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आध्यात्म

अपने स्वामी से कुछ चाहने वाला भक्त नहीं, व्यापारी है

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kripalu ji maharaj

महाराज! जो अपने स्वामी से कुछ चाहता है तो वो भ‍क्त नहीं है, वो व्यापारी है, बनिया है। मैं बनिया नहीं हूँ, आपका दास हूँ और दास का काम स्‍वामी की सेवा करना है, स्‍वामी से सेवा लेना नहीं होता। वर माँगो, वर माँगो आप कहते हैं। मैं बेवकूफ नहीं हूँ। नारद जी ने मुझे समझाया है। अच्‍छा अच्‍छा ठीक है बड़ा ज्ञानी तू है, हमको ज्ञान दे रहा है। अरे सब भक्‍त माँगते हैं भई, ऐसा नियम है। नियम है? हम नहीं मानते नियम। मैं आपका दास हूँ, कुछ नहीं चाहता। सेवा चाहता हूँ और मैं जानता हूँ आपको भी हमसे कुछ नहीं चाहिये। आप भगवान् हैं, परिपूर्ण हैं-

अहं त्‍वकामस्‍ त्‍वद्भक्‍तस्‍त्‍वं च स्‍वाम्‍यनपाश्रयः।

(भाग. 7-10-6)

आप भी परिपूर्ण हैं, आपको भी हमसे कुछ नहीं चाहिये। ये माँगा मूँगी क्‍या है? माँगो मैं दूँगा। बड़े देने वाले आये। अच्‍छा अच्‍छा ठीक है। फिर भी कुछ तो माँग ले। अरे ये तो पीछे ही पड़ गये। अच्‍छा चलो माँग लेता हूँ-

कामनां हृद्यसंरोहं भवतस्‍तु वृणे वरम् ।।

(भाग. 7-10-7)

मैं ये माँगता हूँ कि आपसे कभी माँगने की बुद्धि न हो, ऐसा वर दे दे। यानी आगे की भी हमेशा की गारण्‍टी और वर का वर हो गया। अब आपको देना पड़ेगा और जब ये वर देंगे आप तो फिर कभी नहीं बोलेंगे कि वर माँगो, वर माँगो। और बताऊँ? तो ठाकुर जी हँसने लगे। अच्‍छा बताओ बताओ, और बताओ, तुम ही से ज्ञान लें लें हम।

इन्द्रियाणि मनः प्राण आत्‍मा धर्मो धृतिर्मतिः।

ह्रीः श्रीस्‍तेजः स्‍मृतिः सत्‍यं यस्‍य नश्‍यन्ति जन्‍मना।।

(भाग. 7-10-8)

महाराज! जिसको कामना पैदा हो गई उसकी चीजें नष्‍ट हो जाती हैं। इन्द्रियाँ, मन, प्राण, आत्‍मा, धर्म, धैर्य, लज्‍ जा, श्री, तेज बुद्धि, स्‍मृति सब नष्‍ट हो जाते हैं। वो पागल हो जाता है, कामना वाला। वो कामना की पूर्ति के लिये पाप करता है, मर्डर तक कर डालता है। रोज सुनते हैं आप लोग। मर्डर होते हैं। इसकी प्रॉपर्टी हमको मिल जाय। ये मर जाय तो मिल जाय। ये मरता ही नहीं। तो क्‍या किया जाय जी? मर्डर कर दो। अरे फाँसी हो जायेगी। अरे तो हम ही थोड़े मरेंगे। रुपया देकर करवा दे। और बताऊँ? हाँ बता बता…..

विमुञ्चति यदा कामान्‍मानवो मनसि स्थितान् ।

तर्ह्येव पुण्‍डरीकाक्ष भगवत्‍तवाय कल्‍पते।

(भाग. 7-10-9)

आध्यात्म

महापर्व छठ पूजा का आज तीसरा दिन, सीएम योगी ने दी बधाई

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लखनऊ ।लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा का आज तीसरा दिन है. आज के दिन डूबते सूर्य को सायंकालीन अर्घ्य दिया जाएगा और इसकी तैयारियां जोरों पर हैं. आज नदी किनारे बने हुए छठ घाट पर शाम के समय व्रती महिलाएं पूरी निष्ठा भाव से भगवान भास्कर की उपासना करती हैं. व्रती पानी में खड़े होकर ठेकुआ, गन्ना समेत अन्य प्रसाद सामग्री से सूर्यदेव को अर्घ्य देती हैं और अपने परिवार, संतान की सुख समृद्धि की प्रार्थना करती हैं।

यूपी के मुख्यमंत्री ने भी दी बधाई।

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