Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

मुख्य समाचार

देश में 13 लाख लोग अब भी मैला ढोने को मजबूर

Published

on

Loading

2CE8DF2600000578-3256974-image-a-1_1443746687617

यह एक गैर जमानती आपराधिक कार्रवाई है। बावजूद इसके भारत में नालों और खुले शौचालयों की हाथ से सफाई बदस्तूर जारी है। देश में 7,94,390 शौचालय ऐसे हैं जिनके मल हाथ से उठाए जाते हैं। पूरे देश में 13 लाख दलित हाथ से गंदगी साफ करने वालेमैला,भारत ,सफाईकर्मी, शौचालय, सफाई  हैं, जिनमें अधिकांश महिलाएं हैं और यही काम उनके जीने का आधार है। एक वैश्विक पहल के तहत वंचित समुदायों की स्थिति से आगाह कराने वाले वीडियो वालंटियर्स से सुरेंद्रनगर जिले के ध्रांगधरा शहर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी चारू मोरी ने कहा, “हमारे पास अवैध की श्रेणी में आने वाला कोई काम नहीं है। हाथ से गंदगी की सफाई प्रतिबंधित कार्य है।”

मोरी ने कहा कि इस इलाके में हाल के वीडियो क्लिप में सफाई कर्मी हाथ से सफाई करते दिख रहे हैं तो क्या हुआ? ये सारे ठेकेदार के कर्मचारी हैं। ये लोग उनकी (ठेकेदार की) जिम्मेदारी हैं। ध्रांगधरा की स्थिति से स्पष्ट हो जाता है कि क्यों पूरे भारत में प्राय: दलित समुदाय के हजारों लोगों का गंदे नाले में मरना और हाथ से मैले की सफाई करना जारी है। यह प्रचलन उन शहरों में भी है जहां नाले की सफाई के लिए सफाई मशीनें उपलब्ध हैं। राज्यसभा में केंद्रीय सामाजिक न्याय राज्य मंत्री विजय सांपला ने गत 5 मई को कहा कि पूरे भारत में 12,226 हाथ से सफाई करने वाले सफाई कर्मी चिन्हित किए गए हैं। इनमें से 82 प्रतिशत उत्तर प्रदेश में ही हैं।

ये आंकड़े स्पष्ट रूप से हकीकत से कम हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार गुजरात में केवल दो ही ऐसे सफाईकर्मी हैं। हाथ से गंदगी की सफाई का जारी रहने का संबंध हिन्दू जाति व्यवस्था से है। पूरे भारत में 13 लाख दलित हाथ से गंदगी साफ करने वाले सफाईकर्मी हैं, जिनमें अधिकांश महिलाएं हैं और यही काम उनके जीने का आधार है। प्राचीन शौचालयों का अस्तित्व हाथ से गंदगी की सफाई का मुख्य कारण है। इन शौचालयों से मैला हटाने का काम हाथ से होता है। सामाजिक-आर्थिक और जातिगत जनगणना के आंकड़ों के आधार पर केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने लोकसभा में इस साल 25 फरवरी को कहा था कि देश में 167,487 परिवारों में प्रति परिवार एक व्यक्ति हाथ से सफाई करने वाला सफाईकर्मी है।

जम्मू एवं कश्मीर को छोड़ कर पूरे देश में हाथ से सफाई करने वाले सफाईकर्मी को नियोजित करना निषिद्ध है। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार 72 प्रतिशत अस्वास्थ्यकर शौचालय सिर्फ आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, असम, जम्मू एवं कश्मीर, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में 26 लाख सूखे शौचालय हैं। इसके अतिरिक्त 1,314,652 ऐसे शौचालय हैं जिनके मल खुले नालों में बहाए जाते हैं। इतना ही नहीं 7,94,390 शौचालय ऐसे हैं जिनके मल हाथ से उठाए जाते हैं। इंडिया स्पेंड की पहले की रिपोर्ट के अनुसार 12.6 प्रतिशत शहरी और 55 प्रतिशत ग्रामीण परिवार खुले में शौच करते हैं। शौचालय होने के बावजूद पूरे भारत में 1.7 प्रतिशत परिवार खुले में शौच करता है।

उत्तर प्रदेश में आधिकारिक रूप से 10,016 हाथ से गंदगी साफ करने वाले सफाईकर्मी हैं जिनमें 2404 शहर में और 7612 ग्रामीण इलाके में हैं। बड़े पैमाने पर सूखे शौचालयों के कारण 2009 में उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले में कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हुई थीं और शिशु मृत्यु दर सर्वाधिक 110 प्रति हजार हो गई थी। सन 2010 में सरकार ने इस जिले में ‘डलिया जलाओ’ अभियान शुरू किया था। डलिया प्रतीक थी उस सामान की जिसमें मानव मल उठाया जाता है। एक साल के अंदर 2750 हाथ से गंदगी साफ करने वालों को इस काम से मुक्ति दी गई थी। नतीजा है कि 2010 से इस जिले में पालियो का कोई नया मामला सामने नहीं आया है।

महाराष्ट्र में सबसे अधिक 68016 हाथ से गंदगी साफ करने वाले परिवार हैं जो पूरे देश में ऐसे परिवारों का 41 प्रतिशत है। महाराष्ट्र के बाद मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और पंजाब का स्थान हैं। इन पांचों राज्यों में कुल मिलाकर देश के 81 प्रतिशत हाथ से सफाई करने वाले सफाईकर्मी के परिवार हैं। इंडिया स्पेंड की रिपोर्ट के अनुसार रेलवे देश में हाथ से सफाई करने वाले सफाई कमियों का सबसे बड़ा नियोक्ता है। सरकार ने 2019 तक हाथ से गंदगी की सफाई से देश को मुक्ति दिलाने का लक्ष्य रखा है।

Continue Reading

नेशनल

मशहूर लोक गायिका शारदा सिन्हा का निधन, दिल्ली एम्स में ली अंतिम सांस

Published

on

Loading

नई दिल्ली। मशहूर लोक गायिका शारदा सिन्हा का निधन हो गया है। दिल्ली के एम्स में आज उन्होंने अंतिम सांस ली। वह लंबे समय से बीमार चल रहीं थी। एम्स में उन्हें भर्ती करवाया गया था। शारदा सिन्हा को बिहार की स्वर कोकिला कहा जाता था।

गायिका शारदा सिन्हा को साल 2018 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। शारदा सिन्हा का जन्म 1 अक्टूबर, 1952 को सुपौल जिले के एक गांव हुलसा में हुआ था। बेमिसाल शख्सियत शारदा सिन्हा को बिहार कोकिला के अलावा भोजपुरी कोकिला, भिखारी ठाकुर सम्मान, बिहार रत्न, मिथिलि विभूति सहित कई सम्मान मिले हैं। शारदा सिन्हा ने भोजपुरी, मगही और मैथिली भाषाओं में विवाह और छठ के गीत गाए हैं जो लोगों के बीच काफी प्रचलित हुए।

शारदा सिन्हा पिछले कुछ दिनों से एम्स में भर्ती थीं। सोमवार की शाम को शारदा सिन्हा को प्राइवेट वार्ड से आईसीयू में अगला शिफ्ट किया गया था। इसके बाद जब उनकी हालत बिगड़ी लेख उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया। शारदा सिन्हा का ऑक्सीजन लेवल गिर गया था और फिर उनकी हालत हो गई थी। शारदा सिन्हा मल्टीपल ऑर्गन डिस्फंक्शन स्थिति में थीं।

 

Continue Reading

Trending