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प्रादेशिक

पर्यावरण प्रदूषण पर दो दिवसीय संगोष्‍ठी संपन्न

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Validictory Function of IITRलखनऊ। सीएसआईआर-भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान, (सीएसआईआर-आईआईटीआर) लखनऊ में दो दिवसीय राष्‍ट्रीय वैज्ञानिक संगोष्‍ठी “पर्यावरण प्रदूषण: कारण एवं  निवारण” विषय पर 21 अक्टूबर को तृतीय और चतुर्थ सत्र आयोजित किए गए। डॉ. श्रीमती पूनम कक्‍कड़ और डॉ. कौसर महमूद ने तृतीय सत्र पर्यावरणीय प्रदूषण और डॉ. एस.सी. बर्मन तथा डॉ. एन. मनिक्‍कम, वैज्ञानिक, आईआईटीआर ने सत्र की अध्‍यक्षता किया।

डॉ॰ राहुल प्रजेश, सीएसआईआर- सीईईआरआई(सीरी) ने अमोनिया व कार्बन मोनोक्साइड के लिए सूक्ष्म गैस संवेदक पर बोलते हुए बताया बाहरी तथा भीतरी प्रदूषण आज के समय में एक ज्‍वलन समस्‍या है, इसके नियंत्रण के लिए प्रदूषण का आंकलन किया जाए। डॉ॰ शुभांगी ऊंबरकर, सीएसआईआर- एनसीएल ने जल अभिषेक-पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से पीओपी मूर्ति के विसर्जन के लिए वैज्ञानिक पद्धति के बारे में बताया। डॉ॰ गणेश चंद्र किस्कू, वैज्ञानिक, सीएसआईआर- आईआईटीआर ने ताप विद्युत गृह में ध्वनि प्रदूषण प्रभाव एवं बचाव के तरीकों के बारे में बताया।

इसी क्रम में किस्‍कू ने पर्यावरण में उपस्थित पालीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन और मानव स्‍वास्‍थ्‍य पर दुष्‍प्रभाव एवं निवारण पर कहा कि पालीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन दो या दो से अधिक का‍र्बनिक यौगिकों के एक बड़े समूह हैं,जिसमें एरोमटिक रिंग पाई जाती है।  ये पानी में कम घुलनशील वसा में अत्‍यधिक घुलनशील होते हैं।  अधिकांश पीएएचएस कम वाष्‍प दाब के कारण हवा में अवशोषित हो जाते हैं।  सूर्य के प्रकाश यौगिक  में पाई जाने वाली पराबैंगनी सौर विकिरण के संपर्क में आने पर पीएएचएस को प्रकाश संश्‍लेषण की प्रक्रिया से गुजरना होता है।

वातावरण में, पीएएचएस विभिन्‍न प्रदूषकों जैसे ओजोन, नाइट्रोजन आक्‍साइड और सल्‍फरडाइऑक्‍साइ, नाइट्रो-पीएएचएस और डाइनाइट्रो-पीएएचएस सल्‍फोनिक एसिड के साथ क्रमश: प्रतिक्रिया कर सकते हैं। इं॰ अलताफ हुसैन खान, वैज्ञानिक,सीएसआईआर-आईआईटीआर ने ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की चुनौतियों के बारे में बताया कि बढ़ती हुई जनसंख्‍या,नगरीकरण और औद्योगीकरण तथा सेवा क्षेत्र में हुई वृद्धि के कारण हमारे देश में उत्‍पन्‍न होने वाले ठोस अपशिष्‍ट की मात्रा तीव्र गति से बढ़ रही है।

डिब्‍बाबंद सामग्री के अधिक उपयोग से भी यह समस्‍या बढ़ी है। डॉ॰ कृष्ण गोपाल दूबे, पूर्व वैज्ञानिक, सीएसआईआर-आईआईटीआर  ने उत्तर प्रदेश के झीलों में मछलियों की जैव विविधता की उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए बताया कि प्रमुख झीलों के पानी की भौतिक एवं रासायनिक दशा तथा पानी एवं कीचड़ में भारी धातुओं की मात्रा का अध्‍ययन किया गया। प्रारम्भिक सर्वेक्षण के दौरान 42 जातियों तथा 60 प्रजातियों की मछलियां ज्ञात कीं। डॉ॰ जयराज बिहारी, पूर्व वैज्ञानिक, सीएसआईआर-आईआईटीआर ने पाँच खेप के रसायनिक विश्लेषण की उपादेयता के बारे बताया कि इन नमूनों का सर्वेक्षण अमेरिका की पर्यावरण संरक्षण एजेंसी ई्पी्ए् के निर्देशानुसार प्रारम्‍भ हुआ।

इस नामावली को यूरोप सहित विभिन्‍न देशों की नियामक संस्‍थाओं द्वारा मान्‍यता दी जा चुकी है। यह अध्‍ययन उत्‍पाद के संघटकों विशेषकर क्रियाशील घटक एवं संलग्‍न अशुद्धियों के मापन एवं मात्रा निर्धारिण के लिए आवश्‍यक होता है। अशुद्धियों का स्‍तर 0.1% तक मापने की प्रतिबद्धता होती है। डॉ॰ सुनील कुमार, सीएसआईआर- आईआईसीटी ने अपने शोध के बारे में चर्चा किया।

इस दो दिवसीय संगोष्‍ठी में सीएसआईआर की 16 प्रयोगशालाओं, 4 अन्‍य अनुसंधान और विकास संस्‍थानों एवं 9 विश्वविद्यालयों से 100 से अधिक वैज्ञानिक-गण, शोध छात्र प्रदूषण जैसी ज्वलंत समस्या और इसके कारण तथा निवारण हेतु में चर्चा में भाग लिया है।

इस दो संगोष्‍ठी का समापन समारोह सायंकाल 4:30 बजे आयोजित किया गया। समापन समारोह के मुख्‍य अतिथि पद्मश्री प्रोफेसर प्रमोद टण्‍डन, सी.ई.ओ., बॉयोटेक पार्क, लखनऊ थे।  मुख्‍य अतिथि ने इस अवसर पर कहा कि पर्यावरण को काफी क्षति हुई है। जल, वायु ही नहीं यहॉं तक कि आंतरिक्ष भी प्रदूषित हो रहा है। प्रधानमंत्री महोदय ने कुछ कठोर कदम उठाए हैं।

भारत में 100 से अधिक नगरों का कचरा सीधे गंगा नदी में बहा दिया जाता है। गंगा सफाई हेतु प्रबंध किया जा रहा है। आज भारत के सभी नगर प्रदूषण से जूझ रहे हैं।  कीटनाशकों का खेती में आज भी अधिक प्रयोग हो रहा है। बॉयोटेक चौराहे के पास 24 घंटे ध्‍वनि प्रदूषण महसूस होता है। वैज्ञानिकों ने बहुत सारे अध्‍ययन कर समस्‍याओं के समाधान निकालने हेतु प्रयास किया है। प्रदूषण मुक्‍त भारत बनाने की पहल होनी चाहिए। इसमें हम सभी को सहयोग करना चाहिए। कुछ देशों ने प्रयास करके प्रदूषण दूर करने हेतु अच्‍छा बंदोबस्‍त किया है। पर्यावरण संरक्षण हेतु अनेक नियम-कानून बने हैं। हम सबको इनका पालन करना चाहिए। पर्यावरण संरक्षण में सरकार से सहायता और जनता से समर्थन मिलना चाहिए, तभी यह कठिन कार्य संभव हो सकेगा।

सीएसआईआर-आईआईटीआर के निदेशक प्रोफेसर आलोक धावन ने अपने संबोधन में कहा कि यह संगोष्‍ठी सीएसआईआर-आईआईटीआर में किए जा रहे कार्य से मिलते-जुलते विषय पर आयोजित की गई है, जिससे पर्यावरण संरक्षण और प्रबंधन के निवारण हेतु प्रभावी नीति निर्धारण हेतु निष्‍कर्ष प्राप्‍त हों।  प्रदूषण में हमारे संस्‍थान में 20 वर्ष से कार्य हो रहा है।  वर्ष में दो बार लखनऊ का सर्वे कर अध्‍यन उपरान्‍त रिपोर्ट स्‍थानीय प्रशासन को दी जाती है।  महोदय ने इस बात पर बहुत बल दिया कि प्रदूषण मापन में डेटा विश्‍वसनीय होना चाहिए। इस संगोष्‍ठी के आयोजकों, प्रतिभागियों  और सभी सहयोगियों को इसे सफल बनाने हेतु किए गए कार्य के लिए सभी के प्रति आभार प्रकट किया। इस संगोष्‍ठी के सफल आयोजन में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए आयोजकों को सम्‍मानित भी किया  गया।  अंत में डॉ. कौसर महमूद अंसारी ने धन्‍यवाद ज्ञापित किया।

IANS News

महाकुंभ मेला क्षेत्र के सभी सेक्टरों में नियुक्त किए गए सेक्टर मजिस्ट्रेट

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प्रयागराज। महाकुंभ 2025 को लेकर प्रयागराज में तेजी से निर्माण कार्य चल रहा है। सीएम योगी के दिव्य भव्य महाकुंभ की योजना के मुताबिक महाकुंभ नगरी ने संगम तट पर आकार लेना शुरू कर दिया है। महाकुंभ में आने वाले करोड़ों श्रद्धालुओं, कल्पवासियों और साधु-संन्यासियों के रहने और स्नान के लिए घाटों, अस्थाई सड़कों व टेंट सिटी का निर्माण शुरू हो गया है। प्रयागराज मेला प्रधिकरण ने योजना के मुताबिक पूरे मेला क्षेत्र को 25 सेक्टरों में बांटा हैं। सेक्टर और कार्य के मुताबिक सेक्टर मजिस्ट्रेटों की नियुक्ति कर दी गई है। सभी सेक्टर मजिस्ट्रेट अपने – अपने सेक्टर में भूमि अधिग्रहण से लेकर प्रशासन व्यवस्था के लिए जिम्मेदार रहेंगे। महाकुंभ के दौरान सेक्टर मजिस्ट्रेट आम जनता और प्रशासन के बीच कड़ी का कार्य करेंगे।

विभागीय समन्वय का करेंगे कार्य

महाकुंभ 2025 में लगभग 45 करोड़ श्रद्धालुओं के आने और लगभग 1 लाख से अधिक लोगों के कल्पवास करने की संभावना है। इसके साथ ही हजारों की संख्या में साधु-संन्यासियों और मेला प्रशासन के लोग महाकुंभ के दौरान मेला क्षेत्र में रहेंगे। इन सबके रहने के लिए टेंट सिटी व स्नान के लिए घाटों और मार्गों का निर्माण कार्य युद्धस्तर पर चल रहा है। पूर्व योजना के मुताबिक प्रयागराज मेला प्राधिकरण ने पूरे महाकुंभ क्षेत्र को 25 सेक्टरों में बांटा है। 4000 हेक्टेयर और 25 सेक्टरों में बंटा महाकुंभ मेला क्षेत्र इससे पहले के किसी भी महाकुंभ मेले से सबसे बड़ा क्षेत्र है। मेला प्राधिकरण ने प्रत्येक सेक्टर में भूमि अधिग्रहण से लेकर प्रशासन व्यवस्था और विभागीय समन्वय के लिए उप जिलाधिकारियों को सेक्टर मजिस्ट्रेट के तौर पर नियुक्ति किया है। ये सेक्टर मजिस्ट्रेट पूरे महाकुंभ के दौरान अपने-अपने सेक्टर, कार्य विभाग और विभागीय समन्वयन का कार्य करेंगे।

अधिकांश ने ग्रहण किया कार्यभार

प्रयागराज मेला प्राधिकरण ने सेक्टर वाईज सेक्टर मजिस्ट्रेट की लिस्ट जारी कर दी है। इस सबंध में एसडीएम मेला अभिनव पाठक ने बताया कि अधिकांश सेक्टर मजिस्ट्रेटों ने कार्यभार ग्रहण कर लिया है। शेष अपनी विभागीय जिम्मेदारियों से मुक्त होकर जल्द ही मेला क्षेत्र में अपना कार्यभार ग्रहण कर लेंगे। जो कि महाकुंभ के दौरान अपने-अपने सेक्टर की प्रशासन व्यवस्था व विभागीय समन्वयन का कार्य करेंगे। प्रत्येक सेक्टर में भूमि आवंटन की प्रगति और लोगों की समस्याओं के त्वरित निस्तारण में ये सेक्टर मजिस्ट्रेट मददगार होंगे।

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