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सेज की स्थिति भूमि अधिग्रहण के लिए चेतावनी

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नई दिल्ली। विकास के लिए पहले किए गए भूमि अधिग्रहण अपने लक्ष्य पूरे करने में सफल नहीं रहे हैं और नए तथा विवादास्पद भूमि अधिग्रहण विधेयक को पारित कराने की सरकार की जद्दोजहद को देखते हुए इसे एक चेतावनी के रूप में लिया जाना चाहिए।

इस संबंध में देश के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (सीएजी) की 2012-13 की एक रिपोर्ट के मुख्य तथ्य इस प्रकार हैं :

– विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) के लिए किसानों की अधिगृहीत भूमि के अधिकतम 62 फीसदी का ही उपयोग लक्षित उद्येश्य-विनिर्माण, निर्यात और रोजगार में वृद्धि-के लिए हुआ।

– अधिकतर सेज में सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) और आईटी आधारित कंपनियों की भरमार और सभी सेज परियोजनाओं में विनिर्माण कंपनियों की हिस्सेदारी सिर्फ नौ फीसदी।

– सेज रोजगार, निवेश और निर्यात लक्ष्य से काफी पीछे। उदाहरणस्वरूप रोजगार लक्ष्य का सिर्फ 8 फीसदी ही हासिल।

सीएजी की रिपोर्ट 2012-13 के लिए 13 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेश चण्डीगढ़ की 574 सेज इकाइयों पर आधारित हैं। ये राज्य हैं – आंध्र प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल।

राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार के नए भूमि अधिग्रहण विधेयक को व्यापक विरोध के बाद पुनर्विचार के लिए संसद की स्थायी समिति के हवाले कर दिया गया है।

सरकार का तर्क यह है कि देश में विधेयक को तेजी से पारित किए जाने की जरूरत है, ताकि उद्योग को भूमि उपलब्ध हो सके। इससे रोजगार बढ़ेगा और आर्थिक तेजी आएगी।

सेज के बारे में क्या कहा जाए? इसका भी निर्माण सरकार ने इसी तरह की मंशा के साथ विशेष आर्थिक क्षेत्र अधिनियम-2000 के साथ किया था। सेज को आर्थिक विकास की धुरी बनाने के लिए इसे 2005 में लागू किया गया था। सेज को व्यापारिक संचालन, शुल्क और करों के लिहाज से एक विदेशी क्षेत्र का दर्जा प्राप्त है।

पिछली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार ने 60,375 हेक्टेयर भूमि में फैले 576 सेज को मंजूरी दी थी। इसमें से 45,636 हेक्टेयर में फैले 392 सेज मार्च 2014 तक अधिसूचित हुए। भूमि उपयोग के लिहाज से 392 अधिसूचित सेज में से 152 का ही संचालन हो रहा है, जो 28,489 हेक्टेयर में फेले हैं।

साफ है कि 424 सेज (31,886 हेक्टेयर) यानी, 52.8 फीसदी का उपयोग नहीं हो रहा है।

लेखापरीक्षा रिपोर्ट के मुताबिक बेकार भूमि राज्यवार इस प्रकार है :

– ओडिशा 96.6 फीसदी

– पश्चिम बंगाल 96.3 फीसदी

– महाराष्ट्र 70.1 फीसदी

– कर्नाटक 56.7 फीसदी

– तमिलनाडु 49 फीसदी

– आंध्र प्रदेश 48.3 फीसदी

– गुजरात 47.5 फीसदी

लेखापरीक्षा रिपोर्ट के मुताबिक सेज की मंजूरी रोजगार, निवेश और निर्यात लक्ष्य से भी काफी पीछे रही, जो इस प्रकार है :

– रोजगार लक्ष्य 93 फीसदी पीछे : सेज ने दो लाख रोजगार दिए, लक्ष्य 39 लाख

– निवेश लक्ष्य से 59 फीसदी पीछे : 80,176.3 करोड़ रुपये निवेश, लक्ष्य 1,94,662.5 करोड़ रुपये

– निर्यात लक्ष्य से 74 फीसदी पीछे : सेज से 1,00,579.7 करोड़ रुपये मूल्य की वस्तुओं का निर्यात, लक्ष्य 3,95,547.4 करोड़ रुपये मूल्य की वस्तु।

कुल मंजूर सेज परियोजनाओं में से 56 फीसदी आईटी क्षेत्र में और सिर्फ नौ फीसदी बहु क्षेत्र या विनिर्माण कारोबार के लिए हैं। साथ ही संचालनरत सेज परियोजनाओं में से 59 फीसदी आईटी क्षेत्र में और सिर्फ 8.5 फीसदी विनिर्माण क्षेत्र में काम कर रही हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक देश में सूचीबद्ध 392 सेज में से 301 यानी 77 फीसदी कथित तौर पर विकसित राज्यों में हैं। ये राज्य हैं आंध्र प्रदेश (अब तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में विभाजित), महाराष्ट्र, कर्नाटक, हरियाणा और गुजरात।

रिपोर्ट के मुताबिक कुछ ही राज्यों में अधिक सेज होने का कारण यह है कि अन्य राज्यों में एकल मंजूरी खिड़की नहीं है,, जिससे मंजूरी की प्रक्रिया में देरी होती है। साथ ही अधिकतर सेज शहरों के आसपास हैं।

(एक गैर लाभकारी, जनहित पत्रकारिता मंच, इंडियास्पेंड डॉट ऑर्ग के साथ एक व्यवस्था के तहत। प्राची साल्वे संस्थान में नीति विश्लेषक हैं। यहां प्रस्तुत विचार उनके अपने हैं।)

 

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पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला, 38 लोगों की मौत

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पख्तूनख्वा। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला हुआ है। इस हमले में 38 लोगों की मौत हो गई है। यह हमला खैबर पख्तूनख्वा के डाउन कुर्रम इलाके में एक पैसेंजर वैन पर हुआ है। हमले में एक पुलिस अधिकारी और महिलाओं समेत दर्जनों लोग घायल भी हुए हैं। जानकारी के मुताबिक उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में आतंकियों ने शिया मुस्लिम नागरिकों को ले जा रहे यात्री वाहनों पर गोलीबारी की है। यह क्षेत्र में हाल के वर्षों में इस तरह का सबसे घातक हमला है। मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है।

AFP की रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले में 38 लोगों की मौत हुई है. पैसेंजर वैन जैसे ही लोअर कुर्रम के ओचुट काली और मंदुरी के पास से गुजरी, वहां पहले से घात लगाकर बैठे आतंकियों ने वैन पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. पैसेंजर वैन पाराचिनार से पेशावर जा रही थी। पाकिस्तान की समाचार एजेंसी डॉन के मुताबिक तहसील मुख्यालय अस्पताल अलीजई के अधिकारी डॉ. ग़यूर हुसैन ने हमले की पुष्टि की है.

शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच तनाव 

अफगानिस्तान की सीमा से लगे कबायली इलाके में भूमि विवाद को लेकर शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच दशकों से तनाव बना हुआ है। किसी भी समूह ने घटना की जिम्मेदारी नहीं ली है। जानकारी के मुताबिक “यात्री वाहनों के दो काफिले थे, एक पेशावर से पाराचिनार और दूसरा पाराचिनार से पेशावर यात्रियों को ले जा रहा था, तभी हथियारबंद लोगों ने उन पर गोलीबारी की।” चौधरी ने बताया कि उनके रिश्तेदार काफिले में पेशावर से यात्रा कर रहे थे।

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