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हाइट पर भी पड़ता है ग्लोबल वार्मिंग का असर

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न्यूयॉर्क। ग्लोबल वार्मिग का असर हमारी लम्बाई कम कर सकता है। समय के साथ हमारे कद की लंबाई पर यह असर डाल सकता है। शोधकर्ताओं ने पाया है कि अतीत में स्तनधारियों ने ग्लोबल वार्मिंग के बढ़े प्रभाव की प्रतिक्रिया में अपने आकार को सिकोड़ लिया था। पहले भी स्तनधारियों के बौनेपन को बड़ी ग्लोबल वार्मिंग की घटनाओं से जोड़ा गया है। नए शोध में पता चला है कि यह इस तरह घटना विकासात्मक प्रक्रिया हो सकती है।

इन निष्कर्षो से मौजूदा मानव पर जलवायु परिवर्तन के संभव प्रभाव को समझने में मदद मिल सकती है। न्यू हैम्पशायर विश्वविद्यालय के एक शोधकर्ता छात्र अबीगैल डी अम्ब्रोसिया ने कहा, “हम जानते हैं कि पैलियोसीन-इओसीन में अधिकतम तापमान 9 से 14 डिग्री फारेनहाइट तक बढ़ता है, और कुछ स्तनधारी समय के साथ 30 फीसदी तक सिकुड़ते हैं। इसलिए हम देखना चाहते हैं कि क्या इस प्रक्रिया को अन्य वार्मिग घटनाओं के दौरान दोहराया गया है।”

डी अम्ब्रोसिया ने कहा, “हमें उम्मीद है कि इससे हमें आज के ग्लोबल वार्मिग के संभावित प्रभावों को समझने में मदद मिलेगी।” शोध का प्रकाशन पत्रिका ‘साइंस एडवांसेज’ में किया गया है।

इसमें शोधकर्ताओं ने अमेरिका के वायोमिंग के जीवाश्म वाले क्षेत्र बिघोर्न से दांत और जबड़े के अवशेष एकत्र किए हैं। शोधकर्ताओं ने शरीर के आकार को जानने के लिए मोलर दांत का अध्ययन किया।

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फेमस न्यूक्लियर फिजिस्ट होमी जहांगीर भाभा का आज जन्मदिन, जानें कुछ उनके बारे में

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नई दिल्ली। इंडियन न्यूक्लियर प्रोग्राम के जनक और फेमस न्यूक्लियर फिजिस्ट होमी जहांगीर भाभा का आज जन्मदिन है। जे. भाभा, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) के फाउंडिंग डायरेक्टर और फिजिक्स के प्रोफेसर भी थे। होमी जहांगीर भाभा का जन्म 30 अक्टूबर 1909 में एक अमीर पारसी परिवार में हुआ था। होमी जहांगीर भाभा के पिता का नाम जहांगीर होर्मुस्जी भाभा और माता का नाम मेहरबाई भाभा था, इनके पिता एक जाने-माने वकील थे जबकि माँ एक गृहिणी थीं।

होमी भाभा ने 16 साल की आयु में ही सीनियर कैम्ब्रिज परीक्षा पास कर ली थी। फिर वे गोनविले और कैयस कॉलेज में मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने के लिए कैम्ब्रिज गए। इसके बाद उन्होंने कैम्ब्रिज में कैवेंडिश लैब में रिसर्च करना शुरू किया और उनका पहला रिसर्च पेपर 1933 में प्रकाशित हुआ। दो साल बाद, उन्होंने अपनी पीएचडी हासिल की और 1939 तक कैम्ब्रिज में रहे।होमी भाभा ने छात्र के रूप में कोपेनहेगन में नोबेल पुरस्कार विजेता नील्स बोहर के साथ काम किया और क्वांटम सिद्धांत के विकास में प्रमुख भूमिका निभाई।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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