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उत्तराखंड

चारधाम यात्रा का आगाज, पहला जत्था रवाना

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चारधाम यात्रा का आगाज, पहला जत्था रवाना, ऋषिकेश विधायक प्रेमचंद अग्रवाल, निवर्तमान मुख्यमंत्री हरीश रावत

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चारधाम यात्रा का आगाज, पहला जत्था रवाना, ऋषिकेश विधायक प्रेमचंद अग्रवाल, निवर्तमान मुख्यमंत्री हरीश रावत

Chardham Yatra

ऋषिकेश। उत्तराखंड की विश्व प्रसिद्ध चारधाम यात्रा का शनिवार को विधिवत रूप से आगाज हो गया। ऋषिकेश विधायक प्रेमचंद अग्रवाल ने श्रद्धालुओं के पहले जत्थे को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इसके तहत संयुक्त रोटेशन यातायात यात्रा व्यवस्था समिति के 15 वाहनों से लगभग 450 तीर्थ यात्रियों का जत्था यात्रा के लिए रवाना किया। इससे पूर्व आयोजित कार्यक्रम में विधायक प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि चार धाम यात्रा उत्तराखंड ही नहीं, बल्कि पूरे देश की आस्था का केन्द्र है।

पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार निवर्तमान मुख्यमंत्री हरीश रावत को चार धाम यात्रा का शुभारंभ करने के लिए यहां पहुंचना था, मगर ऐन वक्त पर उनका कार्यक्रम रद्द हो गया। उन्होंने मोबाईल के जरिये यात्रियों को शुभकामनाएं प्रेषित कीं। उन्होने कहा कि संयुक्त रोटेशन में आपदा के बाद विपरीत परिस्थितियों में यात्रा का बेहतरीन संचालन किया है, इसका ही परिणाम है कि आज देश भर से बड़ी संख्या में लोग चार धाम यात्रा के लिए पहुंच रहे हैं। चारधाम यात्रा का संचालन करने वाली संयुक्त रोटेशन यात्रा व्यवस्था समिति ने शुक्रवार को सभी तैयारियां पूरी कर ली थीं।

उत्तराखंड

शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद

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उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।

बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.

उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।

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