उत्तराखंड
चारधाम यात्रा हेतु बसों की एडवांस बुकिंग जारी
ऋषिकेश। उत्तराखंड में वर्ष 2013 में आयी भीषण जल प्रलय के बाद धीमी पड़ी चार धाम यात्रियों की संख्या में इस साल अप्रत्याशित रूप से बढ़ोतरी की उम्मीद जताई जा रही है। पिछले दो वर्षों के मुकाबले इस बार संयुक्त रोटेशन यात्रा व्यवस्था समिति को अब तक मिली अग्रिम वाहनों की बुकिंग को इसका आधार माना जा रहा है। बताया जा रहा है कि इस साल की यात्रा बीते वर्षों का भी रिकॉर्ड तोड़ सकती है। संयुक्त रोटेशन यात्रा व्यवस्था समिति को इस साल चार धाम शुरू होने के सप्ताह भर पहले तक करीब 443 बसों की एडवांस बुकिंग मिल चुकी हैं। जो बीते दो वर्ष की तुलना में इस वर्ष तीन गुना अधिक बताई जा रही है। इस साल सात मई से शुरू हो रही चारधाम यात्रा के लिए अब तक 443 बसों की बुकिंग हो चुकी है। जिनमें सबसे ज्यादा चारों धाम और दो धाम बदरीनाथ और केदारनाथ धाम के दर्शनार्थियों की बुकिंग है।
तीन साल पहले आई भीषण आपदा के बाद से यात्रियों की संख्या में भारी गिरावट दर्ज की गई थी। लेकिन इस बार चारधाम यात्रा को लेकर श्रद्धालुओं में खासा उत्साह देखा जा रहा है। चारधाम यात्रा संचालित करने वाली संयुक्त रोटेशन यात्रा व्यवस्था समिति के प्रशासनिक अधिकारी बृजभानु प्रकाश गिरि ने बताया कि समिति के पास अब तक महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली, आंध्रप्रदेश, उत्तरप्रदेश आदि प्रांतों के श्रद्धालुओं की उम्मीद से बढ़कर अग्रिम बुकिंग आई है। उन्होंने इस बार चार धाम यात्रा में रिकॉर्ड तोड़ यात्रियों के आने की संभावना जताई है। उन्होंने बताया कि अब तक चारधाम यात्रा हेतु बदरीनाथ धाम हेतु 37, बदरीनाथ-केदारनाथ हेतु 99, गंगोत्री-बदरीनाथ-केदारनाथ हेतु 04 तथा यमुनोत्री-गंगोत्री-बदरीनाथ-केदारनाथ हेतु 303 बसों की एडवांस बुकिंग हो चुकी है जो कि शुभ संकेत है।
उत्तराखंड
शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद
उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।
बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.
उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।
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