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बिजनेस

सेंसेक्स, निफ्टी में 1 फीसदी से अधिक तेजी

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मुंबई| देश के शेयर बाजारों में पिछले सप्ताह प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स और निफ्टी में एक फीसदी से अधिक तेजी रही। बंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का 30 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक सेंसेक्स पिछले सप्ताह 1.01 फीसदी या 280.95 अंकों की तेजी के साथ शुक्रवार को 28,092.79 पर बंद हुआ। इसी तरह, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का 50 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक निफ्टी 1.24 फीसदी या 103.8 अंकों की तेजी के साथ 8,484.90 पर बंद हुआ।

पिछले सप्ताह सेंसेक्स के 30 शेयरों में से 22 में तेजी रही, जिनमें प्रमुख रहे हिंदुस्तान यूनिलीवर (4.25 फीसदी), भारती एयरटेल (4.12 फीसदी), एक्सिस बैंक (3.59 फीसदी), ल्युपिन (3.46 फीसदी) और भेल (3.01 फीसदी)।

सेंसेक्स के आठ शेयरों में गिरावट रही, जिनमें प्रमुख रहे हिंडाल्को (5.47 फीसदी), गेल (3.60 फीसदी), वेदांता (2.40 फीसदी), मारुति (1.76 फीसदी) और इंफोसिस (1.61 फीसदी)।

गत सप्ताह मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांकों में भी डेढ़ फीसदी से अधिक तेजी रही। मिडकैप 1.72 फीसदी या 183.89 अंकों की तेजी के साथ 10,870.00 पर और स्मॉलकैप 1.61 फीसदी या 179.09 अंकों की तेजी के साथ 11,303.58 पर बंद हुआ।

गत सप्ताह गुरुवार दो जुलाई को भारतीय रिजर्व बैंक के बोर्ड की चेन्नई में हुई बैठक के बाद गवर्नर रघुराम राजन ने संवाददाताओं से कहा कि देश में पूंजी निवेश में वृद्धि दर्ज की जा रही है। उन्होंने मानसून की प्रगति पर संतोष जताया।

भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने गुरुवार को कहा कि मानसूनी बारिश 25 जून से एक जुलाई के बीच पूरे देश में औसत से 14 फीसदी कम हुई।

आईएमडी के मुताबिक मौजूदा मानसून सत्र में अब तक बारिश पूरे देश में औसत से 10 फीसदी अधिक रही है। क्षेत्रवार मध्य भारत में यह 15 फीसदी अधिक, दक्षिण भारत में 12 फीसदी अधिक, पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत में तीन फीसदी कम और पश्चिमोत्तर में 23 फीसदी अधिक रही है।

जून-सितंबर दक्षिण-पश्चिम मानसून देश की कृषि के लिए काफी महत्वपूर्ण होता होता है, क्योंकि देश की कृषि मुख्यत: बारिश पर ही निर्भर है।

मंगलवार को जारी आंकड़े के मुताबिक मई महीने में आठ प्रमुख उद्योगों की विकास दर 4.4 फीसदी रही और अप्रैल-मई के दो महीने में यह विकास दर 2.1 फीसदी रही।

गत सप्ताह मंगलवार को ग्रीस अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) कर्ज की वापसी करने में विफल रहा। अब वह आईएमएफ के बकाएदारों की सूची में शामिल हो गया है। इस सूची में वह एक मात्र यूरोपीय देश है।

कर्ज की आगामी खेप लेने के लिए कर्जदाताओं के प्रस्तावों को मानने या न मानने पर ग्रीस में पांच जुलाई को जनमत संग्रह कराया जाएगा। यदि मतदान न के पक्ष में होता है, तो ग्रीस को यूरो जोन से बाहर निकलना पड़ सकता है और यदि मतदान हां के पक्ष में होता है तो प्रधानमंत्री एलेक्सिस सिप्रास की वामपंथी सरकार गिर सकती है।

नेशनल

ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप को मनमानी करने पर 103 के बदले देने पड़ेंगे 35,453 रु, जानें क्या है पूरा मामला

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हैदराबाद। ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप स्विगी को ग्राहक के साथ मनमानी करना भारी पड़ गया। कंपनी की इस मनमानी पर एक कोर्ट ने स्विगी पर तगड़ा जुर्माना ठोक दिया। हैदराबाद के निवासी एम्माडी सुरेश बाबू की शिकायत पर उपभोक्ता आयोग ने बड़ा फैसला सुनाया है। बाबू ने आरोप लगाया था कि स्विगी ने उनके स्विगी वन मेंबरशिप के लाभों का उल्लंघन किया और डिलीवरी Food Delivery की दूरी को जानबूझकर बढ़ाकर उनसे अतिरिक्त शुल्क वसूला

क्या है पूरा मामला ?

सुरेश बाबू ने 1 नवंबर, 2023 को स्विगी से खाना ऑर्डर किया था। सुरेश के लोकेशन और रेस्टॉरेंट की दूरी 9.7 किमी थी, जिसे स्विगी ने बढ़ाकर 14 किमी कर दिया था। दूरी में बढ़ोतरी की वजह से सुरेश को स्विगी का मेंबरशिप होने के बावजूद 103 रुपये का डिलीवरी चार्ज देना पड़ा। सुरेश ने आयोग में शिकायत दर्ज कराते हुए कहा कि स्विगी वन मेंबरशिप के तहत कंपनी 10 किमी तक की रेंज में फ्री डिलीवरी करने का वादा किया था।कोर्ट ने बाबू द्वारा दिए गए गूगल मैप के स्क्रीनशॉट्स और बाकी सबूतों की समीक्षा की और पाया कि दूरी में काफी बढ़ोतरी की गई है।

कोर्ट ने स्विगी को अनुचित व्यापार व्यवहार का दोषी पाया और कंपनी को आदेश दिया कि वे सुरेश बाबू को 9 प्रतिशत ब्याज के साथ 350.48 रुपये के खाने का रिफंड, डिलीवरी के 103 रुपये, मानसिक परेशानी और असुविधा के लिए 5000 रुपये, मुकदमे की लागत के लिए 5000 रुपए समेत कुल 35,453 रुपये का भुगतान करे।

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