मुख्य समाचार
एचडीएफसी बैंक ने किया राष्ट्रीय रक्तदान अभियान का आयोजन
930 शहरों, कस्बों में दो हजार से अधिक रक्तदान शिविरों का आयोजन
पहली बार 200 से अधिक कंपनियों की सहभागिता
मुंबई। एचडीएफसी बैंक ने एक देशव्यापी रक्तदान अभियान का आयोजन किया। देश भर के 930 शहरों और कस्बों में 2000 से अधिक केंद्रों में बड़ी संख्या में लोगों ने रक्तदान केंद्रों पर आ कर रक्तदान किया। इस अभियान में तकनीकी सहायता देने के लिए बैंक ने प्रमुख अस्पतालों और ब्लड बैंकों के साथ समन्वय किया था। जीवन के हर क्षेत्र के लोगों ने आगे आकर इस अभियान में रक्तदान किया, जिनमें बैंक कर्मचारी, ग्राहक, कंपनियों के अधिकारी और कॉलेजों के छात्र शामिल थे। एचडीएफसी बैंक के शीर्ष प्रबंधन में से कई लोग आज सबसे पहले रक्तदान करने वालों में शामिल रहे।
इस साल एचडीएफसी बैंक ने कंपनियों से भी संपर्क किया और उनके परिसरों में रक्तदान शिविरों का आयोजन किया। इस पहल में 200 से अधिक कंपनियों ने सहभागिता की, जिनमें भारतीय उद्योग जगत के कुछ सबसे बड़े नाम भी शामिल हैं। पिछले तीन वर्षों में देश के युवाओं से मिली बेहद उत्साहजनक प्रतिक्रिया से उत्साहित होकर एचडीएफसी बैंक ने इस साल सहभागी कॉलेजों की संख्या बढ़ा कर 750 से अधिक कर दी। एचडीएफसी बैंक के रक्तदान अभियान में हिस्सा लेने वाले कॉलेज छात्रों की संख्या 2012 के 20,507 से बढ़ कर 2013 में 41,304 और 2014 में 67,871 हो गयी थी।
एचडीएफसी बैंक के कंट्री हेड ऑपरेशंस भावेश जवेरी ने कहा, सामाजिक रूप से जिम्मेदार कॉर्पोरेट नागरिक के रूप में हम रक्त की माँग और आपूर्ति के बीच के अंतर को कम करना चाहते हैं। यह जीवनरक्षा करने वाला ऐसा संसाधन हैए जिसका कोई विकल्प नहीं है। हम उन सभी को धन्यवाद देते हैं, जिन्होंने इस साल आगे आकर सुरक्षित एवं स्थिर रक्त आपूर्ति बनाये रखने के हमारे मिशन में मदद की। एचडीएफसी बैंक का यह अभियान अब अपने नौवें वर्ष में पहुँच गया है। यह लोगों की जिंदगी में बदलाव लाने के लिए बैंक के सर्वसमावेशी सामाजिक एजेंडा का भाग है। एचडीएफसी बैंक ने यह पहल 2007 में शुरू की थी, जब 4000 से अधिक स्वयंसेवियों ने इस मकसद को सफल बनाने में अपना योगदान किया था। उसके बाद से इन शिविरों की संख्या बढ़ती गयी है। वर्ष 2014 में बैंक ने 913 स्थानों पर 1987 संग्रह केंद्रों से 1,55,599 भागीदारों से 1,28,642 रक्त यूनिट का संग्रह किया।
नेशनल
मशहूर लोक गायिका शारदा सिन्हा का निधन, दिल्ली एम्स में ली अंतिम सांस
नई दिल्ली। मशहूर लोक गायिका शारदा सिन्हा का निधन हो गया है। दिल्ली के एम्स में आज उन्होंने अंतिम सांस ली। वह लंबे समय से बीमार चल रहीं थी। एम्स में उन्हें भर्ती करवाया गया था। शारदा सिन्हा को बिहार की स्वर कोकिला कहा जाता था।
गायिका शारदा सिन्हा को साल 2018 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। शारदा सिन्हा का जन्म 1 अक्टूबर, 1952 को सुपौल जिले के एक गांव हुलसा में हुआ था। बेमिसाल शख्सियत शारदा सिन्हा को बिहार कोकिला के अलावा भोजपुरी कोकिला, भिखारी ठाकुर सम्मान, बिहार रत्न, मिथिलि विभूति सहित कई सम्मान मिले हैं। शारदा सिन्हा ने भोजपुरी, मगही और मैथिली भाषाओं में विवाह और छठ के गीत गाए हैं जो लोगों के बीच काफी प्रचलित हुए।
शारदा सिन्हा पिछले कुछ दिनों से एम्स में भर्ती थीं। सोमवार की शाम को शारदा सिन्हा को प्राइवेट वार्ड से आईसीयू में अगला शिफ्ट किया गया था। इसके बाद जब उनकी हालत बिगड़ी लेख उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया। शारदा सिन्हा का ऑक्सीजन लेवल गिर गया था और फिर उनकी हालत हो गई थी। शारदा सिन्हा मल्टीपल ऑर्गन डिस्फंक्शन स्थिति में थीं।
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