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हिंदी सिनेजगत में पश्चिमी सभ्यता का अक्स रहीं जीनत अमान

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नई दिल्ली। हिंदी सिनेजगत में पश्चिमी सभ्यता का अक्स कहलाने और अपने लिए ‘सेक्स सिंबल’ की उपाधि पाने वाली अभिनेत्री जीनत अमान 70 के दशक की सबसे लोकप्रिय अभिनेत्रियों में से एक रही हैं।

वह फिल्मी करियर के दौरान ‘सेक्स सिंबल’ के रूप में पहची गईं। 1970 में मिस एशिया पेसिफिक का खिताब जीता। जीनत जीवन के 64वें बसंत में कदम रखने जा रही हैं। मुंबई में 19 नवंबर, 1951 को जन्मीं जीनत के पिता अमानुल्लाह खान एक लेखक थे। जीनत उस वक्त 13 साल की थीं, जब पिता की मौत हो गई। उनकी मां सिदा ने कुछ समय बाद जर्मनी निवासी हेंज से शादी कर ली और उसके बाद जीनत जर्मनी चली गईं।

लॉस एंजेलिस में स्नातक की पढ़ाई अधूरी छोड़ वह भारत लौट आईं। अभिनेत्री ने अंग्रेजी पत्रिका ‘फेमिना’ में एक पत्रकार के तौर पर काम शुरू किया और बाद में मॉडलिंग का रुख किया। मिस एशिया पेसिफिक का खिताब जीतने के बाद जीनत का फिल्मी करियर शुरू हुआ। ओ.पी राल्हान की ‘हलचल’ और ‘हंगामा’ (1971) के असफल होने के बाद निराशा से भरी जीनत उस वक्त जर्मनी वापस जाने के लिए तैयार थीं, लेकिन उसी बीच बॉलीवुड के सदाबहार अभिनेता देव आनंद ने उन्हें एक फिल्म का प्रस्ताव दिया। 1971 में आई ‘हरे रामा हरे कृष्णा’ में जेनिस उर्फ जसबीर के निभाए किरदार और फिल्म के ‘दम मारो दम’ गीत ने जीनत को रातोंरात सुर्खियों में ला खड़ा किया।

इसके बाद जीनत को सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री के लिए फिल्मफेयर और सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के लिए बंगाल फिल्म जर्नलिस्ट एसोसिएशन अवार्ड्स (बीएफजेए) से नवाजा गया। देवानंद और जीनत की लोकप्रिय जोड़ी को कई फिल्मों में देखा गया। 1970 के दशक में जीनत को कई हिंदी पत्रिकाओं के कवर पेज पर देखा गया, लेकिन उनके लिए लोकप्रियता का यह सफर आसान नहीं रहा।

जीनत को 1978 में आई फिल्म ‘सत्यम शिवम सुंदरम’ में निभाए उनके किरदार के लिए आलोचनाओं का सामना करना पड़ा, लेकिन उनकी आदाकारी ने उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का फिल्मफेयर पुरस्कार दिलवाया। सफलता के सबसे ऊंचे मुकाम पर पहुंचीं जीनत का चमकता नाम 1980 के दशक में धीरे-धीरे फीका पड़ने लगा। लोकप्रिय होने के बावजूद भी वह फिल्मों में केवल ‘सेक्स सिंबल’ बनकर रह गईं। उन्होंने 1999 में ‘भोपाल एक्सप्रेस’ में अतिथि भूमिका के जरिए वापसी की, लेकिन यह वापसी कुछ खास कमाल नहीं कर पाई।

जीनत ने 1985 में अभिनेता मजहर खान से शादी की, लेकिन उनका वैवाहिक जीवन सुखद नहीं रहा। पति की बीमारी और दो बच्चों-जहान और अजान के पालन-पोषण के लिए उन्हें सिनेमा से दूरी बनानी पड़ी। 1988 में उनके पति का बीमारी से निधन हो गया। पिछले साल जीनत ने एक बयान में फिर से घर बसाने की इच्छा जाहिर की थी। उन्होंने कहा था, “अब मेरे बच्चे बड़े हो गए हैं, उनकी अपनी जिंदगी है, तो मैं फिर से नई जिंदगी शुरू करने के बारे में सोच सकती हूं।” वर्तमान में जीनत अपने दोनों बेटों के साथ रहती हैं। वह आए दिन सामाजिक एवं फिल्म पुरस्कार समारोहों में शिरकत करती देखी जाती हैं।

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पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला, 38 लोगों की मौत

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पख्तूनख्वा। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला हुआ है। इस हमले में 38 लोगों की मौत हो गई है। यह हमला खैबर पख्तूनख्वा के डाउन कुर्रम इलाके में एक पैसेंजर वैन पर हुआ है। हमले में एक पुलिस अधिकारी और महिलाओं समेत दर्जनों लोग घायल भी हुए हैं। जानकारी के मुताबिक उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में आतंकियों ने शिया मुस्लिम नागरिकों को ले जा रहे यात्री वाहनों पर गोलीबारी की है। यह क्षेत्र में हाल के वर्षों में इस तरह का सबसे घातक हमला है। मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है।

AFP की रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले में 38 लोगों की मौत हुई है. पैसेंजर वैन जैसे ही लोअर कुर्रम के ओचुट काली और मंदुरी के पास से गुजरी, वहां पहले से घात लगाकर बैठे आतंकियों ने वैन पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. पैसेंजर वैन पाराचिनार से पेशावर जा रही थी। पाकिस्तान की समाचार एजेंसी डॉन के मुताबिक तहसील मुख्यालय अस्पताल अलीजई के अधिकारी डॉ. ग़यूर हुसैन ने हमले की पुष्टि की है.

शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच तनाव 

अफगानिस्तान की सीमा से लगे कबायली इलाके में भूमि विवाद को लेकर शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच दशकों से तनाव बना हुआ है। किसी भी समूह ने घटना की जिम्मेदारी नहीं ली है। जानकारी के मुताबिक “यात्री वाहनों के दो काफिले थे, एक पेशावर से पाराचिनार और दूसरा पाराचिनार से पेशावर यात्रियों को ले जा रहा था, तभी हथियारबंद लोगों ने उन पर गोलीबारी की।” चौधरी ने बताया कि उनके रिश्तेदार काफिले में पेशावर से यात्रा कर रहे थे।

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