Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

नेशनल

राष्ट्रपति शासन की ओर बढ़ रहा कश्मीर?

Published

on

Loading

श्रीनगर| जम्मू एवं कश्मीर में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिलने के कारण त्रिशंकु विधानसभा में सरकार गठन को लेकर असमंजस जारी है। हिंदू मुख्यमंत्री की शर्त रखने वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ गठबंधन को लेकर न तो पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) और न ही नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) उत्सुक दिख रही है। गतिरोध यूं ही जारी रहा तो राज्य में राज्यपाल के माध्यम से राष्ट्रपति शासन के अलावा कोई और विकल्प नहीं बचता।

सरकार बनाने को लेकर कोई आश्वस्त नहीं दिख रहा है। किसी को यह भी मालूम नहीं कि कौन-सी पार्टी या कौन-सा गठबंधन मिलकर 87 सीटों वाली त्रिशंकु विधानसभा में सरकार बनाने की पहल करेगा। विधानसभा चुनाव में पीडीपी को 28, भाजपा को 25 तथा सत्तारूढ़ नेकां को 18 और कांग्रेस को 12 सीटें मिलीं। छोटी पार्टियां तथा निर्दलीय को सात सीटें मिली हैं। ‘मिशन 44+’ के साथ चुनाव में उतरी भाजपा भले ही 25 सीटों पर सिमट गई हो, मगर सत्ता पाने की सबसे ज्यादा ललक यही पार्टी दिखा रही है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के पूर्व प्रवक्ता और अब भाजपा के महासचिव राम माधव इन दिनों कश्मीर में डेरा डाले हुए हैं। वह सरकार बनाने की संभावनाएं तलाश रहे हैं और गुरुवार को केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली भी पर्यवेक्षक बनकर यहां पहुंचे थे।

चुनाव के पहले सभी पार्टियों के अपने-अपने दावे थे, लेकिन नया जनादेश आने के बाद सबके मंसूबों पर पानी फिर गया है। राज्य विधानसभा में बहुमत के लिए 44 सीटें चाहिए। अब सवाल यह उठता है कि सरकार बनाने के लिए कौन सी दो पार्टियां गलबहियां करेंगी। शुरुआत में लगा कि नेकां और भाजपा किसी समझौते पर पहुंच चुकी है। उमर अब्दुल्ला के 24 दिसंबर को दिल्ली जाने को लेकर कई अटकलें लगाई गईं, लेकिन जब उमर श्रीनगर पहुंचे, तो उनके कुछ विधायकों ने भाजपा के साथ गठबंधन का विरोध किया। इसके अलावा, हिंदू मुख्यमंत्री की भाजपा की शर्त को लेकर भी कश्मीर घाटी में असमंजस है।

इसके बाद मीडिया का ध्यान महबूबा मुफ्ती की पार्टी पीडीपी पर गया। गुरुवार को भाजपा महासचिव राम माधव के श्रीनगर पहुंचने के बाद वरिष्ठ पीडीपी नेता तथा सांसद मुजफ्फर हुसैन बेग ने उनके साथ दो दौर की बातचीत की। पीडीपी प्रवक्ता बेग ने स्पष्ट किया कि वह राम माधव से व्यक्तिगत तौर पर मिले थे, न कि पीडीपी के मध्यस्थ के तौर पर। मगर बात बनती नजर नहीं आ रही है। असमंजस की बात यह है कि नेकां और पीडीपी दोनों का जनाधार मुस्लिम बहुल कश्मीर घाटी में है। ऐसे में वह हिंदू बहुल जम्मू क्षेत्र से मुख्यमंत्री की भाजपा की शर्त मानकर अपने मतदाताओं को नाराज कैसे करे।

यही वजह है कि भाजपा के साथ गठबंधन की बात स्वीकार करने में दोनों पार्टियां संकोच बरत रही हैं। हालांकि भाजपा को उनसे हाथ मिलाने में कोई संकोच नहीं है, क्योंकि उसे किसी भी तरह सत्ता चाहिए। नेकां तथा पीडीपी के तेवर देखकर जम्मू एवं कश्मीर में तत्काल सरकार गठन की संभावना नजर नहीं आ रही है। सवाल कई हैं। घाटी के लोगों के समर्थन की कीमत पर क्या दोनों पार्टियां भाजपा के साथ गठबंधन को लेकर तैयार होंगी? भाजपा को सत्ता से अलग रखने के लिए क्या पीडीपी, नेकां तथा कांग्रेस आपस में हाथ मिलाएंगे, जैसा कि मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने सुझाव दिया है? इन सवालों के जवाब तभी मिलेंगे, जब जम्मू एवं कश्मीर में सरकार बनाने की कोई पहल करे। मौजूदा हालात तो राष्ट्रपति शासन की ओर ही इशारा कर रहे हैं।

नेशनल

पीएम मोदी पर लिखी किताब के प्रचार के लिए स्मृति ईरानी चार देशों की यात्रा पर

Published

on

Loading

नई दिल्ली। पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी एक नवीनतम पुस्तक ‘मोडायलॉग – कन्वर्सेशन्स फॉर ए विकसित भारत’ के प्रचार के लिए चार देशों की यात्रा पर रवाना हो गई हैं। यह दौरा 20 नवंबर को शुरू हुआ और इसका उद्देश्य ईरानी को मध्य पूर्व, ओमान और ब्रिटेन में रहने वाले भारतीय समुदाय के लोगों से जोड़ना है।

स्मृति ईरानी ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा कि,

एक बार फिर से आगे बढ़ते हुए, 4 देशों की रोमांचक पुस्तक यात्रा पर निकल पड़े हैं! 🇮🇳 जीवंत भारतीय प्रवासियों से जुड़ने, भारत की अपार संभावनाओं का जश्न मनाने और सार्थक बातचीत में शामिल होने के लिए उत्सुक हूँ। यह यात्रा सिर्फ़ एक किताब के बारे में नहीं है; यह कहानी कहने, विरासत और आकांक्षाओं के बारे में है जो हमें एकजुट करती हैं। बने रहिए क्योंकि मैं आप सभी के साथ इस अविश्वसनीय साहसिक यात्रा की झलकियाँ साझा करता हूँ

कुवैत, दुबई, ओमान और ब्रिटेन जाएंगी स्मृति ईरानी

डॉ. अश्विन फर्नांडिस द्वारा लिखित यह पुस्तक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शासन दर्शन पर प्रकाश डालती है तथा विकसित भारत के लिए उनके दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित करती है। कार्यक्रम के अनुसार ईरानी अपनी यात्रा के पहले चरण में कुवैत, दुबई, फिर ओमान और अंत में ब्रिटेन जाएंगी।

Continue Reading

Trending