प्रादेशिक
उत्तराखण्डः मोटरमार्ग के अभाव में ग्रामीणों का पलायन
देहरादून। उत्तराखण्ड सरकार प्रत्येक गांव को यातायात सुविधा से जोड़ने की लगातार घोषणा करती आ रही है, लेकिन यहां का एक महत्वपूर्ण जिला रुद्रप्रयाग जो कि चार धाम यात्रा की दृष्टि से अति महत्वपूर्ण है, इसके अंतर्गत आज भी अधिकांश गांव यातायात के अभाव में विकास से पिछड़ रहे हैं। इन गांवों से लगातार पलायन हो रहा है। पलायन के चलते गांव धीरे-धीरे खण्डहर में तब्दील होते जा रहे हैं। हालांकि यातायात सुविधा से अछूते इन गांवों को मोटरमार्ग से जोड़ने के लिये कई बार मोटरमार्ग निर्माण के लिये सर्वे तो किया गया, लेकिन सर्वे से आगे की कार्रवाई आज तक आगे नहीं बढ़ पाई।विकासखण्ड जखोली का सिलगढ़ पटटी का भणणा गांव यातायात सुविधा के अभाव में पलायन का दंश झेल रहा है। कभी इस गांव में 120 से 130 परिवार निवास करते थे, लेकिन मोटरमार्ग के न होने से आज गांव में निवासरत परिवारों की संख्या लगभग 50 ही रह गई है।
यातायात के अभाव में भणगा गांव के ग्रामीण प्रत्येक दिन तीन से चार किमी का पैदल सफर तय करके रोजमर्रा की सामग्री पीठ में ढोकर लाते हैं। सबसे अधिक दिक्कतें तब होती हैं जब किसी गर्भवती महिला एवं बीमारी व्यक्ति को चिकित्सालय पहुंचाना पड़ता है। कभी-कभार तो गांव से चिकित्सालय पहुंचने से पूर्व ही मरीज रास्ते में दम तोड़ देते हैं। ऐसा नहीं है कि गांव के लिये यातायात सुविधा से जोड़ने के लिये कोई कार्रवाई न हो रही है। भगणा गांव को मोटरमार्ग से जोड़ने के लिये रतनगढ़-भणगा-कुनियाली मोटरमार्ग की स्वीकृति भी मिल चुकी है। इसके साथ ही मोटरमार्ग निर्माण के लिये सर्वे भी हो चुका है। बीच में पेड़ों का छपान भी हो चुका है, लेकिन इससे आगे की कार्रवाई आज तक नहीं हो पाई है। पूर्व में मोटरमार्ग निर्माण की मांग को लेकर भगणा एवं अन्य गांवों के ग्रामीणों ने रतनगढ़ में तिलवाड़ा-मयाली-घनसाली मोटरमार्ग पर चक्काजाम भी लगाया था। जिसके बाद शासन-प्रशासन ने ग्रामीणों को शीघ्र मोटरमार्ग निर्माण करने का आश्वासन दिया था, लेकिन आज तक इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है। वन भूमि के कारण मोटरमार्ग का मामला वर्षों से अधर में लटका पड़ा हुआ है।
वन भूमि के कारण नहीं हो पा रहा है मोटरमार्ग का निर्माण कार्य
यदि रतनगढ़-भणगा-कुनियाली मोटरमार्ग का निर्माण कार्य हो जाता तो थापला, भणगा, टेंडवाल, खाल, बग्जीवाला, कुनियाली सहित अन्य गांव यातायात सुविधा से जुड़ पाते, लेकिन मोटरमार्ग का निर्माण कार्य न होने के कारण सबसे अधिक दिक्कतें भणगा एवं टेंडवाल गांव के ग्रामीणों को झेलनी पड़ रही हैं। ग्रामीणों ने बताया कि वर्षों से भणगा गांव को यातायात सुविधा से जोड़ने की मांग की जा रही है, लेकिन मोटरमार्ग निर्माण की दिशा में मात्र कोरे आश्वासन ही मिल पा रहे हैं। मोटरमार्ग न होने के कारण ग्रामीणों की दिक्कतें बढ़ गई हैं। आये दिन तीन से चार किमी पैदल चलकर ग्रामीणों को रोजमर्रा की सामग्री गांव तक पहुंचानी पड़ती है। बीमार व्यक्ति स्वास्थ्य केन्द्र तक पहुंचने से पहले ही आधे रास्ते में दम तोड़ देते हैं। उन्होंने कहा कि मोटरमार्ग न होने के कारण गांव से लगातार पलायन हो रहा है। जो ग्रामीण गांव में निवास कर रहे हैं, मोटरमार्ग न होने के कारण ये ग्रामीण भी यहां नहीं रहना चाहते हैं। उन्होंने चेतावनी देते हुये कहा कि यदि शीघ्र ही रतनगढ़-भणगा मोटरमार्ग का निर्माण कार्य नहीं होता है तो समस्त ग्रामीण एक बार फिर से चक्काजाम करने के लिये बाध्य हो जाएंगे। लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता इन्द्रजीत बोस का कहना है वन भूमि के कारण मोटरमार्ग का निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पा रहा है। प्रथम पांच किमी मोटरमार्ग का निर्माण कार्य पीएमजीएसवाई और उसके बाद पांच किमी मोटरमार्ग का निर्माण लोनिवि को करना है। वन भूमि की स्वीकृति मिलने के बाद ही मोटरमार्ग का निर्माण कार्य शुरू किया जायेगा।
उत्तर प्रदेश
योगी सरकार टीबी रोगियों के करीबियों की हर तीन माह में कराएगी जांच
लखनऊ | योगी सरकार ने टीबी रोगियों के संपर्क में रहने वाले व्यक्तियों एवं पूर्व टीबी रोगियों की स्क्रीनिंग कराने का निर्णय लिया है। यह स्क्रीनिंग हर तीन महीने पर होगी। वहीं साल के खत्म होने में 42 दिन शेष हैं, ऐसे में वर्ष के अंत तक हर जिलों को प्रिजेंम्टिव टीबी परीक्षण दर के कम से कम तीन हजार के लक्ष्य को हासिल करने के निर्देश दिये हैं। इसको लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य ने सभी जिला क्षय रोग अधिकारियों (डीटीओ) को पत्र जारी किया है।
लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को किया जा रहा और अधिक सुदृढ़
प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। ऐसे मेें टीबी रोगियों की युद्धस्तर पर स्क्रीनिंग की जा रही है। इसी क्रम में सभी डीटीओ डेटा की नियमित माॅनीटरिंग और कमजोर क्षेत्रों पर ध्यान देने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) का लक्ष्य टीबी मामलों, उससे होने वाली मौतों में कमी लाना और टीबी रोगियों के लिए परिणामों में सुधार करना है। ऐसे में इस दिशा में प्रदेश भर में काफी तेजी से काम हो रहा है। इसी का परिणाम है कि इस साल अब तक प्रदेश में टीबी रोगियों का सर्वाधिक नोटिफिकेशन हुआ है। तय समय पर इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को और अधिक सुदृढ़ किया गया है।
कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग से टीबी मरीजों की तेजी से होगी पहचान
राज्य क्षय रोग अधिकारी डाॅ. शैलेन्द्र भटनागर ने बताया कि टीबी के संभावित लक्षण वाले रोगियों की कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग को बढ़ाते हुए फेफड़ों की टीबी (पल्मोनरी टीबी) से संक्रमित सभी लोगों के परिवार के सदस्यों और कार्यस्थल पर लोगों की बलगम की जांच को बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग जितनी ज्यादा होगी, उतने ही अधिक संख्या में टीबी मरीजों की पहचान हो पाएगी और उनका इलाज शुरू हो पाएगा। इसी क्रम में उच्च जोखिम वाले लोगों जैसे 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों, डायबिटीज रोगियों, धूम्रपान एवं नशा करने वाले व्यक्तियों, 18 से कम बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) वाले व्यक्तियों, एचआईवी ग्रसित व्यक्तियों और वर्तमान में टीबी का इलाज करा रहे रोगियों के सम्पर्क में आए व्यक्तियों की हर तीन माह में टीबी की स्क्रीनिंग करने के निर्देश दिये गये हैं।
हर माह जिलों का भ्रमण कर स्थिति का जायजा लेने के निर्देश
टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए नैट मशीनों का वितरण सभी ब्लाॅकों पर टीबी की जांच को ध्यान रखने में रखते हुए करने के निर्देश दिये गये हैं। साथ ही उन टीबी इकाइयों की पहचान करने जो आशा के अनुरूप काम नहीं कर रहे हैं उनमें सुधार करने के लिए जरूरी कदम उठाने का आदेश दिया गया है। क्षेत्रीय टीबी कार्यक्रम प्रबन्धन इकाई (आरटीपीएमयू) द्वारा हर माह में जनपदों का भ्रमण करते हुए वहां की स्थिति का जायजा लेने के भी निर्देश दिए हैं।
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