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नेशनल

एचआईवी पीडि़त से भेदभाव पर दो साल की सजा और जुर्माना

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HIVनई दिल्ली। केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को एचआईवी और एड्स (रोकथाम और नियंत्रण) विधेयक, 2014 के संशोधनों को मंजूरी दे दी।
इसके तहत एचआईवी/एड्स के मरीजों के साथ भेदभाव करना और उन्हें बुनियादी अधिकारों से वंचित करना महंगा पड़ सकता है। एचआईवी संक्रमितों के साथ भेदभाव करने पर तीन महीने से लेकर दो साल तक की सजा का प्रावधान भी किया जा रहा है। आरोपी पर एक लाख रुपये तक का जुर्माना भी हो सकता है।

एचआईवी से पीडि़त लोगों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए इसका मसौदा तैयार किया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की एक बैठक में यह मंजूरी दी गई। विधेयक के प्रावधानों में एचआईवी संबंधी भेदभाव से निपटना, कानूनी जवाबदेही के जरिए मौजूदा कार्यक्रमों को मजबूत बनाना और शिकायतों की जांच और शिकायतों के निवारण के लिए औपचारिक तंत्र स्थापित करना शामिल है।

प्रस्तावित कानून का लक्ष्य एचआईवी और एड्स के प्रसार को रोकना और नियंत्रित करना, प्रभावित लोगों के खिलाफ भेदभाव रोकना, उनके इलाज से संबंधित सूचित सहमति और गोपनीयता प्रदान करना, एचआईवी से पीडि़त व्यक्तियों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए प्रतिष्ठानों को जवाबदेह बनाना और शिकायतों के निवारण के लिए तंत्र विकसित करना है।

यह रोजगार स्थलों, शैक्षिक संस्थानों, स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं, आवासीय या किराए की संपत्ति और अन्य आधारों को सूचीबद्ध करता है, जिन पर एचआईवी पॉजिटिव व्यक्तियों और उनके साथ रहने वाले लोगों के खिलाफ भेदभाव प्रतिबंधित है। प्रस्तावित कानून में कानून के उल्लंघन से संबंधित शिकायतों की जांच के लिए और गैर अनुपालन की स्थिति में दंडात्मक कार्रवाई के लिए राज्य सरकारों द्वारा एक लोकपाल की नियुक्ति का भी प्रावधान है।

विधेयक के अनुसार किसी भी व्यक्ति को अपनी सहमति और अदालती आदेश के अलावा खुद को एचआईवी होने का खुलासा करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, भारत में करीब 21 लाख लोग एचआईवी पीडि़त हैं।

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उत्तर प्रदेश

संभल में कैसे भड़की हिंसा, किस आधार पर हो रहा दावा, पढ़े पूरी रिपोर्ट

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संभल। संभल में एक मस्जिद के स्थान पर प्राचीन मंदिर होने और भविष्य में कल्कि अवतार के यहां होने के दावे ने हाल ही में काफी सुर्खियां बटोरी हैं. इस दावे के पीछे कई धार्मिक और ऐतिहासिक तथ्य बताए जा रहे है. उत्तर प्रदेश के संभल में कल्कि अवतार और उनके मंदिर को लेकर कई दावे पहले से ही किए जा रहे हैं. इसे लेकर धार्मिक मान्यताओं और शास्त्रों के आधार पर गहरी चर्चा हो भी रही है. हिंदू धर्म में कल्कि अवतार को भगवान विष्णु का दसवां और अंतिम अवतार माना गया है. ऐसा माना जाता है कि कलियुग के अंत में जब अधर्म और अन्याय अपने चरम पर होगा तब भगवान कल्कि अवतार लेकर पृथ्वी पर धर्म की स्थापना करेंगे.

कैसे भड़की हिंसा?

24 नवंबर को मस्जिद में हो रहे सर्वे का स्थानीय लोगों ने विरोध किया. पुलिस भीड़ को नियंत्रित करने के लिए मौके पर थी. सर्वे पूरा होने के बाद जब सर्वे टीम बाहर निकली तो तनाव बढ़ गया. भीड़ ने पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया, जिसके कारण स्थिति बिगड़ गई और हिंसा भड़क उठी.

दावा क्या है?

हिंदू पक्ष का दावा है कि संभल में स्थित एक मस्जिद के स्थान पर प्राचीन काल में एक मंदिर था. इस मंदिर को बाबर ने तोड़कर मस्जिद बनवाई थी. उनका यह भी दावा है कि भविष्य में कल्कि अवतार इसी स्थान पर होंगे.

किस आधार पर हो रहा है दावा?

दावेदारों का कहना है कि उनके पास प्राचीन नक्शे हैं जिनमें इस स्थान पर मंदिर होने का उल्लेख है. स्थानीय लोगों की मान्यता है कि इस स्थान पर प्राचीन काल से ही पूजा-अर्चना होती थी. कुछ धार्मिक ग्रंथों में इस स्थान के बारे में उल्लेख मिलता है. हिंदू धर्म के अनुसार कल्कि अवतार भविष्य में आएंगे और धर्म की स्थापना करेंगे. दावेदारों का मानना है कि यह स्थान कल्कि अवतार के लिए चुना गया है.

किस आधार पर हो रहा है विरोध?

अभी तक इस दावे के समर्थन में कोई ठोस पुरातात्विक साक्ष्य नहीं मिला है. जो भी ऐतिहासिक रिकॉर्ड्स उपल्बध हैं वो इस बात की पुष्टि करते हैं कि इस स्थान पर एक मस्जिद थी. धार्मिक ग्रंथों की व्याख्या कई तरह से की जा सकती है और इनका उपयोग किसी भी दावे को सिद्ध करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए.

संभल का धार्मिक महत्व

शास्त्रों और पुराणों में यह उल्लेख है कि भगवान विष्णु का कल्कि अवतार उत्तर प्रदेश के संभल नामक स्थान पर होगा. इस आधार पर संभल को कल्कि अवतार का स्थान माना गया है. श्रीमद्भागवत पुराण और अन्य धर्मग्रंथों में कल्कि अवतार का वर्णन विस्तार से मिलता है जिसमें कहा गया है कि कल्कि अवतार संभल ग्राम में विष्णुयश नामक ब्राह्मण के घर जन्म लेंगे.

इसी मान्यता के कारण संभल को कल्कि अवतार से जोड़ा जाता है. संभल में बने कल्कि मंदिर को लेकर यह दावा किया जा रहा है कि यही वह स्थान है जहां भविष्य में भगवान कल्कि का प्रकट होना होगा. मंदिर के पुजारी और भक्तों का कहना है कि यह स्थान धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र है और यहां कल्कि भगवान की उपासना करने से व्यक्ति अधर्म से मुक्ति पा सकता है.

धार्मिक विश्लेषण

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, कल्कि अवतार का समय तब होगा जब अधर्म, पाप और अन्याय चरम पर पहुंच जाएंगे. वर्तमान में दुनिया में मौजूद सामाजिक और नैतिक स्थितियों को देखकर कुछ लोग यह मानते हैं कि कल्कि अवतार का समय निकट है. संभल में कल्कि मंदिर को लेकर जो भी दावे किए जा रहे हैं वो सभी पूरी तरह से आस्था पर आधारित हैं. धार्मिक ग्रंथों में वर्णित समय और वर्तमान समय के बीच अभी काफी अंतर हो सकता है. उत्तर प्रदेश के संभल में कल्कि अवतार और मंदिर का दावा धार्मिक मान्यताओं और शास्त्रों पर आधारित है. हालांकि, यह दावा प्रमाणिकता के बजाय विश्वास पर आधारित है. यह भक्तों की आस्था है जो इस स्थान को विशेष बनाती है.

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