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स्वाइन फ्लू : केंद्र, दिल्ली सरकार से जवाब तलब

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नई दिल्ली | दिल्ली उच्च न्यायाल ने बुधवार को केंद्र और दिल्ली सरकार से स्वाइन फ्लू से निपटने के लिए किए गए इंतजामों पर जानकारी मांगी। न्यायालय ने तेजी से फैल रही इस संक्रामक बीमारी की जांच सस्ता किए जाने का निर्देश देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र व दिल्ली सरकार से जवाब मांगा।

मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी. रोहिणी और न्यायमूर्ति आर. एस. एंडलॉ की खंडपीठ ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री, दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री, स्थानीय निकायों और दिल्ली के उपराज्यपाल को नोटिस जारी किया और चार मार्च तक जवाब देने के लिए कहा। खंडपीठ ने कहा, “मामले पर अब तक जो भी कदम उठाए गए हैं, उनकी विस्तृत जानकारी के साथ अपनी प्रतिक्रिया सौंपे।” अधिवक्ता गौरव बहल की ओर से दाखिल की गई जनहित याचिका में कहा गया है कि सरकार को चाहिए स्वाइन फ्लू (एच1एन1) की जांच के लिए शहर में और ज्यादा प्रयोगशालाएं बनाई जाएं और इस बीमारी की जांच सस्ती होनी चाहिए। बहल ने कहा, “सरकार को ज्यादा से ज्यादा जांच प्रयोगशालाएं उपलब्ध करानी चाहिए, जहां जांच सस्ता हो। इस समय जांच की कीमत 4,500 रुपये है, इसे कम किया जाना चाहिए।”

उन्होंने न्यायालय को बताया कि इस समय दिल्ली में स्वाइन फ्लू की जांच के लिए मात्र तीन प्रयोगशालाएं हैं। उन्होंने कहा, “सरकार को तत्काल सभी सरकारी अस्पतालों में ज्यादा प्रयोगशालाएं स्थापित करनी चाहिए, जहां स्वाइन फ्लू की जांच कराई जा सके।” याचिका में जानलेवा बीमारी साबित हो रही स्वाइन फ्लू के संक्रमण को लेकर लापरवाही बरतने पर सरकार को चुनौती दी गई है। याचिका में कहा गया है कि मौजूदा समय में मान्यता प्राप्त जांच प्रयोगशालाएं बेहद सीमित हैं और जांच का खर्च बहुत ज्यादा है। सरकार को तत्काल और प्रयोगशालाएं खोलने की जरूरत है, जहां दिल्ली वासियों की सस्ती कीमत पर जांच हो सके। याचिका में कहा गया कि सरकार को सभी अस्पतालों में स्वाइन फ्लू का उपचार और दवाएं उपलब्ध कराने के निर्देश दिए जाएं और दिल्ली के सभी अस्पतालों एवं नर्सिग होम में पर्याप्त और जरूरत के अनुसार दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएं।

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ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप को मनमानी करने पर 103 के बदले देने पड़ेंगे 35,453 रु, जानें क्या है पूरा मामला

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हैदराबाद। ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप स्विगी को ग्राहक के साथ मनमानी करना भारी पड़ गया। कंपनी की इस मनमानी पर एक कोर्ट ने स्विगी पर तगड़ा जुर्माना ठोक दिया। हैदराबाद के निवासी एम्माडी सुरेश बाबू की शिकायत पर उपभोक्ता आयोग ने बड़ा फैसला सुनाया है। बाबू ने आरोप लगाया था कि स्विगी ने उनके स्विगी वन मेंबरशिप के लाभों का उल्लंघन किया और डिलीवरी Food Delivery की दूरी को जानबूझकर बढ़ाकर उनसे अतिरिक्त शुल्क वसूला

क्या है पूरा मामला ?

सुरेश बाबू ने 1 नवंबर, 2023 को स्विगी से खाना ऑर्डर किया था। सुरेश के लोकेशन और रेस्टॉरेंट की दूरी 9.7 किमी थी, जिसे स्विगी ने बढ़ाकर 14 किमी कर दिया था। दूरी में बढ़ोतरी की वजह से सुरेश को स्विगी का मेंबरशिप होने के बावजूद 103 रुपये का डिलीवरी चार्ज देना पड़ा। सुरेश ने आयोग में शिकायत दर्ज कराते हुए कहा कि स्विगी वन मेंबरशिप के तहत कंपनी 10 किमी तक की रेंज में फ्री डिलीवरी करने का वादा किया था।कोर्ट ने बाबू द्वारा दिए गए गूगल मैप के स्क्रीनशॉट्स और बाकी सबूतों की समीक्षा की और पाया कि दूरी में काफी बढ़ोतरी की गई है।

कोर्ट ने स्विगी को अनुचित व्यापार व्यवहार का दोषी पाया और कंपनी को आदेश दिया कि वे सुरेश बाबू को 9 प्रतिशत ब्याज के साथ 350.48 रुपये के खाने का रिफंड, डिलीवरी के 103 रुपये, मानसिक परेशानी और असुविधा के लिए 5000 रुपये, मुकदमे की लागत के लिए 5000 रुपए समेत कुल 35,453 रुपये का भुगतान करे।

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