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प्रादेशिक

हड़ताल का असर कोयला उत्पादन पर

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भुवनेश्वर| देश में कोयला क्षेत्र के निजीकरण की सरकार की योजना के विरोध में कोयला श्रमिकों द्वारा मंगलवार से शुरू की गई पांच दिवसीय हड़ताल के दूसरे दिन बुधवार को भी ओडिशा में कोयला उत्पादन प्रभावित हुआ है। यह बात एक अधिकारी ने कही। महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड (एमसीएल) की ओर से कहा गया है कि 1,000 टन से कम कोयला उत्पादन हो पाया है और वह भी ठेकेदारों द्वारा लगाए गए मजदूरों के बल पर।

एमसीएल कोल इंडिया की सहायक कंपनी है और राज्य में 15 ओपेन कास्ट तथा छह भूमिगत खदानों का संचालन करती है।

एमसीएल के जनसंपर्क अधिकारी डिक्के न मेहरा ने आईएएनएस से कहा, “हमने सिर्फ 939 टन उत्पादन किया और भंडार से करीब 38,824 टन की ढुलाई की, जबकि सामान्य दिन में प्रति पाली 1.25 लाख टन का उत्पादन और ढुलाई होती है।”

उन्होंने कहा, “ठेकेदारों द्वारा लगाए गए कुछ मजदूरों ने मंगलवार को रात्रि पाली में और बुधवार को काम किया, लेकिन उनकी संख्या नगण्य थी।”

उन्होंने कहा, “एमसीएल को प्रति पाली 10 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है।”

एमसीएल का मुख्यालय संबलपुर जिले के बुरला में स्थित है। यह राज्य में 15 ओपेन कास्ट अैर छह भूमिगत खदानों का संचालन करती है।

कंपनी का दैनिक उत्पादन करीब चार लाख टन है। यह दक्षिण भारत और ओडिशा में कई बिजली कंपनियों को कोयले की आपूर्ति करती है, जिनमें एनटीपीसी, तलचर थर्मल पॉवर स्टेशन और नाल्को जैसी कंपनियां शामिल हैं।

कोल इंडिया का देश में कोयला उत्पादन पर लगभग एकाधिकार है और वह देश के उत्पादन में करीब 82 फीसदी योगदान करती है।

हड़ताल में शामिल संगठनों में भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस), इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस (इंटक), ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एटक), कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस (सीटू) और हिंद मजदूर संघ शामिल हैं। ये कोल इंडिया के लगभग पांच लाख श्रमिकों में से करीब 90 फीसदी का प्रतिनिधित्व करते हैं।

ध्यान देने योग्य बात यह है कि इस हड़ताल में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से संबद्ध मजदूर संगठन, भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) भी शामिल है और केंद्र में इस समय भाजपा की सरकार है।

बीएमएस के नेता बादल महाराणा ने आईएएनएस से कहा, “कोल इंडिया के पुनर्गठन का फैसला कोयला श्रमिकों के हित के खिलाफ है। यह उनकी एकता को तोड़ देगा। यह और भ्रष्टाचार का मार्ग प्रशस्त करेगा।”

उन्होंने कहा, “हमारी हड़ताल जारी है और यह तब तक जारी रहेगी, जब तक सरकार हमारी मांगें मान नहीं लेती। सरकार को 204 कोयला ब्लॉकों की नीलामी भी निश्चित रूप से रोकनी होगी।”

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उत्तर प्रदेश

यूपी में विदेशी निवेश बढ़ाने के लिए योगी सरकार की पहल, एफडीआई पॉलिसी में किया संशोधन

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लखनऊ। योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश में विदेशी निवेश को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। सोमवार को लोकभवन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में आयोजित कैबिनेट बैठक में एफडीआई एवं फॉर्च्यून 500 कंपनियों के निवेश हेतु प्रोत्साहन नीति 2023 में संशोधन को मंजूरी दे दी। इस संशोधन के माध्यम से योगी सरकार ने विदेशी निवेशकों को बड़ी राहत दी है। इसके माध्यम से अब ऐसी विदेशी कंपनियां भी प्रदेश में निवेश कर सकेंगी जो इक्विटी के साथ-साथ लोन या किसी अन्य स्रोत से पैसों की व्यवस्था करती हैं। योगी सरकार के इस निर्णय से प्रदेश में विदेशी निवेश के बढ़ने की संभावना है।

फॉरेन कैपिटल इन्वेस्टमेंट को किया गया शामिल

योगी कैबिनेट के निर्णयों की जानकारी देते हुए वित्त एवं संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि 1/11/2023 को फॉरेन डायरेक्टर इन्वेस्टमेंट (एफडीआई) की नीति आई थी, इसमें थोड़ा संशोधन किया गया है। नीति में अर्हता के लिए निवेश की न्यूनतम सीमा 100 करोड़ रुपए रखी गई है। आरबीआई द्वारा जो एफडीआई की परिभाषा दी गई है, उसके अनुसार अभी तक मात्र इक्विटी में किए गए निवेश को ही एफडीआई में सम्मिलित किया जाता है। नीति में जो संसोधन किया गया है उसमें हमने इसे फॉरेन कैपिटल इन्वेस्टमेंट का रूप दिया है। उन्होंने कहा कि अभी तक एफडीआई के तहत कंपनी के पास अपनी इक्विटी होती थी लेकिन ज्यादातर कंपनी अपने बिजनेस को बढ़ाने के लिए बाहर से लोन के साथ ही दूसरे माध्यमों से भी पैसा मैनेज करती हैं। हमने उसको भी अलाऊ कर दिया है। यदि किसी कंपनी के पास इक्विटी केवल 10 प्रतिशत है और 90 प्रतिशत निवेश राशि की व्यवस्था दूसरे स्रोतों से कर रखी होगी तो हम उसको भी बेनिफिट प्रदान करेंगे।

100 करोड़ के निवेश को माना जाएगा पात्र

उन्होंने बताया कि अब इस नीति को फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट, फॉरेन कैपिटल इन्वेस्टमेंट एंड फॉर्च्यून ग्लोबल 500 एंड फॉर्च्यून इंडिया 500 इन्वेस्टमेंट प्रमोशन पॉलिसी 2023 कहा जाएगा। फॉरेन कैपिटल इन्वेस्टमेंट के रूप में इक्विटी में निवेश करने वाली विदेशी कंपनी के लिए प्रिफरेंश शेयर, डिवेंचर्स, एक्सटर्नल कॉमर्शियल बॉरोइंग, स्टैंड बाई लैटर ऑफ क्रेडिट, लैटर्स ऑफ गारंटी व अन्य डेब्ट सिक्योरिटी को भी शामिल कर दिया गया है। इसके अतिरिक्त, अन्य मोड जो आरबीआई के द्वारा फ्रेमवर्क ऑन एक्सटर्नल कॉमर्शियल बॉरोइंग, ट्रेड क्रेडिट, स्ट्रक्चर्ड ऑब्लीगेशंस के अंतर्गत किए गए 100 करोड़ के विदेशी निवेश की गणना के लिए अर्ह होंगे। विदेशी निवेशक कंपनी द्वारा की गई फॉरेन कैपिटल इन्वेस्टमेंट राशि (जिसमें इक्विटी में न्यूनतम 10 प्रतिशत तथा शेष ऋण व अन्य इंस्ट्रूमेंट के माध्यम से मिलाकर 100 करोड़ रुपए का निवेश) को इस नीति के अंतर्गत पात्र माना जाएगा तथा पूंजी निवेश की गणना में सम्मिलित किया जाएगा।

बिना नॉमिनी भी हो सकेगा ग्रेच्युटी का भुगतान

योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश रिटायरमेंट बेनिफिट्स रूल्स 1961 में संशोधन के प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी है। इसके तहत यदि किसी कर्मचारी की मृत्यु सेवा में रहते हुए अथवा सेवानिर्वत्ति के उपरांत ग्रेच्युटी की धनराशि प्राप्त किए बिना हो जाती है और उसने अपने पीछे कोई परिवार नहीं छोड़ा है और न ही कोई नॉमिनी बनाया है तो ग्रेच्युटी का भुगतान उस व्यक्ति को किया जा सकता है जिसके पक्ष में किसी न्यायालय द्वारा उत्तराधिकार प्रमाण पत्र प्रदान किया गया हो। वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि पहले कि व्यवस्था में ऐसे व्यक्ति की ग्रेच्युटी की धनराशि सरकार को चली जाती थी।

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