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वर्षात समीक्षा – 2014 : कोयला क्षेत्र में खुले नए अध्याय

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नई दिल्ली, 31 दिसम्बर (आईएएनएस)| उच्चतम न्यायालय के निर्णय के बाद कोयला क्षेत्र में बहुप्रतीक्षित सुधारों को तेज करते हुए सरकार ने, सभी रद्द किए गए कोयला खंडों के पारदर्शी ढंग से प्रबंधन और पुन: आवंटन के लिए कोयला खदान (विशेष प्रावधान) अध्यादेश, 2014 को लाने में तेजी दिखाई है। सरकार ने इसे खनन ऑपरेशन, उपभोग और बिक्री के लिए कोयला क्षेत्र को  बनाने के अवसर के रूप में लिया। इस्पात, सीमेंट और बिजलीघरों जैसे ऐसे मुख्य क्षेत्रों में कोयले की गंभीर कमी को पूरा करने के लिए अध्यादेश की आवश्यकता अनुभव की गई, जो राष्ट्र के विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं।

कोयला खंडों का आवंटन अब अध्यादेश के प्रावधानों एवं उसके तहत बनाए गए नियमों के अनुपालन में समयबद्ध ढंग से किया जाएगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोयले की आपूर्ति में कोई रुकावट न पड़े। पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए समूची नीलामी प्रक्रिया सरकारी वेबसाइट पर अपलोड की गई है।

बिजली क्षेत्र के लिए, कोयला खंडों की ई-नीलामी की समूची प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी होगी जिससे अधिक स्पर्धा और दक्षता तथा बिजली के श्रेष्ठ शुल्क को प्रोत्साहन दिया जा सकेगा। सरकार ने 24 दिसंबर, 2014 को 24 कोयला खानों के लिए नीलामी प्रक्रिया का रास्ता साफ करने के लिए कोयला खान (विशेष प्रावधान) अध्यादेश, 2014 लाई।

कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) से कोयले की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है, तदनुसार कंपनी वर्तमान 50 करोड़ टन के स्तर की तुलना में 2019 तक कोयला उत्पादन 1 अरब टन करने का लक्ष्य हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध है।

झारखंड, ओडिशा और चंडीगढ़ में कोयला परिवहन के लिए तीन महत्वपूर्ण रेल लाइन बिछाने के काम में तेजी लाने के प्रयासों के तहत कोयला और रेल मंत्रालय मिलकर काम कर रहे हैं तथा समय-समय पर परियोजनाओं की निगरानी कर रहे हैं। कोल इंडिया ने बिजलीघरों के लिए तेजी से प्राथमिक तौर पर कोयले की अधिक मात्रा में निकासी के लिए 50 अरब रुपये मूल्य के 250 अतिरिक्त रैक खरीदने का फैसला किया है। कोयला लिंकेज को बनाने की प्रक्रिया से दक्षता बढ़ी और नजदीकी कोयला खानों को बिजलीघरों से जोड़ा गया। कोयले के न्यूनतम उपयोग से अधिकतम बिजली बनाने के उद्देश्य से पुराने और अदक्ष बिजलीघरों (25 वर्ष से अधिक पुराने) को नए सुपर क्रीटिकल प्लांट में स्वत: बदलने के लिए नीति की भी घोषणा की गई।

कोयले की चोरी रोकने के लिए, सरकार ने राष्ट्रीय कोयला प्रेषण केंद्र स्थापित करने और कोयले के सभी आवागमन के लिए आरएफआइडी टैग लगाने का प्रस्ताव किया है।

केंद्रीय खनन योजना एवं अभिकल्प संस्थान लिमिटेड ने अन्वेषण क्षमता बढ़ाने के लिए खनिज अन्वेषण निगम के साथ सहमति ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। केंद्रीय खनन योजना एवं अभिकल्प संस्थान लिमिटेड कोल इंडिया लिमिटेड के लिए विस्तृत अन्वेषण करता है। आउटसॉसिर्ंग एजेंसियों की मदद से भी कुछ खंडों में अन्वेषण की परिकल्पना की गई है।

कोयला मंत्रालय की कुछ प्रमुख पहल इस प्रकार हैं:

1. कोयला विधेयक और नियम :

सरकार ने उच्चतम न्यायालय के निर्णय के बाद 204 कोयला खंडों के आवंटन या नीलामी सुगम बनाने के लिए अक्तूबर में कोयला खान (विशेष प्रावधान) अध्यादेश, 2014 जारी किया।

2. कोयला उत्पादन:

वर्ष 2014-15 के लिए कोयला उत्पादन का वार्षिक लक्ष्य बढ़ाकर 630.25 एमटीई किया गया है। 2014-15 की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर) के दौरान देश में पिछले वर्ष की समान अवधि के दौरान 246.4 एमटीई की तुलना में अपरिष्कृत कोयले का उत्पादन 264.3 एमटीई था।

3. कोयला लिंकेज को  बनाना:

कोल लिंकेज की  समीक्षा के लिए 13 जून, 2014 को मंत्रालय स्तरीय कार्य बल गठित किया गया।

4. गुणवत्ता और तृतीय पक्ष प्रतिचयन:

कोयला कंपनियों और बिजली कंपनियां /डेवलपर्स के बीच विवादों के मुद्दों से निपटने तथा कोयला आपूर्ति की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए, तृतीय पक्ष प्रतिचयन में और सुधार किया गया।

5. कोयला वाशरीज:

यह फैसला किया गया है कि कोयला कंपनियां कोयले को पीसने के लिए विद्यमान बुनियादी ढांचे को सु²ढ़ बनाने तथा आउटसॉसिर्ंग के जरिए मोबाइल क्रशर्स तैनात करने के जरिए बिजली क्षेत्र को 100 मिमी आकार के पिसे हुए कोयले की 100 प्रतिशत आपूर्ति सुनिश्चित करेंगी।

6. पुरानी इकाइयों के स्थान पर नई इकाई लगाने के मामले में लिंकेज के अंतरण के बारे में नीति :

बिजली के लिए स्थायी लिंकेज समिति की सिफारिशों के आधार पर, 13वीं योजना के आखिर तक अलग-अलग समय में नए बिजलीघर लगाए जाएंगे तथा यह 14वीं योजना तक भी जा सकता है, इस नीति के कार्यान्वयन के बाद, पुराने अपर्याप्त बिजलीघरों को हटाकर और उनके स्थान पर सुपर क्रीटिकल टेक्नोलॉजी के साथ सुनिश्चित कोल लिंकेज वाले आधुनिक दक्ष बिजलीघर बनाना संभव हो जाएगा। इससे कोयले का और भी अधिक श्रेष्ठ उपयोग किया जा सकेगा।

प्रादेशिक

IPS अधिकारी संजय वर्मा बने महाराष्ट्र के नए डीजीपी, रश्मि शुक्ला के ट्रांसफर के बाद मिली जिम्मेदारी

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महाराष्ट्र। महाराष्ट्र के नए डीजीपी का कार्यभार IPS संजय वर्मा को सौंपा गया है। आईपीएस संजय वर्मा को केंद्रीय चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र के नए पुलिस महानिदेशक के रूप में नियुक्त किया है। कुछ ही दिनों में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव है। उससे पहले चुनाव आयोग ने राज्य कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले की शिकायत मिलने के बाद डीजीपी रश्मि शुक्ला के तबादले का आदेश दिया था।

कौन हैं IPS संजय वर्मा?

IPS संजय वर्मा 1990 बैच के पुलिस अधिकारी हैं। वह महाराष्ट्र में वर्तमान में कानून और तकनीकी के डीजी के रूप में कार्यरत रहे। वह अप्रैल 2028 में सेवानिवृत्त पुलिस सेवा से रिटायर होंगे। दरअसल, डीजीपी रश्मि शुक्ला को लेकर सियासी दलों के बीच पिछले कुछ समय से माहौल गर्म था। कांग्रेस के बाद उद्धव गुट की शिवसेना ने भी चुनाव आयोग को पत्र लिखकर उन्हें हटाने की मांग की थी।

कांग्रेस ने रश्मि शुक्ला की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए चुनाव आयोग से उन्हें महानिदेशक पद से हटाने की मांग की थी। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने उन पर आरोप लगाया था कि वह बीजेपी के आदेश पर सरकार के लिए काम कर रही हैं।

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