प्रादेशिक
अवैध वसूली से बढ़ीं जेलों में उपद्रव की घटनाएं!
शासन की एक तरफा कार्रवाई से अफसरों का टूट रहा मनोबल
राकेश यादव
लखनऊ। प्रदेश की जेलों में आए दिन हो रही उपद्रव की घटनाओं के लिए विभाग के मुखिया और शासन भी कम जिम्मेदार नहीं है। जेलों से हो रही अनाप-शनाप वसूली और उपद्रव के बाद बंदियों के पक्ष में होने वाले निर्णय से घटनाओं पर लगाम लगने के बजाए और ब-सजय़ गई हैं। यह मामला विभागीय अफसरों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। कयास लगाए जा रहे हैं कि उपद्रव के बंदियों के खिलाफ कार्रवाई के बजाए अधिकारियों को ही नापा जा रहा है। इससे बंदियों का मनोबल बढ़ गया है।
मुजफ्फरनगर जेल की घटना से इस बात की पुष्टि हो गई है। अप्रैल माह के प्रथम सप्ताह में वाराणसी की जिला जेल में अवैध धनउगाही और घटिया भोजन परोसे जाने को लेकर बंदियों और सुरक्षाकर्मियों के बीच कहासुनी हो गई। यह नोक-झोंक देखते ही देखते मारपीट में तब्दील हो गई। उग्र बंदियों ने जेल अधिकारियों और सुरक्षाकर्मियों पर पथराव किया। इस दौरान बंदियों ने नाराज बंदियों को शांत कराने जेल की सर्किल पहुंचे अधीक्षक को बंधक बना लिया। बंदियों को नियंत्रित करने के लिए सुरक्षाकर्मियों को फायरिंग तक करनी पड़ी।
करीब सात घंटे तक बंदियों के कब्जे में रही जेल और जेल अधीक्षक को मुक्त कराने के लिए वाराणसी के डीएम एवं एसएसपी मौके पर पहुंचे और बंदियों की मांगों को मानते हुए अधीक्षक को मुक्त कराते हुए किसी तरह से उपद्रव को शांत कराया। आक्रोशित बंदी जेल अधीक्षक पर अवैध वसूली और घटिया भोजन परोसे जाने का आरोप लगाते हुए उन्हें हटाए जाने की मांग कर रहे थे। डीएम ने तत्काल अधीक्षक को हटा दिया और बंदियों की मांगों को मान लिया।
सूत्रों का कहना है कि शासन के निर्देश पर जिला प्रशासन की इस कार्रवाई से बंदियों का मनोबल ब-सजय़ गया। इस घटना को हुए अभी एक पखवारा भी नहीं बीता था कि ऐसी ही घटना देवरिया जेल में हो गई। इस जेल में बंदियों ने जमकर उत्पात मचाया। कुछ ऐसा ही हाल बंदायू जेल में भी हुआ। एक बंदी की मौत के मामले में इस जेल में बंदियों ने बवाल मचाया। इसमें भी कार्रवाई जेल अधिकारियों पर हुई। अभी इन घटनाओं को पटाक्षेप हो भी नहीं पाया था कि दो दिन पहले मुजफ्फरनगर जेल में एक बार फिर दो बंदी गुटों में मारपीट हो गई। बंदियों के उत्पात के बाद हर बार जेल अधिकारियों के खिलाफ होने वाली कार्रवाईयों से जेल अधिकारियों का मनोबल दिनों दिन गिरता जा रहा है। उधर कारागार मंत्री बलवंत सिंह रामूवालिया कहते हैं कि अधिकारियों का मनोबल गिरने नहीं दिया जाएगा। इनका कहना है कि अधिकारियों पर ही नहीं बंदियों पर भी कार्रवाई की गई है।
प्रादेशिक
IPS अधिकारी संजय वर्मा बने महाराष्ट्र के नए डीजीपी, रश्मि शुक्ला के ट्रांसफर के बाद मिली जिम्मेदारी
महाराष्ट्र। महाराष्ट्र के नए डीजीपी का कार्यभार IPS संजय वर्मा को सौंपा गया है। आईपीएस संजय वर्मा को केंद्रीय चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र के नए पुलिस महानिदेशक के रूप में नियुक्त किया है। कुछ ही दिनों में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव है। उससे पहले चुनाव आयोग ने राज्य कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले की शिकायत मिलने के बाद डीजीपी रश्मि शुक्ला के तबादले का आदेश दिया था।
कौन हैं IPS संजय वर्मा?
IPS संजय वर्मा 1990 बैच के पुलिस अधिकारी हैं। वह महाराष्ट्र में वर्तमान में कानून और तकनीकी के डीजी के रूप में कार्यरत रहे। वह अप्रैल 2028 में सेवानिवृत्त पुलिस सेवा से रिटायर होंगे। दरअसल, डीजीपी रश्मि शुक्ला को लेकर सियासी दलों के बीच पिछले कुछ समय से माहौल गर्म था। कांग्रेस के बाद उद्धव गुट की शिवसेना ने भी चुनाव आयोग को पत्र लिखकर उन्हें हटाने की मांग की थी।
कांग्रेस ने रश्मि शुक्ला की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए चुनाव आयोग से उन्हें महानिदेशक पद से हटाने की मांग की थी। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने उन पर आरोप लगाया था कि वह बीजेपी के आदेश पर सरकार के लिए काम कर रही हैं।
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