उत्तराखंड
सड़क पर मलबा आने से जाम में फंसे प्रीतम सिंह
विकासनगर (देहरादून)। जौनसार बाबर की लाइफ लाइन कही जाने वाले कालसी-चकराता मोटर मार्ग जजरेड से मलबा आने के कारण बाधित हो गया। इस सड़क पर पहाड़ी से पत्थर गिरने से एक कार क्षतिग्रस्त हो गई और कार में बैठे लोग बाल-बाल बच गये। यातायात बाधित होने के कारण प्रदेश के गृहमंत्री प्रीतम सिंह का काफिला भी आधे घंटे तक जाम में फंसा रहा।
ज्ञातव्य है कि कालसी-चकराता मोटर मार्ग पर जजरेड में हर साल बरसात के मौसम में मलबा आने से यातायात बाधित होता है। इसके लिए एक ट्रीटमेंट प्लान बनाकर लोक निर्माण विभाग ने करोड़ों रुपये खर्च कर डाले परन्तु इस समस्या का समाधान नहीं निकल पाया। आज सुबह लगभग 8 बजे जजरेड पहाड़ से पत्थर गिरने शुरु हुए जिसके चलते यातायात बाधित हो गया।
मलबा हटाने को लोनिवि ने तत्काल जेसीबी लगाई। मलबा हटने पर कुछ देर के लिए यातायात चला लेकिन फिर अचानक से सड़क पर मलबा आने से यातायात दोबारा बाधित हो गया।
जाम में प्रीतम सिंह का काफिला फंसने की सूचना मिलते ही आनन फानन में लोनिवि के अधिशासी अभियंता मौके पर पहुंचे और अपने सामने जेसीबी से मलबा हटवाने का कार्य तेज करवाया।
यहां बार-बार सड़क से मलबा हटाकर यातायात सुचारू किया जा रहा है परन्तु फिर से मलबा आने के कारण सड़क बंद हो रही है। समाचार लिखे जाने तक एक बार फिर से यातायात अवरुद्ध हो गया है।
उत्तराखंड
शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद
उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।
बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.
उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।
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