आध्यात्म
ब्रह्म प्रमुख रूप से आनन्द का ही वाचक है
तात्पर्य यह कि वह एवं उसकी शक्तियाँ इतनी बड़ी (अनन्त) हैं कि न तो उनसे बड़ा कोई है, न तो उनके बराबर ही कोई है। कुछ लोग (अद्वैती ब्रह्म में शक्तियाँ ही नहीं मानते। वे लोग ध्यान दें। श्रुति कहती है।
यः सर्वज्ञः सर्वविद्वस्य ज्ञानमयं तपः
(मुण्डको. 1-1-9)
अर्थात् ब्रह्म सर्वज्ञ है। पुनः वही श्रुति स्पष्ट करती है। यथा-
नायमात्मा प्रवचनेन लभ्यो न मेधया न बहुनाश्रुतेन।
यमेवैष वृणुते तेन लभ्यस्तस्यैष आत्मा विवृणुते तनू ँ स्वाम।।
(कठोप. 1-2-23, मुण्डको 3-2-3)
अर्थात् वह ब्रह्म जिसका वरण करता है, वही जीव उसे प्राप्त करता है। अतः ब्रह्म सशक्तिक एवं सविशेष है। शंकराचार्य ने प्रथम ब्रह्मसूत्र भाष्य में लिखा है। यथा-
नित्यशुद्धबुद्धमुक्त स्वभावं सर्वज्ञं सर्वशक्ति समन्वितं ब्रह्म।
किंतु पश्चात् शंकराचार्य ने मुख्यार्थ छोड़ कर लक्षणा वृत्ति का आश्रय लेकर ब्रह्म को निःशक्तिक एवं निर्विशेष माना है। वस्तुतः उनका एक ही लक्ष्य था कि जीव एवं ब्रह्म का एकत्व ही सिद्ध करना है। वेदों में भेदवादिनी एवं अभेदवादिनी दोनों ही प्रकार की ऋचायें हैं। कहीं कहीं तो एक ही मंत्र में दोनों ही प्रकार की ऋचायें हैं। शंकर ने अभेदवादिनी ऋचाओं को ही पारमार्थिक माना एवं भेदवादिनी ऋचाओं को व्यावहारिक कह कर टाल दिया। किंतु इस मंतव्य में प्रमाण नहीं दे सके। वेद तो कहता है। यथा-
सर्वे वेदा यत्पदमामनन्ति।
(कठोप. 1-2-15)
अर्थात् सभी ऋचायें एक सी हैं। वस्तुतः दोनों ही प्रकार की ऋचायें पारमार्थिक ही है। किंतु समझने की शक्ति साधारण बुद्धि में नहीं है। बड़ी सीधी सी बात है कि ब्रह्म एवं जीव तथा माया इन तीनों तत्वों को भेदवादिनी ऋचायें स्पष्ट बता रहीं हैं। एवं एकमात्र ब्रह्म को ही अभेदवादिनी ऋचायें स्पष्ट बता रही हैं। दोनों सही हैं। क्योंकि जीव (परा) एवं माया (अपरा) दोनों ही ब्रह्म की शक्तियाँ हैं। शक्ति एवं शक्तिमान् में भेद एवं अभेद दोनों ही माना गया है। अतः कोई विवाद है ही नहीं। अस्तु अपनी शक्तियों को द्वारा ही वह निर्गुण निर्विशेष निराकार तथा सगुण सविशेष साकार बनता है। वह ब्रह्म प्रमुख रूप से आनन्द का ही वाचक है। साथ में सत्चित् विशेषण युक्त भी है। अतः उसे सच्चिदानन्द भी कहा जाता है। यथा वेद-
आनन्दो ब्रह्मोति व्यजानात्। (तैत्तिरीयो. 3-6)
आध्यात्म
महापर्व छठ पूजा का आज तीसरा दिन, सीएम योगी ने दी बधाई
लखनऊ ।लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा का आज तीसरा दिन है. आज के दिन डूबते सूर्य को सायंकालीन अर्घ्य दिया जाएगा और इसकी तैयारियां जोरों पर हैं. आज नदी किनारे बने हुए छठ घाट पर शाम के समय व्रती महिलाएं पूरी निष्ठा भाव से भगवान भास्कर की उपासना करती हैं. व्रती पानी में खड़े होकर ठेकुआ, गन्ना समेत अन्य प्रसाद सामग्री से सूर्यदेव को अर्घ्य देती हैं और अपने परिवार, संतान की सुख समृद्धि की प्रार्थना करती हैं।
यूपी के मुख्यमंत्री ने भी दी बधाई।
महापर्व 'छठ' पर हमरे ओर से आप सब माता-बहिन आ पूरा भोजपुरी समाज के लोगन के बहुत-बहुत मंगलकामना…
जय जय छठी मइया! pic.twitter.com/KR2lpcamdO
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) November 7, 2024
-
प्रादेशिक3 days ago
कक्षा 12 के छात्रों ने शिक्षिका की कुर्सी के नीचे लगाया बम, कर दिया विस्फोट
-
अन्तर्राष्ट्रीय3 days ago
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इतालवी समकक्ष जियोर्जिया मेलोनी से की मुलाकात
-
मनोरंजन3 days ago
असित मोदी के साथ झगड़े पर आया दिलीप जोशी का बयान, कही ये बात
-
छत्तीसगढ़3 days ago
CRPF 241 बस्तियां बटालियन पहुंचे सीएम विष्णु देव साय, जवानों को भोजन परोसा, बढ़ाया हौसला
-
वीडियो3 days ago
video: भगवान ऐसा दोस्त किसी को ना दे
-
प्रादेशिक3 days ago
बहु-बेटियों की इज्जत के लिए करें मतदान – केंद्रीय मंंत्री गिरिराज सिंह
-
उत्तराखंड2 days ago
जगद्गुरु रामभद्राचार्य अस्पताल में भर्ती, सांस लेने में तकलीफ
-
उत्तराखंड2 days ago
उत्तराखंड सरकार ने भू-कानून के उल्लंघन पर अपनाया सख्त रुख