बिजनेस
तेल उत्पादकों की वार्ता विफल होने से अमेरिका को नुकसान
वाशिंगटन। सऊदी अरब और ईरान के बीच विवाद के कारण 23 तेल उत्पादक देशों की उत्पादन स्थिर रखने संबंधी दोहा वार्ता के रविवार को विफल हो जाने का नकारात्मक असर अमेरिका की अर्थव्यवस्था पर पड़ने की संभावना है।
विश्लेषकों का मानना है कि वैश्विक तेल आपूर्ति मांग से अधिक रहने के साथ ही दोनों खाड़ी देशों के इस विवाद के कारण 2016 में उत्पादन स्थिर रखने के लिए समझौता हो पाने की संभावना काफी कम हो गई है। इसके कारण कच्चे तेल की कीमत और नीचे जा सकती है, जिसका नकारात्मक असर अमेरिका के तेल उद्योग और पूरी अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है।
तेल मूल्य घटने का कुछ फायदा तो है, लेकिन अमेरिका में इससे अरबों डॉलर का तेल निवेश घाटे में चला जाएगा। इसके साथ ही हजारों कर्मचारियों की नौकरी जा सकती है।
ब्रूकिंग्स इंस्टीट्यूशन में ऊर्जा विषय पर वरिष्ठ फेलो चार्ल्स इबिंगर ने कहा, “निकट भविष्य में करीब एक लाख लोगों की नौकरी छिन जाने के कयास लगाए जा रहे हैं।”
निवेश बैंक जेपी मोर्गन ने जनवरी 2015 में कहा था कि तेल मूल्य कम रहने से 2015 में अमेरिका की आर्थिक विकास दर में अतिरिक्त 0.7 प्रतिशतांक का इजाफा हो सकता है। बैंक ने इस साल जनवरी में हालांकि कहा कि 2015 की विकास दर में 0.3 प्रतिशतांक का नुकसान हो सकता है। 2016 के लिए बैंक ने कहा कि तेल मूल्य कम रहने से विकास दर सिर्फ 0.1 प्रतिशतांक अतिरिक्त बढ़ सकती है।
इबिंगर ने हालांकि कहा कि तेल उद्योग को होने वाले नुकसान से 2016 में अमेरिकी विकास दर में 0.2 प्रतिशतांक का नुकसान हो सकता है। इसके साथ ही अन्य क्षेत्रों को होने वाले नुकसान से विकास दर में समग्र तौर पर कुल 0.5 प्रतिशतांक का नुकसान होने की संभावना है।
बिजनेस
जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई
नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।
बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।
बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।
ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।
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