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न्यायिक नियुक्तियों में देरी पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को लिया आड़े हाथ

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modi-scनई दिल्ली। विभिन्न उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए शीर्ष अदालत के कॉलेजियम की संस्तुतियों को ठंडे बस्ते में डालने के लिए सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को केंद्र सरकार की खिंचाई की और कहा कि यह कदम न्यायपालिका को पंगु बनाने जैसा है। अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 11 नवम्बर की तिथि तय की है। इस बीच कांग्रेस ने मोदी सरकार पर न्यायपालिका समेत देश की लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर करने का आरोप लगाया।

न्यायिक संस्था को पंगु बनाने के प्रयास को नहीं बर्दाश्त करने की बात सरकार से कहते हुए मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति टी.एस. ठाकुर, न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव की पीठ ने कहा कि न्यायाधीशों की कमी के कारण कर्नाटक उच्च न्यायालय की भूतल पर स्थित सभी अदालतें बंद कर दी गई हैं।
प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के लिए न्यायाधीशों की नियुक्तियों की सिफारिश सरकार के पास पिछले नौ महीने से लंबित है। उन्होंने कहा कि कॉलेजियम ने 18 नामों की संस्तुति की थी, लेकिन केंद्र सरकार ने इसे छांटकर आठ नाम कर दिया और अब कहा जा रहा है कि दो नामों को हरी झंडी दी गई है।
उन्होंने कहा कि अगर सरकार को किसी नाम को लेकर समस्या है तो वह संस्तुति लौटा सकती है, लेकिन वह इस पर कुंडली मार कर बैठ नहीं सकती है। पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय स्वीकृत क्षमता के 50 प्रतिशत के साथ काम कर रहे हैं।

न्यायमूर्ति ठाकुर ने कहा, हमारे सामने एक समय ऐसी परिस्थिति थी, जब न्यायाधीश थे, लेकिन अदालत कक्ष नहीं थे, आज हमारे पास अदालत कक्ष हैं, लेकिन न्यायाधीश नहीं हैं। कर्नाटक उच्च न्यायालय की आधी अदलतें बंद कर दी गई हैं। आप सभी अदालतों को और साथ ही न्यायिक प्रक्रिया को बंद नहीं कर सकते हैं।
प्रधान न्यायाधीश ने महान्यायवादी मुकुल रोहतगी को याद दिलाया कि वह बार के नेता हैं और उन्हें रचनात्मक भूमिका निभानी होगी। उन्होंने कहा, यह किसी व्यक्ति का अहंकार नहीं है। यह संस्थान है, जो बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। आप न्याय देना बंद करना चाहते हैं? प्रधान न्यायाधीश ने रोहतगी से पूछा कि किसने कहा कि संस्तुति को मंजूरी देने के मार्ग में प्रक्रिया ज्ञापन का अंतिम रूप नहीं लेना सरकार के लिए बाधा उत्पन्न कर रही है।

प्रधान न्यायाधीश ने पूछा कि तब कैसे सरकार ने अन्य नामों को हरी झंडी दी। उन्होंने कहा कि नई ज्ञापन प्रक्रिया (एमओपी) के न होने की स्थिति में पुरानी एमओपी के आधार पर नियुक्तियां की जा सकती हैं। जब रोहतगी ने कहा कि पुरानी एमओपी अदालत के उस आदेश के विपरीत है, जिसमें अदालत ने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग को रद्द कर दिया था, तो इस पर न्यायमूर्ति ठाकुर ने कहा कि अगर आप नियुक्तियों से पहले नई ज्ञापन प्रक्रिया को अंतिम रूप देने पर जोर डाल रहे हैं तो हम संविधान पीठ में बैठेंगे और इसे मंजूरी दे देंगे।

उधर कांग्रेस पार्टी ने शुक्रवार को नरेंद्र मोदी सरकार पर न्यायपालिका समेत देश की लोकतांत्रिक संस्थाओं को व्यवस्थित ढंग से और जानबूझ कर कमजोर करने का आरोप लगाया, और साथ ही न्यायाधीशों की नियुक्ति में देरी करने की सरकार की कोशिश की निंदा भी की। कांग्रेस प्रवक्ता और वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, इस सरकार ने अपने ढाई साल के कार्यकाल के दौरान लोकतांत्रिक संस्थाओं को व्यवस्थित ढंग से और जानबूझ कर कमजोर किया है। सिंघवी ने इस स्थिति को अप्रत्याशित करार दिया है।

उन्होंने कहा, लोकतंत्र के एक और स्तंभ को कमजोर करने की सरकार की कोशिश की हम निंदा करते हैं। हम इस कोशिश को न्यायापालिका को निर्थक बनाने, उसपर नियंत्रण करने या उसे शर्मसार करने के रूप में देखते हैं। यह दुखद है कि प्रक्रिया ज्ञापन का इस्तेमाल सरकार ब्लैकमेल करने के लिए कर रही है।

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पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला, 38 लोगों की मौत

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पख्तूनख्वा। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला हुआ है। इस हमले में 38 लोगों की मौत हो गई है। यह हमला खैबर पख्तूनख्वा के डाउन कुर्रम इलाके में एक पैसेंजर वैन पर हुआ है। हमले में एक पुलिस अधिकारी और महिलाओं समेत दर्जनों लोग घायल भी हुए हैं। जानकारी के मुताबिक उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में आतंकियों ने शिया मुस्लिम नागरिकों को ले जा रहे यात्री वाहनों पर गोलीबारी की है। यह क्षेत्र में हाल के वर्षों में इस तरह का सबसे घातक हमला है। मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है।

AFP की रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले में 38 लोगों की मौत हुई है. पैसेंजर वैन जैसे ही लोअर कुर्रम के ओचुट काली और मंदुरी के पास से गुजरी, वहां पहले से घात लगाकर बैठे आतंकियों ने वैन पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. पैसेंजर वैन पाराचिनार से पेशावर जा रही थी। पाकिस्तान की समाचार एजेंसी डॉन के मुताबिक तहसील मुख्यालय अस्पताल अलीजई के अधिकारी डॉ. ग़यूर हुसैन ने हमले की पुष्टि की है.

शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच तनाव 

अफगानिस्तान की सीमा से लगे कबायली इलाके में भूमि विवाद को लेकर शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच दशकों से तनाव बना हुआ है। किसी भी समूह ने घटना की जिम्मेदारी नहीं ली है। जानकारी के मुताबिक “यात्री वाहनों के दो काफिले थे, एक पेशावर से पाराचिनार और दूसरा पाराचिनार से पेशावर यात्रियों को ले जा रहा था, तभी हथियारबंद लोगों ने उन पर गोलीबारी की।” चौधरी ने बताया कि उनके रिश्तेदार काफिले में पेशावर से यात्रा कर रहे थे।

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