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हंगामा है क्यों बरपा, एक शाल ही तो ओढ़ी है!

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फॉरेन टूर पर गए पीएम नरेंद्र मोदी एक बार फिर सुर्खियों में हैं लेकिन इस बार किसी अहम समझौते से ज्यादा खबरें उनकी शॉल बटोर रही है। अभी ज्यादा दिन नहीं हुए जब अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के दौरे के वक्त पीएम मोदी के सूट की चर्चा हर नागरिक की जुबान पर चढ़ गई थी।

पीएम मोदी की शॉल को लेकर चर्चाओं ने सबसे पहले सोशल मीडिया पर जोर पकड़ा। दरअसल विदेश यात्रा के दौरान पेरिस पहुंचे मोदी, एक शॉल अपने कंधे पर डाले नजर आए। सोशल मीडिया पर कहा गया कि यह शॉल फेमस विदेशी ब्रांड ‘लुई वितां’ की है। इसे लेकर एक स्थानीय कांग्रेस नेता ने ट्वीट कर तंज कसा कि लुई वितां की शॉल ओढ़ कर मोदी फ़्रांस में अपने ‘मेक इन इंडिया’ अभियान का जोरशोर से प्रचार कर रहे हैं। देखते ही देखते सोशल मीडिया पर यह शॉल चर्चा का केंद्र बिंदु बन गई। यह भी कहा जाने लगा कि इस शॉल पर एनएम यानी नरेंद्र मोदी लिखा हुआ है। कुछ ऐसा ही ओबामा के टूर के वक्त मोदी के सूट पर भी लिखा था। शॉल को लेकर चल रही चर्चाओं में टीवी पत्रकार सागरिका घोष ने भी ट्वीट करने में देर नहीं लगाई। उन्होंने लिखा, प्रधानमंत्री ने पेरिस में लुई वितां की शॉल ओढ़ी, मेरी राय में भारतीय हैंडलूम ज़्यादा बेहतर होता।

हालांकि पेरिस से आईं असली तस्वीरों को देखने पर पता चला की मोदी के सूट में इस तरह की कोई लिखावट नहीं है। किसी ने इसमें छेड़छाड़ कर विवाद खड़ा करने की कोशिश की। लेकिन इस पूरी चर्चा में दिलचस्प मोड़ तब आया जब एक शख्स ने ट्वीट कर ऐसी शॉल खरीदने की इच्छा जताई। लुई वितां ने इसके जवाब में लिखा, आपके ट्वीट के लिए धन्यवाद। दुर्भाग्य से आपने जो तस्वीर दी है वैसी शॉल हमारी कंपनी ने नहीं तैयार की है। इस ट्वीट के बाद कांग्रेस नेता और टीवी पत्रकार सागरिका ने माफ़ी मांग ली। सागरिका ने लिखा, लुई वितां ट्वीट के लिए माफ़ी चाहती हूं। प्रधानमंत्री की शॉल लुई वितां शॉल नहीं थी! होती भी तो कुछ गलत नहीं था।

कुछ भी हो लेकिन इस पूरी घटना ने भारतीयों की मेंटिलिटी ही उजागर होती है। जब किसी देश का प्रेसीडेंट या नेता हमारे देश में आता है तो उसका स्टाइल, रहन-सहन से जुड़ी हर खबर मीडिया में नजर आने लगती है। ओबामा की बीस्ट गाड़ी हो या उनके एयरफोर्स वन की खूबियां गिनाते हुए हम नहीं थकते। ज्यादा समय नहीं बीता, आपको याद ही होगा कुछ साल पहले पाकिस्तान की पूर्व विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार के भारत दौरे के वक्त उनके पर्स, चश्मे लेकर प्राइम टाइम से लेकर अखबारों के पन्ने तक रंग गए। लेकिन भारतीय पीएम कोई सूट या शॉल ओढ़ ले तो राष्ट्रीय आपदा जैसे हालात पैदा हो जाते हैं। दरअसल ये वह लोग हैं जो भारत को हमेशा दबा-कुचला या गरीबों का देश कहलवाना पसंद करते हैं। ये ठीक है कि कपड़े किसी पीएम या देश की पहचान नहीं बनते लेकिन अंतरराष्ट्रीय मंचों पर विदेशी मीडिया की मौजूदगी में अपने देश की गरिमापूर्ण पहचान बनाना भी बेहद जरूरी है। ये हालात देखकर तो गुलाम अली साहब की यही गजल गुनगुनाने का मन करता है- हंगामा है क्यों बरपा, एक शाल ही तो ओढ़ी है!

प्रादेशिक

IPS अधिकारी संजय वर्मा बने महाराष्ट्र के नए डीजीपी, रश्मि शुक्ला के ट्रांसफर के बाद मिली जिम्मेदारी

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महाराष्ट्र। महाराष्ट्र के नए डीजीपी का कार्यभार IPS संजय वर्मा को सौंपा गया है। आईपीएस संजय वर्मा को केंद्रीय चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र के नए पुलिस महानिदेशक के रूप में नियुक्त किया है। कुछ ही दिनों में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव है। उससे पहले चुनाव आयोग ने राज्य कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले की शिकायत मिलने के बाद डीजीपी रश्मि शुक्ला के तबादले का आदेश दिया था।

कौन हैं IPS संजय वर्मा?

IPS संजय वर्मा 1990 बैच के पुलिस अधिकारी हैं। वह महाराष्ट्र में वर्तमान में कानून और तकनीकी के डीजी के रूप में कार्यरत रहे। वह अप्रैल 2028 में सेवानिवृत्त पुलिस सेवा से रिटायर होंगे। दरअसल, डीजीपी रश्मि शुक्ला को लेकर सियासी दलों के बीच पिछले कुछ समय से माहौल गर्म था। कांग्रेस के बाद उद्धव गुट की शिवसेना ने भी चुनाव आयोग को पत्र लिखकर उन्हें हटाने की मांग की थी।

कांग्रेस ने रश्मि शुक्ला की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए चुनाव आयोग से उन्हें महानिदेशक पद से हटाने की मांग की थी। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने उन पर आरोप लगाया था कि वह बीजेपी के आदेश पर सरकार के लिए काम कर रही हैं।

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