उत्तराखंड
स्वतंत्रता दिवस को लेकर नैनीताल में तैयारियां शुरू
नैनीताल। उत्तराखंड में विगत वर्षों की भांति ही इस साल भी स्वतंत्रता दिवस बड़ी धूमधाम से मनाया जाएगा। कलेक्ट्रेट सभागार में बैठक लेते हुए जिलाधिकारी दीपक रावत ने बताया कि 15 अगस्त को 09.00 बजे सभी सरकारी और गैर सरकारी कार्यालयों में और 9.30 बजे जिला कार्यालय में ध्वजारोहण किया जाएगा। इस अवसर पर सभी ऐतिहासिक स्मारकों को प्रकाशमान किया जाएगा।
बैठक में तय किया गया है कि स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर सुबह 6.30 बजे प्रभात फेरी निकाली जाएगी और 10 बजे गांधी जी और पं. गोविन्द बल्लभ पंत की मूर्ति में माल्यार्पण किया जाएगा। उन्होंने कहा कि झंडारोहण और कार्यक्रम स्थल पर ऐपण बनाए जाएं। उन्होंने अधिशासी अधिकारियों, खण्ड विकास अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में ऐतिहासिक स्मारकों में रंग रोगन कराना सुनिश्चित करने के साथ ही साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें।
इस अवसर पर प्रत्येक ब्लाक और तहसील स्तर पर विद्यालयों में ऐपण प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा। खेल विभाग की ओर से हल्द्वानी में क्रॉसकंट्री रेस आयोजित की जाएगी। अपराह्न 3 बजे नैनीताल शहर में एनसीसी, एनएसएस, नेवी, आर्मी और एयरविंग की ओर से परेड निकाली जाएगी, जिसका समापन फ्लैट्स मैदान में होगा।
जिलाधिकारी ने क्षेत्राधिकारी पुलिस को निर्देश दिए कि प्रभात फेरी और स्वतंत्रता दिवस परेड के समय यातायात व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। प्रत्येक तहसील स्तर पर स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को सम्मानित किया जाएगा। 15 अगस्त के अवसर पर रक्तदान शिविर के आयोजन के साथ ही चिकित्सालयों में मरीजों को फल आदि का भी वितरण किया जाएगा। डीएम नैनीताल ने आदेश दिया है कि इस अवसर पर प्लास्टिक के झंडे पूर्ण प्रतिबंधित होंगे। साथ ही स्वास्थ्य विभाग की ओर से धूम्रपान निषेद्य पर रैली निकाली जाएगी।
उत्तराखंड
शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद
उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।
बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.
उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।
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