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हेल्थ

ब्रेड से कैंसर का खतरा : सीएसई

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खुले या पैकेट बंद ब्रेड, सेंटर फॉर साइंस एंड एनवॉरमेंट, पोटेशियम ब्रोमेट, पोटेशियम आयोडेट रसायन

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खुले या पैकेट बंद ब्रेड, सेंटर फॉर साइंस एंड एनवॉरमेंट, पोटेशियम ब्रोमेट, पोटेशियम आयोडेट रसायन

bread

नई दिल्ली| भारतीय बाजार में मिलने वाले अधिकांश खुले या पैकेट बंद ब्रेड में ऐसे रसायन मिले होते हैं, जिनसे कैंसर हो सकता है। यह चेतावनी एक नए अध्ययन में दी गई है। सेंटर फॉर साइंस एंड एनवॉरमेंट (सीएसई) द्वारा कराए गए एक अध्ययन में कहा गया है कि भारतीय कंपनियों द्वारा बनाए जाने वाले अधिकतर ब्रेड में पोटेशियम ब्रोमेट और पोटेशियम आयोडेट रसायन मिले होते हैं, जिनसे स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचता है। इसलिए कई देशों में ब्रेड में इन रसायनों के मिलाने पर प्रतिबंध लगा हुआ है। पोटेशियम ब्रोमेट एक शक्तिशाल ऑक्सीडाइजिंग एजेंट होता है, जिसके प्रयोग से ब्रेड फूला हुआ और नरम हो जाता है और इसे सुंदर रूप दिया जा सकता है। भारत में खाद्य सुरक्षा नियम पोटेशियम ब्रोमेट को ब्रेड या अन्य बेकरी उत्पादों में आटे के प्रसंस्करण एजेंट के रूप में इस्तेमाल करने की छूट देते हैं। कई ब्रेड कंपनियों और फास्ट फूड श्रंखलाओं ने इन रसायनों के प्रयोग से इंकार किया है।

सीएसई के रपट में कहा गया है, “कई देशों में ब्रेड निर्माण उद्योग में इन रसायनों के उपयोग पर पाबंदी है, क्योंकि वे लोक स्वास्थ्य के लिए खतरनाक पदार्थो की सूची में आते हैं। इनमें से एक 2बी कार्सिनोजेन श्रेणी में आता है, जबकि दूसरे से थॉयराइड ग्रंथि में खराबी आती है। सीएसई ने बाजार में आम तौर पर मिलने वाले 38 ब्रांड के ब्रेड, पाव और बन, रेडी-टू-ईट बर्गर ब्रेड और दिल्ली के लोकप्रिय फास्ट फूड आउटलेटों के रेडी-टू-ईट पिज्जा ब्रेड के नमूनों की जांच की। सीएसई के उप महानिदेशक चंद्र भूषण ने कहा, “हमने 84 फीसदी नमूनों में पोटेशियम ब्रोमेट या आयोडेट पाए। कुछ नमूनों में हमने दूसरे प्रयोगशालाओं से भी इनकी मौजूदगी की पुष्टि की।”

1999 में इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर (आईएआरसी) ने पोटेशियम ब्रोमेट को कैंसर पैदा करने वाला बताया। जांच से पता चला कि इससे किडनी, थॉयराइड ग्रंथि और पेट में कैंसर हो सकता है।यूरोपीय संघ ने 1990 में इन रसायनों पर प्रतिबंध लगा दिया है। ब्रिटेन, कनाडा, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, चीन, श्रीलंका, ब्राजील, नाइजीरिया, पेरू और कोलंबिया ने भी पोटेशियम ब्रोमेट के उपयोग पर पाबंदी लगा दी है। भूषण ने कहा, “दुनियाभर में इस सोच के साथ पोटेशियम ब्रोमेट के उपयोग की अनुमति दी गई थी कि यह रसायन अंत में तैयार होने वाले उत्पाद में नहीं मिलेगा। पूरी दुनिया में यह सोच गलत साबित हुई है। उपयोग की सीमा घटाने के बाद भी आखिर में तैयार होने वाले उत्पाद में ये रसायन पाए गए हैं। इसलिए कई देशों ने इस पर प्रतिबंध लगा दिया है।” उन्होंने कहा, “हमारे अध्ययन में पता चलता है कि भारत में बिकने वाले ब्रेड में पोटेशियम ब्रोमेट के अंश मौजूद होते हैं।”

सीएसई के मुताबिक, सैंडबिच ब्रेड, पाव, बन और सफेद ब्रेड में पोटेशियम ब्रोमेट या आयोडेट की काफी अधिक मात्रा पाई गई। हार्वेस्ट गोल्ड, ब्रिटेनिया और परफेक्ट ब्रेड ब्रांडों में भी इनकी काफी ऊंची मात्रा पाई गई। ब्रिटेनिया ने इन रसायनों के उपयोग से इंकार किया है। सीएसई की रपट के मुताबिक, “पिज्जा और बर्गर बेचने वाले सभी पांच बहुराष्ट्रीय फास्ट फूड आउटलेट के उत्पादों में पाटेशियम ब्रोमेट या आयोडेट पाए गए। इनमें शामिल हैं पिज्जा हट, डोमिनोज, सबवेज, केएफसी और मैकडोनल्ड। डोमिनोज के अलावा अन्य ने इनके प्रयोग से इंकार किया है। निरुलाज और स्लाइस ऑफ इटली के नमूनों में भी ये रसायन पाए गए। स्लाइस ऑफ इटली ने इन रसायनों के उपयोग से इंकार किया है।

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दिल्ली में डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया के मरीजों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी

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नई दिल्ली। दिल्ली में डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया के मरीजों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी का क्रम लगातार जारी है. अस्पतालों और नर्सिंग होम्स में अकेले डेंगू के मरीजों में भारी संख्या में इजाफे की सूचना है. दिल्ली नगर निगम के आंकड़ों के मुताबिक साल 2024 में डेंगू के अब तक 4533 मरीज सामने आए हैं. इनमें 472 मरीज नवंबर माह के भी शामिल हैं.

एमसीडी की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली में इस साल अब तक मलेरिया के 728 और चिकनगुनिया के 172 केस दर्ज हुए हैं.

डेंगू एक गंभीर वायरल संक्रमण है, जो एडीज़ मच्छर के काटने से फैलता है। इसके होने से मरीज को शरीर में कमजोरी लगने लगती है और प्लेटलेट्स डाउन होने लगते हैं। एक आम इंसान के शरीर में 3 से 4 लाख प्लेटलेट्स होते हैं। डेंगू से ये प्लेटलेट्स गिरते हैं। डॉक्टरों का मानना है कि 10 हजार प्लेटलेट्स बचने पर मरीज बेचैन होने लगता है। ऐसे में लगातार मॉनीटरिंग जरूरी है।

डॉक्टरों के अनुसार, डेंगू के मरीज को विटामिन सी से भरपूर फल खिलाना सबसे लाभकारी माना जाता है। इस दौरान कीवी, नाशपाती और अन्य विटामिन सी से भरपूर फ्रूट्स खिलाने चाहिए। इसके अलावा मरीज को ज्यादा से ज्यादा लिक्विड डाइट देना चाहिए। इस दौरान मरीज को नारियल पानी भी पिलाना चाहिए। मरीज को ताजा घर का बना सूप और जूस दे सकते हैं।

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