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आध्यात्म

13 किलो सोना पहनकर कांवड़ यात्रा में चलता है यह साधू  

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हरिद्वार, कांवड़ यात्रा, गोल्डान बाबा, आभूषण, आकर्षण, अंगूठियां, गर्व

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मेरठ। हरिद्वार से गंगा जल लेकर कांवड़ यात्रा पर निकले गोल्‍डन बाबा सभी के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। उन्‍होंने अपने शरीर पर 13 किलो सोने के आभूषण धारण कर रखे हैं।

गले में सोने की ढेर सारी चेन, हाथों पर सोने के कवच और उंगलियों में अंगूठियां पहने इस साधू को लोग गर्व के साथ गोल्डन बाबा के नाम से पुकारते हैं।

वैसे तो गोल्‍डन बाबा भगवा चोला पहनते हैं। जो तमाम सांसारिक चीजों की मोह-माया से दूर रहने का संदेश देता है। वहीं
दूसरी तरफ बाबा का जिस्म का आधे से ज्यादा हिस्सा सोने के जेवरों से लदा है, जो दोनों इस दुनियावी मोह-माया में डूबे होने का सबूत है।

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उधर, बाबा का कहना है, ”पहले मैं 15 किलो सोना पहनता था। गले के ऑपरेशन की वजह से इसे 2 किलो कम करना पड़ा।’
सुधीर कुमार मक्कड़ उर्फ गोल्डन बाबा ने बताया कि पहली बार जब एक कांवड़ ले गया तो 250 रूपए का खर्चा आया था। अब मेरी ये 25वीं यानी सिल्वर जुबली कांवड़ यात्रा है।

बाबा के मुताबिक, ‘मैं 1973 से तीन से चार तोला सोना पहनता आ रहा हूं। उस वक्त इसका मूल्य 250 रुपए प्रति तोला था। धीरे-धीरे 13 किलो पहनने लगा। फिर लोग मुझे गोल्डन बाबा बुलाने लगे। ज्यादा गोल्ड पहनने की वजह से गले की नस दब गई थी। इसके बाद ऑपरेशन हुआ, इसलिए अब 13 किलो ही पहना है।

गोल्ड मेरे इष्ट देवता हैं, इसलिए इसका मूल्य नहीं लगा सकता। ये मेरे लिए बहुमूल्य है। मैं इनकी पूजा-आराधना करता हूं। पहले सिर्फ भोलेनाथ का लॉकेट गले में था, लेकिन अब सभी देवी देवताओं के लॉकेट पहनता हूं।’

बाबा के सोने के जेवरों की हिफाजत के लिए प्रशासन ने बाकायदा बंदूकधारी पुलिसवालों को भी ड्यूटी पर लगा दिया है। इस पूरी कांवड़ यात्रा के दौरान ये पुलिसवाले भी साए की तरह बाबा से चिपके रहते हैं।

पुलिसवालों के साथ-साथ 30 प्राइवेट सिक्योरिटी गार्ड्स से घिरे बाबा इस साल भी अपने काफिले में दो फॉर्च्यूनर, दो इनोवा, दो क्वालिस, दो स्कॉर्पियो, तीन बड़े ट्रक, पांच मिनी ट्रक, एक एंबुलेंस और चार टाटा छोटा हाथी गाड़ियां लेकर चल रहे हैं। साथ ही बाबा के साथ सैकड़ों भक्त भी चल रहे हैं।

दिल्ली के इन गोल्डन बाबा का ये अवतार जितना दिलचस्प है। बाबा का अतीत और आधा वर्तमान कहीं उससे भी चौंकाने वाला है। गोल्डन बाबा एक तरफ वचन, प्रवचन, साधुगीरी के साथ धर्म की दुकान चलाते हैं तो वहीं, दूसरी तरफ थाने में भी इनका बही-खाता है।

किडनैपिंग, फिरौती, जबरन वसूली, जान से मारने की धमकी समेत बाबा पर इस वक्त करीब तीन दर्जन मुकदमें चल रहे हैं। बता दें कि बाबा पूर्वी दिल्ली के पुराने हिस्ट्रीशीटर हैं।

व्रत एवं त्यौहार

CHHATH POOJA 2024 : जानें कब से शुरू होगी छठी मैया की पूजा, जानिए इसे क्यों मनाते हैं

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मुंबई। त्रेतायुग में माता सीता और द्वापर युग में द्रौपदी ने भी रखा था छठ का व्रत रामायण की कहानी के अनुसार जब रावण का वध करके राम जी देवी सीता और लक्ष्मण जी के साथ अयोध्या वापस लौटे थे, तो माता सीता ने कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को व्रत रखकर कुल की सुख-शांति के लिए षष्ठी देवी और सूर्यदेव की आराधना की थी।

छठ पूजा क्यों मनाते है ?

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सूर्यदेव और छठी मैया की पूजा अर्चना और अर्घ्य देने से सुख-शांति, समृद्धि, संतान सुख और आरोग्य की प्राप्ति होती है। छठ पूजा को डाला छठ के नाम से भी जाना जाता है। यह चार दिनों तक चलने वाला त्योहार है, जो मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है। छठ पर्व के दौरान प्रकृति के विभिन्न तत्वों जैसे जल, सूर्य, चंद्रमा आदि की पूजा की जाती है. यह प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने का एक तरीका है और हमें प्रकृति के संरक्षण का महत्व सिखाता है. छठ का व्रत बहुत कठिन होता है. व्रतधारी 36 घंटे तक बिना पानी पिए रहते हैं. साथ ही छठ पर्व सभी वर्गों और समुदायों के लोगों को एक साथ लाता है. इस पर्व के दौरान लोग मिलकर पूजा करते हैं, भोजन करते हैं और एक-दूसरे के साथ समय बिताते हैं. इससे सामाजिक एकता और भाईचारा बढ़ता है.

छठ पर्व के 4 दिन

छठ पूजा का पहला दिन, 5 नवंबर 2024- नहाय खाय.
छठ पूजा का दूसरा दिन, 6 नवंबर 2024- खरना.
छठ पूजा का तीसरा दिन, 7 नवंबर 2024-डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य.
छठ पूजा का चौथा दिन, 8 नवंबर 2024- उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का पारण

 

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