नेशनल
हंगामे की भेंट चढ़ी लोकसभा की कार्यवाही
नई दिल्ली, 27 जुलाई (आईएएनएस)| भीड़ द्वारा पीट पीटकर हत्या (लिंचिंग) की घटनाओं पर चर्चा की मांग को लेकर लोकसभा में विपक्ष ने गुरुवार को भी हंगामा किया जिसके कारण कार्यवाही बाधित हुई। लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा कि मुद्दे पर चर्चा का फैसला कार्यमंत्रणा समिति की बैठक में लिया जाएगा।
सदन की कार्यवाही पूर्वाह्न 11 बजे शुरू होने के बाद थोड़ी देर के लिए स्थगित कर दी गई।
जब कार्यवाही दोबारा शुरू हुई, तो कांग्रेस सांसदों की नारेबाजी के बीच प्रश्नकाल फिर शुरू हुआ। कांग्रेस सदस्य अध्यक्ष की आसंदी के निकट खड़े थे।
प्रश्नकाल के बाद अध्यक्ष ने विपक्षी सदस्यों को मुद्दे पर बोलने की अनुमति दी। उन्होंने कहा कि वह चर्चा के खिलाफ नहीं हैं।
कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने हालांकि कहा कि चर्चा के लिए दो नोटिस दिए जा चुके हैं।
खड़गे ने कहा, आप तैयार (चर्चा के लिए) हैं, लेकिन सरकार तैयार नहीं है।
खड़गे ने कहा कि पहला नोटिस संक्षिप्त चर्चा के लिए नियम 193 के तहत जारी किया गया और बाद में विपक्ष ने एक बार फिर स्थगन प्रस्ताव के तहत नोटिस दाखिल की, लेकिन चर्चा नहीं कराई गई।
खड़गे ने कहा, जब हम आपसे मिले तो मैं इस बात पर बहुत खुश हुआ कि आपने कहा कि आप चर्चा के लिए तैयार हैं और हमें सरकार को तैयार करना चाहिए।
अध्यक्ष ने तत्काल टोकते हुए कहा, मेरी बातों को तोड़ मरोड़कर मत पेश कीजिए।
खड़गे ने हालांकि जोर दिया कि अध्यक्ष ने कहा था कि वह चर्चा के लिए तैयार हैं, लेकिन सरकार तैयार नहीं है।
महाजन ने कहा, मैंने कहा, मैं चर्चा के लिए तैयार हूं, लेकिन हर किसी को तैयार होना चाहिए। यही कारण है कि आज कार्य मंत्रणा समिति की बैठक है।
खड़गे ने टोकते हुए कहा कि कांग्रेस अपने छह सांसदों का निलंबन निरस्त करने के लिए नहीं कहेगी। इस पर महाजन ने कहा कि इन सांसदों ने अभी तक माफी नहीं मांगी है।
खड़गे ने कहा कि हम इस मुद्दे पर जोर नहीं देंगे लेकिन हम सार्वजनिक महत्व के इस मुद्दे (लिंचिंग) को उठाना चाहते हैं।
महाजन ने कहा, आपका इससे क्या मतलब है कि आप इसके बारे में नहीं कहेंगे? आपने (निलंबित सांसदों ने) अभी तक माफी नहीं मांगी है।
जैसे ही खड़गे ने चर्चा के लिए कहा, तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय ने उनका साथ देते हुए कहा कि अगर संभव हो, तो चर्चा गुरुवार से ही शुरू होनी चाहिए।
उन्होंने कहा, मॉब लिंचिंग एक गंभीर मुद्दा है। अगर संभव हो तो हमें आज से ही तत्काल चर्चा शुरू कर देनी चाहिए।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के सदस्य मोहम्मद सलीम ने कहा, पिछले दो सप्ताह से हम स्थगन प्रस्ताव के तहत नोटिस दे रहे हैं। मॉब लिंचिंग में 50 लोगों की जान जा चुकी है। लोग भयाक्रांत हैं। अगर हम इसपर चर्चा नहीं करेंगे, तो कौन करेगा?
महाजन ने कहा, मैंने किसी भी मुद्दे पर चर्चा से इनकार नहीं किया है। मैंने नहीं कहा कि स्थगन प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए, मैंने केवल कहा कि मैं प्रश्नकाल निलंबित नहीं करूंगी।
उन्होंने कहा, इस तरह के मुद्दों पर सबको विश्वास में लेना चाहिए।
इस बीच केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने कहा कि विपक्ष सदन से बाहर हुई हिंसा पर तो चर्चा करना चाहता है, लेकिन उस घटना पर नहीं बोलना चाहता, जब अध्यक्ष पर कागज के टुकड़े फेंके जाते हैं।
अध्यक्ष ने कहा कि अंतिम फैसला कार्यमंत्रणा समिति की बैठक में लिया जाएगा।
इसके बाद उन्होंने शून्यकाल की कार्यवाही शुरू की, लेकिन विपक्षी सदस्यों का हंगामा जारी रहा।
सदन की कार्यवाही बाद में भोजनावकाश के लिए स्थगित कर दी गई।
उत्तर प्रदेश
संभल में कैसे भड़की हिंसा, किस आधार पर हो रहा दावा, पढ़े पूरी रिपोर्ट
संभल। संभल में एक मस्जिद के स्थान पर प्राचीन मंदिर होने और भविष्य में कल्कि अवतार के यहां होने के दावे ने हाल ही में काफी सुर्खियां बटोरी हैं. इस दावे के पीछे कई धार्मिक और ऐतिहासिक तथ्य बताए जा रहे है. उत्तर प्रदेश के संभल में कल्कि अवतार और उनके मंदिर को लेकर कई दावे पहले से ही किए जा रहे हैं. इसे लेकर धार्मिक मान्यताओं और शास्त्रों के आधार पर गहरी चर्चा हो भी रही है. हिंदू धर्म में कल्कि अवतार को भगवान विष्णु का दसवां और अंतिम अवतार माना गया है. ऐसा माना जाता है कि कलियुग के अंत में जब अधर्म और अन्याय अपने चरम पर होगा तब भगवान कल्कि अवतार लेकर पृथ्वी पर धर्म की स्थापना करेंगे.
कैसे भड़की हिंसा?
24 नवंबर को मस्जिद में हो रहे सर्वे का स्थानीय लोगों ने विरोध किया. पुलिस भीड़ को नियंत्रित करने के लिए मौके पर थी. सर्वे पूरा होने के बाद जब सर्वे टीम बाहर निकली तो तनाव बढ़ गया. भीड़ ने पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया, जिसके कारण स्थिति बिगड़ गई और हिंसा भड़क उठी.
दावा क्या है?
हिंदू पक्ष का दावा है कि संभल में स्थित एक मस्जिद के स्थान पर प्राचीन काल में एक मंदिर था. इस मंदिर को बाबर ने तोड़कर मस्जिद बनवाई थी. उनका यह भी दावा है कि भविष्य में कल्कि अवतार इसी स्थान पर होंगे.
किस आधार पर हो रहा है दावा?
दावेदारों का कहना है कि उनके पास प्राचीन नक्शे हैं जिनमें इस स्थान पर मंदिर होने का उल्लेख है. स्थानीय लोगों की मान्यता है कि इस स्थान पर प्राचीन काल से ही पूजा-अर्चना होती थी. कुछ धार्मिक ग्रंथों में इस स्थान के बारे में उल्लेख मिलता है. हिंदू धर्म के अनुसार कल्कि अवतार भविष्य में आएंगे और धर्म की स्थापना करेंगे. दावेदारों का मानना है कि यह स्थान कल्कि अवतार के लिए चुना गया है.
किस आधार पर हो रहा है विरोध?
अभी तक इस दावे के समर्थन में कोई ठोस पुरातात्विक साक्ष्य नहीं मिला है. जो भी ऐतिहासिक रिकॉर्ड्स उपल्बध हैं वो इस बात की पुष्टि करते हैं कि इस स्थान पर एक मस्जिद थी. धार्मिक ग्रंथों की व्याख्या कई तरह से की जा सकती है और इनका उपयोग किसी भी दावे को सिद्ध करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए.
संभल का धार्मिक महत्व
शास्त्रों और पुराणों में यह उल्लेख है कि भगवान विष्णु का कल्कि अवतार उत्तर प्रदेश के संभल नामक स्थान पर होगा. इस आधार पर संभल को कल्कि अवतार का स्थान माना गया है. श्रीमद्भागवत पुराण और अन्य धर्मग्रंथों में कल्कि अवतार का वर्णन विस्तार से मिलता है जिसमें कहा गया है कि कल्कि अवतार संभल ग्राम में विष्णुयश नामक ब्राह्मण के घर जन्म लेंगे.
इसी मान्यता के कारण संभल को कल्कि अवतार से जोड़ा जाता है. संभल में बने कल्कि मंदिर को लेकर यह दावा किया जा रहा है कि यही वह स्थान है जहां भविष्य में भगवान कल्कि का प्रकट होना होगा. मंदिर के पुजारी और भक्तों का कहना है कि यह स्थान धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र है और यहां कल्कि भगवान की उपासना करने से व्यक्ति अधर्म से मुक्ति पा सकता है.
धार्मिक विश्लेषण
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, कल्कि अवतार का समय तब होगा जब अधर्म, पाप और अन्याय चरम पर पहुंच जाएंगे. वर्तमान में दुनिया में मौजूद सामाजिक और नैतिक स्थितियों को देखकर कुछ लोग यह मानते हैं कि कल्कि अवतार का समय निकट है. संभल में कल्कि मंदिर को लेकर जो भी दावे किए जा रहे हैं वो सभी पूरी तरह से आस्था पर आधारित हैं. धार्मिक ग्रंथों में वर्णित समय और वर्तमान समय के बीच अभी काफी अंतर हो सकता है. उत्तर प्रदेश के संभल में कल्कि अवतार और मंदिर का दावा धार्मिक मान्यताओं और शास्त्रों पर आधारित है. हालांकि, यह दावा प्रमाणिकता के बजाय विश्वास पर आधारित है. यह भक्तों की आस्था है जो इस स्थान को विशेष बनाती है.
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