इस दावे के समर्थन में कोई ठोस पुरातात्विक साक्ष्य नहीं मिला है. जो भी ऐतिहासिक रिकॉर्ड्स उपल्बध हैं वो इस बात की पुष्टि करते हैं कि इस स्थान पर एक मस्जिद थी. धार्मिक ग्रंथों की व्याख्या कई तरह से की जा सकती है और इनका उपयोग किसी भी दावे को सिद्ध करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए.

संभल का धार्मिक महत्व

शास्त्रों और पुराणों में यह उल्लेख है कि भगवान विष्णु का कल्कि अवतार उत्तर प्रदेश के संभल नामक स्थान पर होगा. इस आधार पर संभल को कल्कि अवतार का स्थान माना गया है. श्रीमद्भागवत पुराण और अन्य धर्मग्रंथों में कल्कि अवतार का वर्णन विस्तार से मिलता है जिसमें कहा गया है कि कल्कि अवतार संभल ग्राम में विष्णुयश नामक ब्राह्मण के घर जन्म लेंगे.

इसी मान्यता के कारण संभल को कल्कि अवतार से जोड़ा जाता है. संभल में बने कल्कि मंदिर को लेकर यह दावा किया जा रहा है कि यही वह स्थान है जहां भविष्य में भगवान कल्कि का प्रकट होना होगा. मंदिर के पुजारी और भक्तों का कहना है कि यह स्थान धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र है और यहां कल्कि भगवान की उपासना करने से व्यक्ति अधर्म से मुक्ति पा सकता है.

धार्मिक विश्लेषण

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, कल्कि अवतार का समय तब होगा जब अधर्म, पाप और अन्याय चरम पर पहुंच जाएंगे. वर्तमान में दुनिया में मौजूद सामाजिक और नैतिक स्थितियों को देखकर कुछ लोग यह मानते हैं कि कल्कि अवतार का समय निकट है. संभल में कल्कि मंदिर को लेकर जो भी दावे किए जा रहे हैं वो सभी पूरी तरह से आस्था पर आधारित हैं. धार्मिक ग्रंथों में वर्णित समय और वर्तमान समय के बीच अभी काफी अंतर हो सकता है. उत्तर प्रदेश के संभल में कल्कि अवतार और मंदिर का दावा धार्मिक मान्यताओं और शास्त्रों पर आधारित है. हालांकि, यह दावा प्रमाणिकता के बजाय विश्वास पर आधारित है. यह भक्तों की आस्था है जो इस स्थान को विशेष बनाती है.

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