उत्तराखंड
अब फिर खरीद-फरोख्त का खेल!
देहरादून। नैनीताल हाईकोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद प्रदेश में एक बार फिर से विधायकों की खरीद-फरोख्त होने के आसार बढ़ गये हैं। भाजपा और कांग्रेस दोनों के भाग्य का फैसला हाईकोर्ट की सिंगल बेंच में छह बागी विधायकों की याचिका के फैसले पर निर्भर है। जैसे कि कोर्ट ने गुरुवार को ही स्पष्ट कर दिया है कि संवैधानिक गुनाह की सजा इनको भुगतनी होगी। ऐसे में यदि नौ विधायकों की सदस्यता जाती है तो भाजपा व कांग्रेस के पास 27-27 विधायक हो जाएंगे। ऐसे में पीडीएफ के विधायकों की भूमिका निर्णायक साबित होगी। कयास लगाए जा रहे हैं कि दोनों ही दल विधायकों का समर्थन हासिल करने के लिए ऐड़ी-चोटी का जोर लगाएंगे।
उत्तराखंड में सियासी हालात एक बार फिर बदल गये हैं। नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश के बाद हरीश रावत ने एक बार फिर सत्ता संभाल ली है। 12 घंटे में उन्होंने दो बार कैबिनेट बैठक बुला ली और जनहित से कहीं अधिक वोट बैंक की खातिर तुरंत फैसले ले लिये। भले ही इन फैसलों की वैधानिकता पर सवाल उठाए जा रहे हों लेकिन उन्होंने आंदोलन कर रहे अतिथि शिक्षकों, समाज कल्याण की पेंशन पा रहे लाभार्थियों का दिल जीत लिया। पूर्व सीएम विजय बहुगुणा ने इस मामले में सवाल उठाए हैं कि राज्यपाल या हाईकोर्ट के हस्ताक्षर से पहले ही सीएम रावत ने किस तरह से पदभार संभाल लिया। कुल मिलाकर दोनों दल व बागी अपनी अस्मिता से कहीं अधिक वोट बैंक की लड़ाई लड़ रहे हैं।
पीडीएफ विधायकों पर नजरें टिकीं
इस बीच मामला अब सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंचा है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई शुरू कर दी है, लेकिन वास्तविकता यह है कि फिलहाल रावत के पक्ष में हवा है और उनका पलड़ा भी भारी नजर आ रहा है। सीएम रावत पीडीएफ का साथ होने का दावा कर रहे हैं, ऐसी स्थिति में दोनों ही पक्ष पीडीएफ या एक-दूसरे के विधायकों को तोड़ने के दाव-पेंच मारे जा रहे हैं। इसके अलावा पीडीएफ के छह विधायकों पर सबकी नजरें हैं। हालांकि पीडीएफ ने साफ किया है कि वह हरीश रावत के साथ हैं। इसके बावजूद माना जा रहा है कि विधायकों को लालच दिया जा सकता है।
सात कांग्रेसी विधायकों से भाजपा ने साधा संपर्क: किशोर
सदन में बहुमत को लेकर खींचतान जारी है। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दल अपने को पाक साफ साबित करने के लिए बयानबाजी कर एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने कहा कि भाजपा ने उनके सात विधायकों से संपर्क करने की कोशिश की है। उनका मानना है कि भाजपा सत्ता के लिए विधायकों को लालच दे सकती है। कांग्रेस की आगे की रणनीति के तहत प्रभारी अंबिका सोनी भी देहरादून पहुंच चुकी हैं और सीएम समेत अन्य नेताओं से मंत्रणा कर रही हैं।
…तो फिर घूमने जाएंगे विधायक
सदन में बहुमत को लेकर भाजपा और कांग्रेस अपने विधायकों को फिर किसी सुरक्षित स्थान पर ले जा सकती है। विधायकों में इस बार पीडीएफ के विधायक भी शामिल हो सकते हैं।सूत्रों का कहना है कि इस पूरे प्रकरण का दारोमदार सुप्रीम कोर्ट पर है। शनिवार को इस मामले की सुनवाई हो सकती है। यदि सुप्रीम कोर्ट ने स्टेट्स को दिया तो फिर विधायकों की सैर पक्की है।
कांग्रेस मुख्यालय में रही चहल-पहल
कांग्रेस मुख्यालय में शुक्रवार को सुबह से ही चहल-पहल रही। अन्य दिनों यहां सन्नाटा सा पसरा रहता था, लेकिन आज सुबह से ही राजपुर रोड स्थित राजीव भवन की पार्किंग फुल थी। कई नेताओं के वाहन सड़क पर खड़े थे। हालांकि यहां प्रदेश अध्यक्ष का कमरा बंद ही रहा और अन्य बड़े नेता भी वहां नहीं पहुंचे पर कार्यकर्ताओं में खूब उत्साह नजर आ रहा था। कार्यकर्ताओं का कहना है कि चुनावी वर्ष में ही उनके काम होंगे, यदि सत्ता हाथ से निकल गयी तो भी काम भी लटक जाएंगे। वहीं दूसरी ओर बलवीर रोड स्थित भाजपा मुख्यालय में सन्नाटा पसरा रहा।
उत्तराखंड
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राष्ट्रीय कौशल एवं रोजगार सम्मेलन का किया उद्घाटन
देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को राष्ट्रीय कौशल एवं रोजगार सम्मेलन का उद्घाटन किया। नीति आयोग, सेतु आयोग और राज्य सरकार के संयुक्त प्रयासों से राजधानी देहरादून में दून विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय कौशल एवं रोज़गार सम्मलेन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन करने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि इस तरह की कार्यशालाएं प्रदेश के युवाओं के बेहतर भविष्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित होंगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार युवाओं को बेहतर रोजगार मुहैया कराने की दिशा में सकारात्मक कदम उठा रही है।
कार्यक्रम में कौशल विकास मंत्री सौरभ बहुगुणा ने इसे सरकार की ओर से युवाओं के लिए महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य उत्तराखंड के तमाम बेरोजगार युवाओं को रोजगार देना है। मुख्यमंत्री ने कहा, “निश्चित तौर पर इस कार्यशाला में जिन विषयों पर भी मंथन होगा, उससे बहुत ही व्यावहारिक चीजें निकलकर सामने आएंगी, जो अन्य युवाओं के लिए समृद्धि के मार्ग प्रशस्त करेगी। हमें युवाओं को प्रशिक्षण देना है, जिससे उनके लिए रोजगार की संभावनाएं प्रबल हो सकें, ताकि उन्हें बेरोजगारी से निजात मिल सके।
उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2015 में स्किल डेवलपमेंट का विभाग खोला था, ताकि अधिक से अधिक युवाओं को रोजगार मिल सके। इसके अलावा, वो रोजगार खोजने वाले नहीं, बल्कि रोजगार देने वाले बनें। अगर प्रदेश के युवा रोजगार देने वाले बनेंगे, तो इससे बेरोजगारी पर गहरा अघात पहुंचेगा। ” उन्होंने कहा, “हम आगामी दिनों में अन्य रोजगारपरक प्रशिक्षण युवाओं को मुहैया कराएंगे, जो आगे चलकर उनके लिए सहायक साबित होंगे।
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