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और भी हैं राहें
संजीव राय
आज एक साल हो गया है तुमको गुजरे हुए। एक पल में व्यक्ति, परिवार की दशा कैसे बदलती है हम ने उसका तजुर्बा किया है हमने उस एक दिन में जो अस्पताल से शमशान घाट तक का 10 किलोमीटर सफर तय किया है , शायद अब तक की सबसे लम्बी लगने वाली दूरी रही है । तुम्हारे चले जाने के बाद शायद ही कोई दिन ऐसा होगा जिसमे हम सबने तुम्हरे लौट आने का सपना और ” चमत्कार होने की कल्पना ‘ न की हो, हो भी क्यों न ,पिछले 17 साल इतनी तेजी से बीते जितना समय थान से कपडा अलग करने में लगता है लेकिन ये एक साल …एक-एक दिन पहाड़ सा लगा है।
खैर तुम्हारे चले जाने के बाद, जिसने जो बताया हमने किया। ज्योतिषी से लेकर मनोवैज्ञानिक तक और समाजशास्त्री से लेकर शिक्षाविद तक से बात किया। कर्मकांड जानने वालों ने जो बताया वो भी किया। ज्योतिषियों ने तुम्हरी उतनी ही उम्र बताई। वैसे भी तुम वापस तो आ नहीं सकती तो उम्र तो उतनी ही हुई। मनोवैज्ञानिकों ने डिप्रेशन का असर बतया और कहा की प्रतिभावान छात्रों के साथ ऐसी घटना होने की संभावना ज़्यादा रहती है। कर्मकांडी लोगो ने आत्मा की मुक्ति का उपाय बताया। शिक्षाविदों ने परीक्षा प्रणाली और आत्महत्या की बढ़ती घटनाओ पर चिंता और दुख प्रगट किया। हम जानते हैं की पॉजिटिव पेरेंटिंग और अन्य लोगों के भी अपने विश्लेषण और विचार होंगे।
एक परिवार की दुनिया इतनी तेजी से बदल जायेगी, हमने कभी नहीं सोचा था। ये भी सच है की हमने अपने माँ और पिता जी को भी अपेक्षाकृत जल्दी खो दिया लेकिन तुम्हारी 17 साल की उम्र, ये कोई उम्र होती है दुनिया से विदा हो जाने की। जन्मदिन पर मोमबत्ती लेने वाले माँ बाप, कभी ये नहीं सोचते हैं की उन्हें उसी बच्चे की चिता को अग्नि देनी पड़ेगी। शायद किसी माँ बाप के जीवन में सबसे मुश्किल क्षण ये ही होता होगा।
दोस्तों मित्रों और शुभचिंतकों ने अपने-अपने परिवारों और आस पास की घटनाओ का जिक्र किया तो चिंता और बढ़ गयी। यह अहसास भी हुआ की हम इस दुःख में अकेले नहीं हैं और अफ़सोस भी, की हम ऐसे लाचार हो गए की तुम्हे बचा नहीं पाये। हमने पुनर्जन्म की कहानी सुनी ,शरीर की क्षणभंगुरिता और आत्मा की अमरता के बारे में पढ़ा। शिक्षा वयस्था और परीक्षा के दबाव पैर बहस किया। 100% अंक और विश्वविद्यालय में प्रवेश पर चर्चा किया। तुम्हारे दोस्तों, सहपाठियों, शिक्षक, का हाल चाल लिया। तुम्हारी घर-बाहर सब तारीफ करते हैं लेकिन कोई ये नहीं समझ पाता है की तुमने ऐसा क्यों कर लिया? अब हमारे पास तुम्हारी यादें और फोटो हैं।
अब हमारे लिये किसी बच्चे की खुदकुशी, एक अख़बार की खबर से ज्यादा मायने रखती है, जिनके घर में ऐसी घटना घटी है उन लोगों का दुःख अब हम शायद ज़यादा समझतें हैं क्योंकि कहा है न – जा के पैर न फटी बिवाई, सो का जाने पीर परायी जब हमने आत्महत्या की बढ़ती घटनाओ के बारे में थोड़ा पढ़ा तो आंकड़े चौकाने वाले थे। भारत में 15 से 35 साल की बीच आत्महत्या की दर दुनिया में सबसे ज़यादा है। लगभग एक लाख लोग सालाना अपनी जान गवां देते हैं। भारत में अभी मानसिक स्वास्थ्य को लेकर ज्यादा जागरूकता नहीं है। एक गंभीर विद्यार्थी की दिनचर्या और डेप्रीसिएशन के बीच का फर्क आम माता-पिता नहीं कर पाते हैं।
कॉंउसलिंग /मनोवैज्ञानिक सलाह की सुविधा सर्व सुलभ नहीं है और कुलीन वर्ग को छोड़ दें तो समाज में मेन्टल हेल्थ को लेकर बहुत संकीर्ण सोच है। भारत में किशोर उम्र के हर पांच बच्चों जो की 10-12 वीं के छात्र हैं उन में हरेक पांच छात्रों में से सिर्फ एक को कॉंउसलिंग की मदद मिल पाती है। दुनिया में विकल्प की कमी नहीं है और अगर संकल्प मजबूत है तो रास्ते मिलते जायेंगे। ज़िंदगी का उद्देश्य परीक्षा से बड़ा है। स्कूल का रास्ता एक पड़ाव है, जीवन लगा देने का लक्ष्य नहीं है। किसी ने कहा है ना- कोई दुःख मनुष्य के साहस से बड़ा नहीं, वही हारा जो लड़ा नहीं।
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पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला, 38 लोगों की मौत
पख्तूनख्वा। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला हुआ है। इस हमले में 38 लोगों की मौत हो गई है। यह हमला खैबर पख्तूनख्वा के डाउन कुर्रम इलाके में एक पैसेंजर वैन पर हुआ है। हमले में एक पुलिस अधिकारी और महिलाओं समेत दर्जनों लोग घायल भी हुए हैं। जानकारी के मुताबिक उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में आतंकियों ने शिया मुस्लिम नागरिकों को ले जा रहे यात्री वाहनों पर गोलीबारी की है। यह क्षेत्र में हाल के वर्षों में इस तरह का सबसे घातक हमला है। मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है।
AFP की रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले में 38 लोगों की मौत हुई है. पैसेंजर वैन जैसे ही लोअर कुर्रम के ओचुट काली और मंदुरी के पास से गुजरी, वहां पहले से घात लगाकर बैठे आतंकियों ने वैन पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. पैसेंजर वैन पाराचिनार से पेशावर जा रही थी। पाकिस्तान की समाचार एजेंसी डॉन के मुताबिक तहसील मुख्यालय अस्पताल अलीजई के अधिकारी डॉ. ग़यूर हुसैन ने हमले की पुष्टि की है.
शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच तनाव
अफगानिस्तान की सीमा से लगे कबायली इलाके में भूमि विवाद को लेकर शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच दशकों से तनाव बना हुआ है। किसी भी समूह ने घटना की जिम्मेदारी नहीं ली है। जानकारी के मुताबिक “यात्री वाहनों के दो काफिले थे, एक पेशावर से पाराचिनार और दूसरा पाराचिनार से पेशावर यात्रियों को ले जा रहा था, तभी हथियारबंद लोगों ने उन पर गोलीबारी की।” चौधरी ने बताया कि उनके रिश्तेदार काफिले में पेशावर से यात्रा कर रहे थे।
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