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आध्यात्म

श्रीकृष्‍ण को प्राप्‍त करके ही जीव आनन्‍दमय होता है

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kripalu ji maharaj

अर्थात् सदंश की अधिष्‍ठात्री शक्ति को संधिनी शक्ति एवं चिदंश की अधिष्‍ठात्री शक्ति को संवित् शक्ति तथा आनन्‍द शक्ति की अधिष्‍ठात्री शक्ति को ह्लादिनी शक्ति कहते हैं। इनमें सत् शक्ति द्वारा (संधिनी द्वारा) श्रीकृष्‍ण अपनी सत्‍ता की रक्षा करते हैं। तथा संवित् शक्ति के द्वारा सदा सर्वज्ञ बने रहते हैं। एवं ह्लादिनी शक्ति के द्वारा सदा आनन्‍दमय रहते हैं। इतना ही नहीं वरन् इन शक्तियों द्वारा ही अपने भक्‍तों की भी रक्षा, ज्ञान एवं आनन्‍द प्रदान करने का कार्य करते हैं। वेद कहता है-

रसो वै सः रसॅं् ह्येवायं लब्‍धवाऽऽनन्‍दी भवति।

(तैत्तिरीयो. 2-7)

अर्थात् श्रीकृष्‍ण आनन्‍दमय हैं, उनको प्राप्‍त करके ही जीव आनन्‍दमय होता है। अन्‍य कोई उपाय नहीं है।

उपर्युक्‍त संधिनी शक्ति के गुण संवित् शक्ति में, संवित् शक्ति के गुण ह्लादिनी शक्ति में रहते हैं। इन तीनों ही शक्तियों में सर्वश्रेष्‍ठ शक्ति ह्लादिनी शक्ति ही है। इसी शक्ति की परिणिति का नाम प्रेम है। प्रेम की ही अन्तिम परिणिति महाभाव है। यही महाभाव रूपा महाशक्ति ही राधा हैं। राधा ही समस्‍त शक्तियों की अध्‍यक्षा हैं। संधिनी शक्ति के सार अंश का नाम शुद्ध सत्‍व है। यथा-

संधिनी सार अंश शुद्धसत्‍व नाम

भगवानेर सत्‍ता हय जाहाते विश्राम

(चै. च.)

माता पिता स्‍थान गृह शय्यासनआर

ए सब कृष्‍णेर शुद्ध सत्‍व विकार

(चै. च.)

उपर्युक्‍त शुद्ध सत्‍व की ही परिणिति, भगवान् श्रीकृष्‍ण की सत्‍ता, उनके धाम, उनके परिकर, उनके लीला-उपकरण हैं। इसी आशय से विष्‍णु पुराण कहता है। यथा-

ह्लादिनी संधिनी संवित्‍वय्येका सर्वसंस्थितौ।

ह्लादतापकारी मिश्रा त्‍वयि नो गुणवर्जिते।।

(विष्‍णु पु. 1-12-68)

अस्‍तु श्री राधा तत्‍व एवं श्रीकृष्‍ण तत्‍व तो एक है ही, किंतु तटस्‍थ शक्ति स्‍वरूप अनन्‍त ब्रह्माण्‍ड के समस्‍त मायाधीन जीव तथा बहिरंगा शक्ति रूपा माया भी श्रीकृष्‍ण से पृथक् सत्‍ता वाली नहीं है। जीव शक्ति में नित्‍य स्थित श्रीकृष्‍ण जीवों को जीवन प्रदान करते हैं। यथा वेद कहता है-

चेतनश्‍ चेतनानाम् ।

(श्‍वेता. 6-13)

इसी प्रकार जड़ शक्ति माया भी श्रीकृष्‍ण की शक्ति से ही कार्य करती है। तात्‍पर्य यह है कि श्रीकृष्‍ण से भिन्‍ न तो जीव एवं माया भी नहीं हैं। अतः वेदव्‍यास कहते हैं। यथा-

वदन्ति तत्‍तत्‍वविदस्‍तत्‍वं यज्‍ ज्ञानमद्वयम् ।

ब्रह्मेति परमात्‍मेति भगवानिति शब्‍द्यते।।

(भाग. 1-2-11)

आध्यात्म

महापर्व छठ पूजा का आज तीसरा दिन, सीएम योगी ने दी बधाई

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लखनऊ ।लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा का आज तीसरा दिन है. आज के दिन डूबते सूर्य को सायंकालीन अर्घ्य दिया जाएगा और इसकी तैयारियां जोरों पर हैं. आज नदी किनारे बने हुए छठ घाट पर शाम के समय व्रती महिलाएं पूरी निष्ठा भाव से भगवान भास्कर की उपासना करती हैं. व्रती पानी में खड़े होकर ठेकुआ, गन्ना समेत अन्य प्रसाद सामग्री से सूर्यदेव को अर्घ्य देती हैं और अपने परिवार, संतान की सुख समृद्धि की प्रार्थना करती हैं।

यूपी के मुख्यमंत्री ने भी दी बधाई।

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